नगालैंड में शनिवार रात सुरक्षाबलों की कार्रवाई में कई आम लोगों की हत्या! कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने केंद्र सरकार से जवाब मांगा है।

नगालैंड में शनिवार रात सुरक्षाबलों की कार्रवाई में कई आम लोगों की हत्या! कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने केंद्र सरकार से जवाब मांगा है।

राहुल गांधी के अलावा तृणमूल कांग्रेस नेता ममता बनर्जी और एआईएमआईएम नेता असदउद्दीन ओवैसी ने भी सवाल उठाए हैं। इन नेेेताओं ने कहा जब अपनी ही ज़मीन पर आम लोगों के साथ-साथ सुरक्षाकर्मी भी सुरक्षित नहीं हैं तो गृह मंत्रालय क्या कर रहा है?

एजेंसी

नई दिल्ली – अन्य समाचार एजेंसियों एवं बीबीसी के अनुसार बीते शनिवार की रात गश्त लगा रही सेना की एक टुकड़ी ने काम से वापस घर लौट रहे निहत्थे लोगों पर गोलियां चलाईं। जिस से इस घटना में छह लोगों की मौत हो गई। इसके बाद इस घटना से नाराज़ स्थानीय लोगों की सेना के साथ झड़प हुई जिसमें सात और आम नागरिकों और सेना के एक जवान की मौत हो गई।

 यहां के स्थानीय लोगों ने सेना पर आरोप लगाते हुए कहा कि नागा सेना अपने अभियानों में हम स्थानीय लोगों को उग्रवादी कह कर निशाना बना रही है।

प्रेस से सवाल पूछे जाने पर नगालैंड के चीफ़ सेक्रेटरी ने प्रेस बताया है कि इस मामले की जांच के लिए एक पांच सदस्यीय समिति बनाई है जो एक एडीजीपी की देखरेख में इस मामले की जांच करेगी। उस समिति को एक महीने का समय दिया गया है, समिति एक महीना में अपनी जांच पूरी कर डीजी को रिपोर्ट सौंपेगी

उन्होंने विस्तृत जानकारी देते हुए पत्रकार को बताया कि इस समिति में आईपीएस एल जमीर, आईपीएस रूपा एम., आईपीएस मनोज कुमार, एनपीएस किलांग वालिंग और एनपीएस रेलो आए शामिल हैं।इस पांच सदस्यीय समिति को एक महीने का समय दिया गया है, जो एक महीना में अपनी जांच पूरी कर डीजी को रिपोर्ट सौंपेगी।

उन्हों ने बताया कि शनिवार रात सुरक्षाबलों की कार्रवाई में कई आम लोगों के मारे जाने के मामले में मोन ज़िले के तिज़ित पुलिस थाने में स्वत: संज्ञान लेते हुए 21वीं पैरा मिलिट्री फ़ोर्स के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज की गई है. एफ़आईआर में कहा गया है कि ”चार दिसंबर को कोयले की खदानों में काम करने वाले मज़दूर एक गाड़ी में तिरु से अपने गांव ओटिंग लौट रहे थे. तिरु और ओटिंग गांव के बीच में लॉन्गखाओ में पहुंचने पर सुरक्षा बलों ने बिना किसी उकसावे के गाड़ी पर गोलियां चला दीं जिससे ओटिंग गांव के कई लोग मारे गए और कई गंभीर रूप से घायल हो गए.”एफ़आईआर में ये भी कहा है कि “घटना के दौरान कोई पुलिस गाइड नहीं था और ना ही सुरक्षा बलों के इस अभियान में पुलिस गाइड देने के लिए पुलिस थाने से मांग की गई थी. इससे ये साफ़ है कि सुरक्षा बलों का इरादा आम लोगों को मारना और घायल करना था।”

वहीं, राज्य के होम कमिश्नर अभिजीत सिन्हा ने शनिवार रात को ही मोन ज़िले में मोबाइल इंटरनेट, डेटा सर्विस और बल्क एसएमएस पर पाबंदी लगा दी थी। गृह विभाग द्वारा जारी प्रेस रिलीज़ में बताया गया है कि अफ़वाहों के कारण क़ानून-व्यवस्था न बिगड़े, यह सुनिश्चित करने के लिए ऐसा किया जा रहा है।

इस घटना पर देश के गृह मंत्री और राज्य के मुख्यमंत्री ट्वीट करके दुख जता चुके हैं और एक उच्च स्तरीय जांच कमिटी के गठन की बात कही गई है।

इस मामले में कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने रविवार को नगालैंड के मोन ज़िले में उग्रवादियों के ख़िलाफ़ चलाए गए अभियान में आम लोगों की मौत होने पर ट्वीट कर के संवेदना व्यक्त करते हुए केंद्र सरकार को कटघरे में खड़ा करते हुए पूछा कि जहां सुरक्षा बल सुरक्षित नहीं , आम आदमी सुरक्षित नही गृहमंत्रालय क्या कर रहा है, आम नागरिकों और सुरक्षाबलों की सुरक्षा की ज़िम्मीवारी कब लेंगे? वहीं राज्य के मुख्यमंत्री नेफ़ियू रियो ने ट्वीट करके बताया था कि मोन ज़िले के ‘ओटिंग में आम लोगों का मारा जाना बेहद दुखद है और वो इसकी निंदा करते हैं.’

वहीं इस मुद्दे पर टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी ने भी चिंता एवं संवेदना व्यक्त हुए ट्वीट किया की नगालैंड से चिंताजनक ख़बर आ रही है। शोक संतप्त परिवारों के प्रति हार्दिक संवेदना व्यक्त करती हूं , मैं घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की प्रार्थना करती हूं, हमें घटना की गहन जांच सुनिश्चित करनी चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि सभी पीड़ितों को न्याय मिले!”

एआईएमआईएम नेता असदउद्दीन ओवैसी ने मृतकों के परिजनों के प्रति संवेदना जताई है और कहा है कि गृह मंत्री को बर्ख़ास्त किया जाना चाहिए। उग्रवादियों  के साथ उन्होंने समझौता करने की बात धोख़ा थी। नवंबर में मणिपुर में सात अफ़सरों को उग्रवादियों ने मार दिया था। उत्तरपूर्व में शांति नहीं है, केवल हिंसा है।”

सवाल है कि पारा मिलिट्री फोर्स एवं सीआरपीएफ के ही दल में ऐसे मनुवादी विचारधारा वाले बहाल कैसे हो जाते हैं ? जो निहत्थे , निर्दोषों पर गोलियां चलाते हैं  हत्या करते हैं और उन्ही सरकार से सम्मानित किया जाता है? दिल्ली सी ए ए , प्रोटेस्ट जामियाँ मिलिया इस्लामिया में घुस कर लाइब्रेरी में तोड़फोड़ और छात्रों को बेरहमी से पिता , जेएनयू में पुलिस की संरक्षण में होस्टल में छात्रों को बुरी तरह से पिता, पूर्वी दिल्ली का भजनपुरा जहां दंगाइयों ने पुलिस की निगरानी में आगजनी और लूटमार और हत्या को अंजाम दिया। किसान आंदोलन में भेजपा नेता पुलिस संरक्षण में  किसानों को धमकी देते रहे ,और पुलिस द्वारा किसानों पर लाठीचार्ज, पुलिस की गोली से किसानों की मौत और इन सभी परिकर्ण मे न किसी पुलिस पर कोई कारवाई और न किसी की गिरफ्तारी। ???

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