प्रदूषण की बढ़ती समस्या के प्रति हम आम लोग कितने जागरूक ??

आलेख
प्रदूषण की बढ़ती समस्या के प्रति हम आम लोग कितने जागरूक ??

लेखिका- सुनीता कुमारी
पूर्णियाँ बिहार

क्या कभी आपने सुना है कि, किसी जानवर ने प्रदूषण फैला दिया हो, हम में से हर किसी का एक ही जवाब होगाकि, शायद नहीं ।
आज तक किसी ने देखा नही है कि, किसी जानवर ने ध्वनि प्रदूषण ,वायु प्रदूषण या मृदा प्रदूषण फैलाया है। अगर देखा भी है तो वहां जहां जानवरों को पालतू पशु के रूप में पाला है।
ढ़ेर सारे ,गाय ,भैंस ,बकरी सुअर इत्यादी जानवर को इकट्ठा इकट्ठा कर जहां रखा जाता है उनके आसपास
प्रदुषण होते है,मगर उनकी साफ सफाई भोजन पानी का लोग पूरा ध्यान रखते है ।
जहां जानवर प्राकृतिक तरीके से रहते हैं वहां पर प्रदूषण नहीं होता है।
प्रदूषण का एक सबसे बड़ा कारण हम “इंसान” हैं।
हम इंसान शिक्षित,संस्कारी ज्ञानवान गुणवान होते हुए भी प्रदूषण फैलाते है। हर तरह के प्रदूषण फैलाते है चाहे ध्वनी प्रदूषण हो,वायु प्रदूषण हो ,मृदा प्रदूषण हो जल प्रदुषण हो सभी प्रदुषण को वे फिक्र होकर बढ़ा रहे है।
हर बार दिवाली पर वायु प्रदूषण का का विकराल रूप दिपावली के अगले दिन देखने के लिए मिलता है ।
लगभग देश के सभी शहरों में वायु प्रदूषण का लेवल इतना बढ़ जाता है कि सांस लेना मुश्किल हो जाता है ।अस्पतालों में दीपावली के बाद अचानक से सांस संबंधी बीमारियों के मरीजों की लाइन लग जाती है इसका ताजा उदाहरण दिल्ली है जहां दिवाली के बाद हर साल इतना प्रदूषण बढ़ता है कि ,हवा में सांस लेना मुश्किल हो जाता है, दिवाली के दिवाली के अगले दिन दिल्ली का एक AQI Index लेवल 533 था जो जहरीला से भी ज्यादा जहरीला होता है।
वही नोएडा का AQI index लेवल 622 था एवं गुरुग्राम का AQI Index लेवल 591 था ।जो नॉर्मल से बहुत ज्यादा ही खतरनाक स्थिति में था और यह हर बार दीपावली के बाद होता है ।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी दिल्ली में जमकर पटाखे फोड़े गए हिंदूवादी लोगों की दलील थी कि मात्र दिवाली में क्यों पटाखे बैन होते है न्यू ईयर पार्टी ,क्रिकेट के खेल में टीम इंडिया की जीत के बाद , फोड़ने वाले पटाखे से भी तो प्रदूषण फैलता है ,
शादी पार्टी में भी पटाखे फोड़े जाते है तो मात्र दीवाली पर ही पटाखे फोड़ने पर मैं क्यों बैन लगाए जाते हैं?? दिवाली में पटाखे फोड़ना दिवाली का हिस्सा है इसी तर्क के साथ लोगों ने जमकर पटाखे फोड़े और हर बार फोड़ते हैं इसका नतीजा दिवाली के अगले दिन देखने के लिए मिलता है ।
मनुष्यों की सोच क्यों इतने विकृत होती जा रही है सभी लोग जानते हैं कि प्रदूषण से सिर्फ और सिर्फ हानि ही हानि है फिर भी हम लोग प्रदूषण फैलाए जा रहे हैं।
जैसे-जैसे प्रकृति से दूर होते जा रहे हैं वैसे वैसे प्रदूषण बढ़ता जा रहा है ।जो पेड़ पौधे वायु प्रदूषण को रोकते है हम उन्हें ही हम काट डालते हैं , उनके ही प्रति हम लापरवाह होते है ,क्या यह सही है??
लगभग 80% जनता भारत में शिक्षित हो चुकी है परंतु प्रदूषण के मामले में 100% जनता महामूर्ख बनी हुई है। शादी विवाह पार्टी फंक्शन क्रिकेट न्यू ईयर सब पर जमकर पटाखे फोड़ती है । पटाखे को भारत में हमेशा के लिए बंद करना करना जरूरी हो गया है अन्यथा आने वाले समय में यह प्रदूषण का लेवल बढ़ता जाएगा और स्वास जनित बीमारियां भी बढ़ती जाएंगी।
भारत में गाड़ियों की वजह से 28% ,पावर प्लांट की वजह से 11% ,डीजल जनरेटर की वजह से 10%, कचरा जलाने से 4% ,कारखाने से 30% ,धूल मिट्टी से 17% वायु प्रदूषण होता है ।
इस इस प्रदूषण में पराली का भी सहयोग होता है। जैसे-जैसे हम मनुष्य प्रकृति को छोड़कर कृत्रिमता की ओर बढ़ते जा रहे हैं वैसे वैसे प्रदूषण भी बढ़ता जा रहा है।
