*आधुनिक शिक्षा के विरोधी धर्मगुरुओ पर कार्रवाई हो
*आधुनिक शिक्षा के विरोधी धर्मगुरुओ पर कार्रवाई हो*
अधिवक्ता इनतेख़ाब आज़ाद
*सहारनपुर 【उत्तर प्रदेश 】* सरकार का फरमान के मदरसों में मजहबी शिक्षा में कोई हस्तक्षेप नहीं,, लेकिन मदरसों को गणित,, विज्ञान और अंग्रेजी पढ़ाना अनिवार्य होगा। का मैं सरकार के इस फैसले का स्वागत करता हूं, और साथ ही जो तथाकथित उलेमा इसको गलत बता रहे हैं उनका विरोध कर निंदा करता हूं । मै सरकार का विरोधी होते हुए भी सरकार के इस फैसले का खुला समर्थन करता हूँ। क्योंकि मुसलमानों का आज तक धर्मनिरपेक्षता तथा समाजवाद की आड़ में बड़े मुसलमानों के उलेमाओं ने कांग्रेस मुलायम लालू आदि के साथ मिलकर छोटे गरीब मुसलमानों का भावनात्मक शोषण कर एक कूट रचना के तहत इनको शिक्षा से दूर रखा है । मुसलमान तब तक तरक्की की दौड़ में बराबर का हिससेदार नहीं बनेगा,, जब तक उसके एक हाथ में कुरान और दूसरे हाथ में विज्ञान नहीं होगा। कुछ उलेमाओं ने कांग्रेस और सपा राजद से सेटिंग कर गरीब,, अधिकार वंचित मुसलमानों को आधुनिक शिक्षा से दूर रखा है।मगर अब यह दौर समाप्ति की तरफ है। अब जो उलेमा विज्ञान,, गणित और अंग्रेजी का विरोध करते हैं उनके विरुद्ध सरकार को ठोस कार्रवाई करनी चाहिए। गणित,, विज्ञान और अंग्रेजी पढ़ाने से मदरसों में मजहबी शिक्षा पर कोई विपरीत प्रभाव नहीं पड़ेगा। इसलिए मै मानता हूं कि मजहबी शिक्षा के साथ-साथ अगर आधुनिक शिक्षा मदरसों में दी जाए तो मुसलमान मजबूती के साथ राष्ट्र की मुख्यधारा से जुड़ेगा और उन्नति के द्वार उसके लिए खुलेंगे । आधुनिक शिक्षा का विरोध ऊंची जाति के मुस्लिम उलेमा सिर्फ इसलिए करते हैं कि पिछड़े गरीब मुसलमानों के बच्चे पढ़ लिखकर बड़े औहदो पर अगर पहुंच गए तो इन उलेमाओं की दुकानदारी बंद हो जाएगी। इसलिए यह मदरसों में गणित,, विज्ञान,, अंग्रेजी तथा आधुनिक शिक्षा का विरोध करते हैं। कि कंही ऐसा ना हो जाए कि उनके बच्चे एडवोकेट,, डॉक्टर ,,प्रोफेसर,, इंजीनियर आदि औहदो पर ना पहुंचे। देश की राजनीति,, दरगाहो,, मदारिस और मुस्लिम संगठनों पर भी इनही बड़ी जाति के मुसलमानों का एक तरफा कबजा है इसमें गरीब मुसलमान तो सिर्फ टूल का ही काम करते हैं इसीलिए मदरसों में गणित ,,विज्ञान और अंग्रेजी पढ़ाने का विरोध कर रहे हैं ।इसलिए हम सरकार द्वारा मदरसों में अंग्रेजी,, विज्ञान और गणित पढ़ाने के फैसले का स्वागत करते हैं और यदि उलेमा इसका विरोध करें तो सरकार को चाहिए कि वह ऐसे उलेमाओं के विरुद्ध सख्त कार्रवाई करें।
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