मौलाना कलीम सिद्दीकी को तुरंत रिहा किया जाए – जमाअत इस्लामी हिन्द
एस. ज़ेड. मलिक (पत्रकार)
नई दिल्ली – मौलाना कलीम सिद्दीकी को यूपीएटीएस द्वारा गिरफ्तार किए जाने की खबर देश के सभी न्यायप्रिय नागरिकों के लिए चिंता का विषय है।
जमाअत इस्लामी हिन्द के अमीर सैयद सआदतुल्लाह हुसैनी ने एक विज्ञप्ति जारी कर उसमें मांग की है कि मौलाना कलीम सिद्दीकी पर लगे कथित आरोप बेबुनियाद हैं, क्या केवल सरचालक संघ के प्रमूख मोहन भागवत से मिलना उनका बहुत बड़ा गुनाह हो गया। यह उत्तर प्रदेश प्रसाशन व सरकार सुनिश्चित कर उनके साथ न्याय किया जाए, एंव उनका मुक्दमा बिना शर्त वापस लेकर उन्हें तुरंत रिहा किया जाए।
मौलाना कलीम सिद्दीकी न केवल मुसलमानों के बीच सम्मानिये हैं बल्कि गैर-मुस्लिम समाज में भी एक सम्मानित एंव व्यक्ति हैं। उनकी गिरफ्तारी से भारत के दोनो समूदायओं में बेचौनी फैल गई है। उन जैसे आलीम की गिरफ्तारी ने एक बार फिर यूपी सरकार पर सवाल खड़े कर दिए हैं। इसे यूपी में आगामी चुनावों के संदर्भ में हिंदू-मुस्लिम नफरत को बढ़ावा देने का एक शर्मनाक एंव हास्यपद प्रयास भी माना जा रहा है जो बेहद अशोभनिये और निंदनिये है।
जीह के अमीर सैयद सआदतुल्लाह हुसैनी ने कहा की हम हकूमत और पुलिस को यह याद दिलाना चाहते हैं कि हमारे देश में धर्म और आस्था पर अमल करना और उसका प्रचार करना हर नागरिक का बुनियादी, मानवीय और संवैधानिक अधिकार है। उसी तरह, हमारे संविधान ने प्रत्येक नागरिक को अंतःकरण की स्वतंत्रता दी है कि वह जो भी विचारधारा या आस्था को पसंद करता है उसे अपनाएं। इन स्वतंत्रताओं को कम करने या प्रतिबंधित करने का कोई भी प्रयास एक अमानवीय और असंवैधानिक प्रयास होगा और इन नापाक प्रयासों का विरोध करना देश के सभी गंभीर नागरिकों की जिम्मेदारी है। हम यह भी स्पष्ट करना चाहते हैं कि बल या लालच से किसी के विश्वास को बदलना न केवल इस्लाम की शिक्षाओं के खिलाफ है, बल्कि इसकी मूल अवधारणाओं के भी खिलाफ है। इस्लाम का कोई भी जानकार ऐसा नहीं कर सकता। जिस तरह समाज के विभिन्न सम्मानित और सम्मानित सदस्यों को सरकार के मुखालिफ व्यक्तित्वों पर आरोप लगाने और उन्हें परेशान करने का सिसला जारी है उसके सन्दर्भ में मौलाना पर लगाए गए आरोप वास्तविकता भी समझ में आती है। राजनीतिक विरोधियों के साथ इस तरह के कार्यों के लिए पुलिस और कानून प्रवर्तन एजेंसियों का दुरुपयोग देश के भविष्य के लिए बेहद खतरनाक है। ऐसा लगता है कि यूपी सरकार के पास अपना प्रदर्शन पेश करने के लिए सकारात्मक रिकॉर्ड नहीं है। इसलिए वह लगातार सांप्रदायिक विभाजन और तनाव पैदा करने के पैदा करने वाले क़दम उठा रही है। समाज में नफरत फैलाकर राजनीतिक सत्ता हासिल करने या उसे बनाए रखने के प्रयास पूरे राज्य ही नहीं बल्कि पूरे देश के लिए हानिकारक हैं।
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