खेतों में मजदूरी कर 5 रुपये की तनख़्वाह लेने वाली यह महिला बन गई करोड़पति उद्यमी ?

खेतों में मजदूरी कर 5 रुपये की तनख़्वाह लेने वाली यह महिला बन गई करोड़पति उद्यमी ?

एस. ज़ेड.मलिक (पत्रकार)

यह कहानी है अनिला ज्योति रेड्डी की जिसने महिला शक्ति और दृढ़ संकल्प की अनोखी मिसाल पेश की है। यह कहानी वहां से शुरू होती है जब उनके अध्यापक पिता अपनी नौकरी छुट जाने पर अपनी दो बेटियों को अनाथ आश्रम मे एवं अपने बेटे को अपने साथ रखने का निश्च्य किया । ज्योति की बहन भाग कर वापस अपने घर आ गयी जबकि ज्योति 9 साल की उम्र मे वही रुक कर आगे बढ़ने का मन बना चुकी थी। अनाथ आश्रम मे अपने परिवार के प्यार के बिना बहुत भी बुरा समय निकला और सरकारी स्कूल मे पढ़ाई शुरू की लेकिन 16 साल की उम्र मे जबरदस्ती उनकी शादी उनसे उम्र मे बहुत बड़े आदमी से करा दी गयी।

1970 में वारंगल में जन्मी ज्योति का बचपन भयंकर गरीबी में गुजरा। पांच बहनों में सबसे बड़ी ज्योति को उसकी मां ने इसलिए अनाथाश्रम भेज दिया ताकि खाने वाले मुंह कम हो सकें। अनाथाश्रम में ज्योति को अनाथ बताकर भर्ती करा दिया। अनाथाश्रम में ढेरों बच्चों के बीच पलती ज्योति अपने घरवालों से दूर कष्ट और बेचारगी की जीवन जीने को मजबूर हुई। इसी दौरान ज्योति ने अपनी मेहनत से अनाथाश्रम की सुपरिटेंडेंट का दिल जीता और सुपरिटेंडेंट उसे अपने घर बर्तन साफ करने और सफाई करने के काम पर लगा लिया। सुपरिटेंडेंट के घर पर रहकर ज्योति अनाथाश्रम में मिले कष्ट भूल जाया करती थी। वो दिल लगाकर काम करती और सुपरिटेंडेंट की तरह बड़ा बनने का सपना देखती। यहां रहकर ज्योति ने सरकारी स्कूल से दसवीं पास की और टाइपराइटिंग भी सीखी। ज्योति दसवीं पास करके एक नौकरी के सपने देखने लगी थी ताकि अपने घर लौटकर घरवालों की मदद कर सके। जब वह छोटी थीं तब एक अनाथालय में रहने को विवश थी। गरीबी से जूझ रहे उनके पिता ने उन्हें अनाथालय में यह कह कर डाल दिया कि वह उनकी लड़की नहीं है।अपने सपनों का पीछा करना कोई आसान बात नहीं है। जीवन की यात्रा में बहुत से व्यक्ति अपने सपनों को बीच में ही छोड़ देते है पर कुछ ही ऐसे बहादुर होते हैं जो विपरीत परिस्थितियों में भी सफलता प्राप्त करते हैं।

ज्योति जब 16 वर्ष की थी तभी उनकी शादी एक 28 वर्ष के उम्र-दराज़ व्यक्ति से कर दी गयी। उस समय का माहौल रूढ़िवादी प्रथाओं से बंधा हुआ था और ज्योति को यह बात बिलकुल पसंद नहीं थी। जिस व्यक्ति से ज्योति की शादी हुई थी वह बहुत ही कम पढ़ा-लिखा और एक किसान था। शादी के कुछ वर्षों तक ज्योति को शौच के लिए खेतों में जाना पड़ता था। इतना ही नहीं उसे पांच रुपये रोज कमाने के लिए कड़ी मेहनत भी करनी होती थी।

