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गालिब का जन्मदिन और उनकी यादें ।

“कोई मेरे दिल से पूछे, तेरे तीर-ए-नीमकश को ये खलिश कहां से होती - जो जिगर के पार होता” कहाँ मयखाने का दरवाज़ा ग़ालिब और कहाँ वाइज़"" पर इतना जानते है कल वो जाता था कि हम निकले ।।
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