हद तो तब है जब हम शिक्षित होने के बाद भी इस दिशा में कदम नहीं उठा रहे हैं, सतर्क नहीं हो रहे हैं ।घर को साफ स्वच्छ रखने में हम जितना ध्यान देते हैं उतना ही ज्यादा हम सड़कों को हम अपने घरों के आसपास कि खाली जगहों को प्रदूषित करते हैं ,जहाँ तहाँ कचरा फेंकते हैं जिससे वायु प्रदूषण बढ़ता है।
2020 की कोरोना महामारी ने लोगों को मास पहना दिया और यह मास्क सिर्फ कोरोना ही नही प्रदूषण की वजह से भी जरूरी हो गया है।
छोटे शहरो के हर गली मोहल्ले में प्रदूषण का लेवल इतना बढ़ गया है कि सांस लेना मुश्किल हो रहा है ।आप सब्जी मार्केट से होकर चले जाइए या फल मार्केट से होकर चले जाइए या या सड़कों के किनारे पैदल
चलिए हर जगह प्रदूषण ही प्रदूषण है ।
लोगों के घर जितने साफ स्वच्छ होते हैं ,घर से बाहर उतना ही प्रदूषण बढ़ा हुआ रहता है कि,घर से बाहर बिना कोरोना के बिना भी मास्क पहनना जरूरी है।
एक कोशिश स्वच्छता अभियान के माध्यम से की गई थी कि , हर जगह साफ और स्वच्छ रखा जाए ,प्रदूषण को रोका जाए, परंतु यह कारगर साबित नहीं हो रहा है।
लोग समझ ही नहीं रहे हैं प्रदूषण से कितना नुकसान हो रहा है ।जो लोग स्वस्थ हैं उन्हें तो फर्क नहीं पड़ रहा है लेकिन जो बुजुर्ग है बच्चे हैं उनके स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है।
जितना प्रदूषण वायु प्रदूषण से फैल रहा है ,उतना ही प्रदूषण ध्वनि प्रदूषण और मृदा प्रदूषण में भी फैल रहा है ।
ध्वनि प्रदूषण का भी हमारे समाज में विकृत रूप देखने को मिल रहा है। आए दिन शादी विवाह के मौकों पर गाजे बाजे ,डीजे पटाखे बजते और फोड़े जाते हैं, जिसकी भयानक ध्वनि कुछ ही लोगों को अच्छी लगती है जो उस विवाह समारोह में शामिल होते हैं। बाकी आस पड़ोस के लोग बुजुर्ग लोग छात्र जिनकी परीक्षाएं या क्लासेस होते हैं, वे लोग गाजे बाजे बैंड पार्टी, पटाखे डीजे से अत्यधिक परेशान होते हैं। अनिद्रा तो होती ही है ,साथ ही बेचैनी भी होती है।
सरकार को उन सब चीजों को भी बैन करना चाहिए जिससे ध्वनी प्रदूषण होता है। शादी विवाह में आतिशबाजी पर भी रोक लगाने जरूरी है क्योंकि आधी रात के वक्त विवाह समारोह में फोड़े जाने वाली आतिशबाजी बहुत ही तकलीफ देह होती है उन लोगों के लिए जो लोग दिन भर काम कर रात को आराम से सोना चाहते हैं ,वे बुजुर्ग जो बिमार है।
हम आम लोगों को ही समझना होगा कि , प्रदुषण से कैसे बचें ,अपने बुजुर्ग अपने बच्चों का कैसे ध्यान रखें, इसलिए गाजों बाजों का विरोध करना प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य हो गया जिनसे ध्वनी प्रदूषण फैलता है।
वायु प्रदूषण ध्वनि प्रदूषण की तरह ही खतरनाक स्टेज में जल प्रदूषण भी है पृथ्वी पर बढ़ते कचरे के कारण जल का का भी प्रदूषण लेवल बढ़ा हुआ है।
भारत की लगभग सभी नदियां नालों का रूप ले चुकी हैं जो सोचने मात्र से शर्मनाक लगता है हम शिक्षित लोग पृथ्वी पर हर जरूरी और सुंदर चीजों को प्रदूषित कर रहे हैं। भौतिकवादी जिंदगी को बढ़ावा देने चक्कर में हम जिस जमीन पर रह रहे हैं उसी का नाश कर रहे हैं अगर अब नहीं जागे तो बहुत देर हो जाएगी ।
सरकार को तथा आम जनता को मिलकर इस दिशा में कदम उठाना होगा।
जिस भी कार्य या वस्तु से प्रदूषण फैलता है उससे बचना होगा।अधिक से अधिक पेड़ लगाने होंगे ,रोजमर्रा की जिंदगी में वैसे वाहन वैसे संसाधन का प्रयोग करना होगा जिससे प्रदूषण नही होता है इसमें बैटरी वाले वाहन बेहतर विकल्प है।
सरकार को वैसे कलकारखानो पर भी पाबंदी लगानी होगी जो प्रदूषण के गाइडलाइन की अनदेखी करते है।
आम जनता एवं सरकार की जागरूकता से ही प्रदूषण की समस्या से मुक्ति मिल सकती है।
वायु प्रदूषण, ध्वनी प्रदूषण, जल प्रदूषण ,मृदा प्रदूषण सब पर रोक लगाने के लिए ठोस नीति के साथ ठोस कार्यवाई भी आवश्यक है।

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