महज़ 17 वर्ष की उम्र में ज्योति ने एक बच्चे को जन्म दिया और अगले ही वर्ष दूसरी बार माँ बनी। वह दिन-भर घर के कामों में लगी रहती थी और परिवार को अच्छी तरह से चलाने के लिए सीमित संसाधनों में भी घर को अच्छे तरीके से चलाया करती थी। लेकिन इन सब के बीच ज्योति अपने जीवन से संतुष्ट नहीं थी। वह अपने इस ग़रीबी से बाहर आना चाहती थी जिसमें वह दिनों-दिन धंसती जा रही थी।

जब ज्योति रेड्डी खेतों में काम करती थी तब भी उन्हें घर चलाना मुश्किल होता था। इन सब के बावजूद भी उन्होंने अपने बच्चों को अशिक्षित नहीं रहने दिया। ज्योति ने अपने बच्चों को पास के ही तेलुगू मीडियम स्कूल में पढने के लिए भेजा।  स्कूल की फीस के लिए उन्हें 25 रुपये महीने देने होते थे और ज्योति खेतों में मजदूरी कर यह सब चुकता करती।

धीरे-धीरे ज्योति ने अपने सभी बंधनों को पीछे छोड़ते हुए आस-पास के खेतों में काम करने वाले लोगों को सिखाना शुरू किया। इसके पश्चात् उन्हें एक पहचान मिली और एक सरकारी नौकरी भी जहाँ उन्हें 120 रुपये प्रति महीने की तनख्वाह मिलने लगी। ज्योति का काम पास के एक गांव में जाकर वहाँ की महिलाओं को सिलाई सिखाना था।

शिक्षक से सीईओ बनने तक का सफर 

अलीबाबा संस्था के फाउंडर जैक मा की ही तरह ज्योति रेड्डी ने भी एक शिक्षक से एक अमेरिकन कंपनी की सीईओ बनने तक का सफर तय किया। ज्योति वारंगल के काकतिया यूनिवर्सिटी से इंग्लिश में एम.ए. करना चाहती थी पर यह संभव नहीं हो पाया।

उसके बाद ज्योति ने अमेरिका जाने का निश्चय किया। वह वहां जाकर सॉफ्टवेयर की बुनियादी बातें सीखना चाहती थी।उस समय यूएसए में बसना ही अपने आप में एक बड़ी बात थी। एक रिश्तेदार की मदद से ज्योति को वीसा मिल पाया और वह न्यू जर्सी के लिए रवाना हो गई।

अपना बिज़नेस खड़ा करने से पहले ज्योति ने न्यू जर्सी में छोटे-छोटे कई काम किये। उन्होंने सेल्स गर्ल, रूम सर्विस असिस्टेंट, बेबी सिटर, गैस स्टेशन अटेंडेंट और सॉफ्टवेयर रिक्रूटर की नौकरी कर अपने सपनों की उड़ान को नई दिशा दी। आज उनके पास यूएसए में अपने खुद के 6 घर हैं और भारत में दो घर। इतना ही नहीं आज ज्योति मर्सेडीज जैसी महंगी गाड़ियों की मालकिन भी हैं।

हालांकि आज ज्योति रेड्डी यूएसए में रह रहीं हैं लेकिन वो 29 अगस्त को हर साल भारत आना कभी नहीं भूलती। वो इस दिन भारत आकर अपना जन्मदिन उसी अनाथालय में बच्चों के साथ मनाया करती है। इतना ही नहीं ज्योति अनाथ बच्चों के लिए ढेर सारे उपहार लेकर जाती है।

एक छोटी सी उम्र में अपने से काफी उम्रदराज़ किसान के साथ शादी से लेकर सिलिकॉन वैली की सीईओ बनने तक की ज्योति रेड्डी की कहानी बड़ी अदभुत और प्रेरणा से भरी है। ज्योति रेड्डी भारत के युवा वर्ग के लिए प्रकाश-स्तम्भ की तरह हैं जो ऊँचे ख़्वाब देखने वालों को अँधेरे के पार स्थित प्रकाशमय भविष्य की ओर पहुँचने का राह दिखाती है।

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