छठ पर प्रहार? उत्तर प्रदेश और हरियाणा लगभग 150 एमजीडी गंदा पानी यमुना में छोड़ा दिल्ली दूषित?
दिल्ली सरकार का आरोप – छठ पर प्रहार? उत्तर प्रदेश और हरियाणा लगभग 150 एमजीडी गंदा पानी यमुना में छोड़ा दिल्ली दूषित?
एस. ज़ेड. मलिक (पत्रकार)
नई दिल्ली – जहां एक ओर पवित्र पूजा छठ के मद्देनजर केजरीवाल सरकार यमुना को साफ रखने की पूरी कोशिश कर रही है, वहीं उत्तर प्रदेश और हरियाणा करीब 150 एमजीडी गंदा पानी यमुना में छोड़ रहा है। यूपी सिंचाई विभाग के आधीन आने वाले ओखला बैराज में उगने वाले जलकुंभी को कभी नहीं हटाया, यह भी यमुना में झाग की बड़ी वजह है।उत्तर प्रदेश के मेरठ, मुजफ्फरनगर, शामली और सहारनपुर में चल रहे कागज और चीनी उद्योग यमुना में अपशिष्ट जल छोड़ते हैं, जिससे पानी दुषित होता है। दिल्ली जल बोर्ड के उपाध्यक्ष राघव चड्ढा ने यमुना में झाग के लिए उत्तर प्रदेश और हरियाणा सरकार को जिम्मेदार बताया है। इसके कारणों को भी उन्होंने विस्तार से रखा है। उन्होंने यमुना में झाग रोकने के लिए पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश और हरियाणा से अपनी कार्य प्रणाली में सुधार करने का आग्रह किया है।
डीजेबी के उपाध्यक्ष ने कहा कि ऐसा लग रहा है कि यूपी और हरियाणा की सरकारों को इस बात की परवाह नहीं है कि वे यमुना में गंदा पानी छोड़ रहे हैं। वहीं दिल्ली जल बोर्ड अपनी एसटीपी की क्षमता बढ़ाने पर लगातार काम कर रहा है, ताकि अनुपचारित अपशिष्ट पानी यमुना में नहीं छोड़ा जाए।
उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग की लापरवाही के कारण बन रहे झाग का खुलासा करते हुए उन्होंने कहा कि ओखला बैराज उत्तर प्रदेश सरकार के सिंचाई विभाग के अधीन आता है। उसके ढुलमुल रवैये के कारण चारों तरफ जलकुंभी के पौधे उग आते हैं। यह समझने की जरूरत है कि जब ये जलकुंभी के पौधे सड़ जाते हैं। तब वे फॉस्फेट जैसे सर्फेक्टेंट छोड़ते हैं।
यमुना नदी में झाग किस तरह बनते हैं, इस संबंध में बताते हुए राघव चड्ढा ने कहा कि फास्फेट जैसे सर्फेक्टेंट वाला पानी जब कालिंदी कुंज में ऊंचाई से गिरता है, तो यह झाग पैदा करता है। बड़ी मात्रा में निकलने वाले झाग पानी की सतह पर तैरते हैं। इस झाग को हटाना बेहद मुश्किल होता है।
यमुना नदी के झाग के कारणों पर विस्तार से बताते हुए डीजेबी उपाध्यक्ष राघव चड्ढा ने कहा कि इसके अलावा, उत्तर प्रदेश के मेरठ, मुजफ्फरनगर, शामली और सहारनपुर में संचालित कागज और चीनी उद्योग भी सर्फेक्टेंट युक्त गंदे पानी को ओखला बैराज में हिंडन नहर के माध्यम से कालिंदी कुंज के पास यमुना नदी में छोड़ते हैं। इससे झाग बनने लगता है और यमुना में जमा हो जाता है।
उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश का गंदा पानी शाहदरा नाले से और हरियाणा का नजफगढ़ नाले के माध्यम से दिल्ली आता है। दोनों राज्यों के गंदे पानी की वजह से ओखला बैराज का पानी अत्यधिक प्रदूषित हो जाता है। दिल्ली जल बोर्ड अपने अत्याधुनिक सीवेज उपचार संयंत्रों के माध्यम से गंदे पानी को शोधित कर रहा है। इसके अलावा यमुना नदी में शोधित पानी छोड़ने पर लगातार काम कर रहा है। यह अकेले दिल्ली की समस्या नहीं है। यमुना को साफ रखने के लिए उत्तर प्रदेश और हरियाणा के सहयोग की आवश्यकता होगी।
दिल्ली जल बोर्ड की ओर से एनजीटी द्वारा नियुक्त यमुना निगरानी समिति (वाईएमसी) को यूपी सिंचाई विभाग द्वारा बनाए गए ओखला बैराज में बड़ी संख्या में जलकुंभी द्वारा फॉस्फेट जैसे सर्फेक्टेंट उत्पन्न करने के बारे में पहले ही अवगत कराया जा चुका है। इसके अलावा वाईएमसी को उत्तर प्रदेश और हरियाणा द्वारा लगभग 150 एमजीडी गंदा पानी यमुना में छोड़ने के संबंध में भी बताया जा चुका है।
दिल्ली जल बोर्ड अपने सीवेज उपचार संयंत्रों की क्षमता बढ़ाने के लिए 24 घंटे काम कर रहा है। ताकि बीओडी और टीएसएस के स्तर को 10-10 के मानक अनुपात पर लाया जा सके। सीवेज और अपशिष्ट जल को शोधित किया जा सके। जहां एक तरफ डीजेबी अपनी सीवेज शोधन क्षमता को बेहतर करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा है। वहीं दूसरी तरफ हरियाणा और उत्तर प्रदेश अक्सर यमुना में गंदा पानी छोड़ते हैं। जिससे यमुना तेजी से प्रदूषित होती जा रही है।
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