मल्लिकार्जुन खड़गे यदि प्रधानमंत्री बने तो एनडीए टूट जाएगी?

क्या इंडिया गठबंधन, नीतीश की डिप्टी पीएम, चंद्रबाबु नाएडु को गृहमंत्री बनाईगी?

क्या जीत कर भी हार गए प्रधानमंत्री? क्या मोदी मैजिक समाप्त हुआ ? क्या अब अन्य राजनीतिक पार्टियों से ईडी का भय समाप्त हो जाएगा? 

इंडिया गठबंधन सरकार बनाने में कितना सक्षम? मोदी जीत कर भी हार गये – मोदी मैजिक समाप्त ?
एस. ज़ेड. मलिक
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 क्या जीत कर भी हार गए प्रधानमंत्री? क्या मोदी मैजिक समाप्त हुआ ? क्या अब अन्य राजनीतिक पार्टियों से ईडी का भय समाप्त हो जाएगा? 
2024 चुनाव में लोकतंत्र के  इस असीम राजनीतिक खेल के अब सूत्रधार दो छोरे बन गये, और डीएमके के मुख्या चंद्रबाबू नायडू और जेडीयू के मुख्या नीतीश कुमार जी यह दोनों ही किंगमेकर बनचुके हैं।
 लोकतंत्र की इस प्रवेश परीक्षा के 543 सीटों के परिणाम तो आ गए, परन्तु मेन परीक्षा और वाईवा अभी बाकी है, जिसमे सभी दिग्गजों को कुछ सौदेबाज़ी करने जिसमे प्रधानमंत्री बनने का अवसर मिलता वहां खेल शुरू होता है किंग मेकर की भूमिका निभाने वालों की ! आज प्रधान सेवक ने अपना इस्तीफा राष्ट्रपति मुर्मुर को सौंप जबकि चुनाव से पहले राष्ट्रपति को प्रधानमंत्री से इस्तीफा लेलेना चाहिए था, लेकिन ऐसा नही हुआ, इसलिये की किसी विपक्ष ने इस पर कभी सवाल ही नहीं उठाया।
अब  दो चीजें बिल्कुल साफ हैं, पहला यह कि नरेंद्र मोदी जी जीत कर भी हार गये और दूसरा यह कि, खुफिया विभाग सीबीआई, आईडी इनकम टैक्स विभाग जहां राहत की सांस ली होगी वहीं विपक्षी और जो रंगा- बिल्ला की धमकी से भाजपा का दामन पकड़ने पा मजबूर हुये थे इनके दिलों से डर समाप्त हुआ होगा। बहरहाल, जिस पर एग्ज़िट पोल्स मैनेज करवाया गया था, उससे यह लगने लगा था कि इस बार इंडिया गठबंधन का अब अस्तित्व ही समाप्त हो जाएगा, लेकिन 65 % जनता ने अपना मत इंडिया गठबंधन को दे कर मोदिशाह की सम्परादायिक व व्यापारिक सरकार को जहां नाकार है वहीं गोदी मीडिया को बेनकाब कर दिया। एग्जिट पोल के आंकड़े पूरी तरह से बनावटी थे यह साबित कर दिया। गोदी मिडिया ने TMC की 30 सीटें भी इंडिया गठबंधन से गायब कर दिया, ऐसे में यानी इंडिया गठबंधन 234 पर सिमट गई परंतु 30 सीट TMC का जोड़ दिया जाए तो इंडिया गठबंधन को 264 सीट हो जाता है, यानी सरकार बनाने का दावा करने के लिये 9 सीटों चाहिये, 12 सीटों वाली जेडीयू के मुख्या नीतीश कुमार सशर्त किंगमेकर की भूमिका निभा सकते हैं। यानी 276 सीटें तो हो जायेगा परन्तु इस समय एनडीए 293 सीटें लेकर तीसरी बार केन्द्रीय सरकार की दावेदार है, यदि एनडीए की 293 में से 12 जेडीयू को कम कर दिया जाये तो एनडी 281 बच जाता है, फिर सरकार बनाने की पहली दावेदारी एनडीए की ही होगी, और यदि 16 सांसदों वाली टीडीपी को 276 जोड़ दिया जाए तो 292 इंडिया गठबंधन की सीटें हो जाती है बशर्ते कि टीडीपी के मुख्या चंद्रबाबू नायडू यदि अपने अंदर से भाजपा के डर को समाप्त कर दिया होगा तो वह भी सशर्त इंडिया गठन्धन का साथ दे सकते हैं। तो इंडिया गठबंधन की सरकार बनने से कोई नहीं रोक सकता है, चंद्रबाबू नायडू इंडिया गठबंधन के पहले बड़े किंगमेकर की भूमिका निभाने के साथ साथ पार्टी के अंतिम निर्णायक भी हो सकते, और इंडिया गठबंधन यदि मलिकार्जुन खगड़े को प्रधानमंत्री बनाती है तो भारतीय लोकतंत्र में एक इत्तिहास लिखा जायेगा जो भारत के राजनीतिक स्तर पर कभी नहीं किया गया था, जो किसी पिछड़ी जाति को भारत का प्रधानमंत्री बनाया गया हो। इससे जहां एक ओर गठबन्ध मज़बूत होगा वही पिछड़ी, अति पिछड़े इंडिया गठबन्धन से हमेशा के लिये जुड़ जायेंगे । 
और ईडी, सीबीआई, इंकमटेक्स को इंडिया गठबंधन सरकार के अधीन काम करना पड़ेगा। 
बेशक इस बार भाजपा अपनी बहुमत खो चुकी पर एनडीए में निर्णायक भूमिका में भजपा ही रहेगी, इसलिये की भजपा 239 सांसदों वाली सब से बड़ी पार्टी है। लेकिन भाजपा अब बहुमत से बहुत पीछे हो चुकी है, पर गोदी मिडिया देश की जनता को अभी भी गुमराह कर रहा है। जबकि इस चुनाव ने यह साबित कर दिया कि अब मोदी मैजिक समाप्त हो गया।
 अब सवाल है कि – क्या डर वाले एनडीए गठबंधन वाली पार्टियों के मन से ईडी, सीबीआई का भय निकल पायेगा, क्या इस बार भाजपा के बादशाह और वज़ीर की हुकूमत एनडीए पर हावी रहेगी? क्या अब एनडीए की ओर से प्रधामंत्री और ग्रहमंत्री बदलने प्रक्रिया आरम्भ होगी। क्या एनडीए कैबिनेट में बदलाव लायेगी।   
ZEA

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