समाज सेवा का जुनून पर आप का सहारा? दिल्ली राजनीतिक अखाड़े में आप ने एक नया पहलवान उतारा ।
समाज सेवा का जुनून पर आप का सहारा? दिल्ली राजनीतिक अखाड़े में आप ने एक नया पहलवान उतारा ।
समाज सेवा का जुनून पर आप का सहारा? दिल्ली राजनीतिक अखाड़े में आप ने एक नया पहलवान उतारा ।
एस. ज़ेड . मलिक (पत्रकार)
नई दिल्ली – यूं तो राजनीतिक अखाड़े में आये दिन नये नये योद्धा अपना भाग्य अज़माने आते रहते हैं , कुछ ताल ठोक कर उस्ताद से हाँथ मिला कर, दांव सीखने वाले लाइन में लग जाते हैं , तो कुछ उस्ताद का आशीर्वाद ले कर लंगोटा कस कर दो दो हाँथ आज़माने अपने प्रतिद्वंदी से भीड़ ही जाते हैं, चाहे परिणाम जो भी हो, उन्हें परिणाम की चिंता नहीं होती उन्हें केवल इस बात की चिंता रहती हैं कि मुझे अखाड़े में किसी पहलवान से लड़ने का अवसर तो मिला,
अब मुझे भी लोग पहलवान कहेंगे, लेकिन कुछ लोग अखाड़े में कदम रखने के पहले अपना गुरु बनाते हैं उनका सम्मान और उनकी सेवा में लग जाते हैं कुछ साल गुरु के साथ लगे रहने बाद उनसे कुछ दांव सीखते हैं फिर वह परिपक्व होने के बाद अखाड़े में उतरते हैं तो वह धुरन्धर कहलाते हैं। लेकिन मैं जिनकी बात करने जा रहा हूँ , जिन्हें में व्यक्तिगत तौर पर पिछले 10 वर्षों जानता हूं, – उन्हें मैंने किसी को अपना गुरु मानक उनकी सेवा करते नहीं देखा है उन्हें निवर्तमान में दिल्ली के मुख्यमंत्री को ईमानदारी में निस्वार्थ भाव से जनता की सेवा करनेवाले अरविंद केजरीवाल को अपना आदर्श और प्रेरणास्त्रोत मानते हुए उनके पद चिन्हों पर चलने कोशिश करते हुए देख रहा हूँ , पूठ कलां निवासी मुकेश कुमार सोलंकी आज किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं । युवा कर्मठ ईमानदार निष्ठावान कर्मयोगी समाज सेवी पहलवान जो अपने क्षेत्र के युवाओं के लाडले एकलौते प्रेरणास्त्रोत हैं। उनकी जितनी भी प्रसंशा की जाए कम है इसी संदर्भ में पत्रकार से अनौपचारिक बात-चीत में उन्होंने बताया कि उनका समाज का निस्वार्थ कार्य करने का मक़सद न पैसा कमाना है ना राजनीति करना है और न पार्षद, विधायक, सांसद बनने की कोई लालसा ही है, बल्कि जनता मुझे किस रूप में देखना चाहती है यह हमारे चाहने वाले बता सकते हैं और जिन्हें मैं अपना आदर्श मानता हूं , केजरीवाल जी को वह मुझे किस रूप में देखना चाहते हैं यह उन पर आश्रित है। में एक समाज सेवक हूँ , जनता की सेवा करना में अपना परम् कर्तव्य और धर्म समझता हूं, पार्टी इस समय सत्ता में है यदि पार्टी मुझे इस योग समझती है कि मैं चुनाव लाडू और यदि पार्टी कहीं से भी मुझे चुनाव लड़ाती है तो मैं अपना सौभाग्य समझूंगा अन्यथा मैं एक सामाजिक कार्यकर्ता तो हूँ ही। समाज के लिये मैं समर्पित हूँ।
मुकेश जी एक सवाल के जवाब देते हुए कहा कि में जो कुछ भी करता हूं अपने बलबूते पर करता हूँ, सरकार जनता की सेवक है और मैं भी उन्ही सेवक में से एक हूँ, अगले महीने से मैं अपने वार्ड से एक एभियान चलाने जा रहा हु, कोई भूखा न सोये, 1 रुपये में भर पेट भोजन देने का मेरा लक्ष्य है। और गरीब परिवार को गर्म कपड़े वितरित करेंगे फिलहाल अपने क्षेत्र में जगह जगह कैम्प लगा कर आधार कार्ड, पहचानपत्र, लेबर कार्ड, जैसी सुविधा प्रदान कर रहे हैं। वृद्धा पेंशन का फॉर्म भी शुरू करवा रहे हैं।
अब सवाल है कि तन-मन-धन, खुले विचार और मीठे स्वाभाव के अभिव्यक्ति मुकेश कुमार सोलंकी राजनीतिक अखाड़े के एक ऐसे पहलवान हैं जिन्हें राजनीति के दाँव-पेच नही आता, सीधे सादे मुंह पर बाते करने वाले व्यक्ति इस राजनीतिक अखाड़े में अपने सच्चाई के बल पर कैसे टिक पायेगा ? क्या राजनीतिक धुरन्धर इन्हें राजनीतिक अखाड़े में टिकने देंगे? जबकि आज के माहौल में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल राजनीतिक अखाड़े के एक ऐसे पहलवान बन चुके हैं कि आज बड़े बड़े तुर्रमखां केजरीवाल की राजनीतिक दाव के आगे टिक नही पा रहे हैं, मात्र एक केजरीवाल ही एक ऐसी राजनीतिक अखाड़े की शख्सियत मैदान में आये जिन्होंने कांग्रेस को दिल्ली की धरती से ही उजाड़ दिया। उन्हीं की पार्टी आज आम आदमी पार्टी पंजाब में कांग्रेस को बिखरने पर मजबूर कर दिया। और उत्तर प्रदेश में योगी सरकार हाड़ हिल रहे हैं। अब देखना मुकेश कुमार पर केजरीवाल का कितना असर है, और केजरीवाल जी का मुकेश कुमार को कितना सहयोग करते हैं? प्रतीक्षा करें।
Comments are closed.