नव-उपनिवेशवाद के क्रूर मकड़जाल में छटपटाता अफ़्रीका

इंफ्रास्ट्रक्चर पर कब्ज़ा — बंदरगाह, एयरपोर्ट, रेलवे — सिर्फ खदान से पोर्ट तक। गाँवों तक सड़क नहीं, स्कूलों में बिजली नहीं। सुरक्षा दो — प्राइवेट सिक्योरिटी कंपनियाँ, हथियार दो, विरोध को आतंकी घोषित करो।
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हिंदी पत्रकारिता के 200 साल

कल तक हिंदी टेक्स्ट को पढ़ने में कठिनाइयां महसूस कर रहे लोग दुनिया भर में हिंदी कंटेंट को सुन और देख रहे हैं। हिंदी पत्रकारिता देश की सबसे खास आवाज बन चुकी है।
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आसाम सरकार की मनुवादी मानसिकता, एक समुदायें को हथ्यार रखने का लाइसेंस देना, और दूसरे समुदायें से…

जमात ए इस्लामी हिन्द पत्रकारों को बिरयानी खिला कर अपनी बात सरकार तक पहुंचाने की कोशिश तो करती है, परन्तु जब तक सरकार को बढ़िया से दावत न खिलायेगी तो सरकार जामात की बातें कैसे सुनेगी?
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मुस्लेमीन बिहार की नज़र अब तक इमारतें शरियाः पर टिकी

लेकिन इसके फैसलों के मज़हबी, सामाजिक और राजनीतिक असरात दूर तक जाएंगे। मुस्लिम समाज की निगाहें इस वक़्त पटना की सरज़मीं पर टिकी हुई हैं।
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Protests on Domino’s support in support of Palestine!

इज़रायल द्वारा सभी प्रकार की सहायता पर रोक लगा दी गयी है और गाज़ा की जनता को योजनाबद्ध ढंग से भूखा मरने के लिए छोड़ दिया गया है।
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BSF जवान शहीद: बिहार के जांबाज़ मो. इम्तियाज़ शहीद हुए, नम आंखों से बेटे ने क्या कह विदा किया?”

“हिम्मत रखो बेटे, तुम्हारे पापा का दर्जा सबको नहीं मिलता। माँ और परिवार का ख्याल रखना – यही उनके लिए सच्ची श्रद्धांजलि होगी।” सच ही है, मृत्यु तो सबकी होती है, पर कुछ मौतें इतिहास बना जाती हैं। मोहम्मद इम्तियाज़ की शहादत भी उन्हीं में से…
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“सीमा पर तनाव है, देशवासियों में डर है… और गोदी मीडिया फेक न्यूज़ में मशगूल है!”

सीमा पर तनाव, महंगाई, बेरोजगारी, गिरती अर्थव्यवस्था पर न कोई बहस होती है, न सवाल। गोदी मीडिया की स्क्रीन पर बस चल रहा है:
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