क्या सोनिया परिवार अपने काँग्रेसियों से अनभिज्ञ है ? कांग्रेस को आरएसएस चला रही है?

क्या सोनिया परिवार अपने काँग्रेसियों से अनभिज्ञ है ? कांग्रेस को आरएसएस चला रही है?

कांग्रेस में आरएसएस के कैडर कांग्रेसी नक़ाब में कांग्रेस पर हावी हैं, उनको बेनक़ाब कौन करेगा? – कांग्रेस में आज भी घमण्ड दरबारियों के सर चढ़ कर बोलता है –

एस ज़ेड. मलिक. (पत्रकार)

नई दिल्ली – वर्तमान में तीन राज्यों में कांग्रेस शासित प्रदेश में आंतरिक तौर कहीं पद के लिये तो कहीं अपने वर्चस्व के लिए तो कहीं निजी स्वार्थ के लिये कांग्रेसी आपस मे लड़ते झगड़ते और रुष्ट होते दिखाई दे रहे हैं। कांग्रेस की अंदरूनी कलह थमने का नाम नही ले रहा है जहां एक ओर ओर कांग्रेस की आला कमान पार्टी के अंदरूनी कलह से परेशान हैं, वहीं आगामी होने वाले पांच राज्यों में चुनाव की चिंता इन्हें खाये जा रही है, इसे के मद्देनजर पिछले दिनों 16 अक्तूबर 2021 को 24 अकबर रोड पार्टी मुख्यालय में चिंतन एवं समीक्षा बैठक का आयोजन किया गया जिसमें में कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी, पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा, संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल तथा अन्य महासचिव, प्रभारी एवं प्रदेश कांग्रेस कमेटियों के अध्यक्ष शामिल हुए। यह बैठक कांग्रेस कार्य समिति की बैठक में सदस्यता अभियान, महंगाई के मुद्दे पर जन-जागरण अभियान तथा संगठनात्मक चुनाव के तय किए गए कार्यक्रमों की पृष्ठभूमि में हुई है।

कांग्रेस कार्य समिति की बैठक में संगठनात्मक चुनाव का कार्यक्रम तय करने के साथ ही सदस्यता अभियान चलाने का निर्णय लिया गया, जिसे आगामी एक नवंबर से शुरू किया जाएगा , जो अगले साल 31 मार्च तक चलेगा। इसके साथ ही यह भी फैसला लिया गया कि 14 से 29 नवंबर के बीच महंगाई के मुद्दे पर कांग्रेस की ओर से राष्ट्रीय स्तर पर जन-जागरण अभियान चलाया जाएगा।

बहरहाल पार्टी आलाकमान सोनिया गांधी ने केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर जमकर निशाना साधा और पार्टी नेताओं एवं कार्यकर्ताओं का आह्वान किया कि अगर लड़ाई जीतनी है तो जनता के समक्ष भाजपा तथा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के ‘दुष्प्रचार’ एवं ‘झूठ’ को बेनकाब करना होगा। उन्होंने कहा, ”हमें भाजपा, आरएसएस के द्वेषपूर्ण दुष्प्रचार के खिलाफ लड़ना है। अगर यह लड़ाई जीतनी है तो हमें पूरे संकल्प के साथ यह करना होगा और जनता के समक्ष उनके झूठ को बेनकाब करना होगा।

लेकिन यह तभी सम्भव है जब कांग्रेस के दिग्गज अपनी स्वार्थी मानसिकता त्याग कर इंदिरागांधी या राजीवगांधी के समय वाली सहयोग और एकजुटता की भावना से काम करेंगे, तो सम्भवता कांग्रेस फिरसे मज़बूत हो सत्ता में लौट सकती है, परन्तु अब ऐसा सम्भव नहीं है।

बहरहाल अपने इस बैठक में सोनिया गांधी ने जोर देकर कहा, ”अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी रोजाना विभिन्न मुद्दों पर महत्वपूर्ण और विस्तृत बयान जारी करती है। परंतु यह ब्लॉक और जिला स्तर के हमारे कार्यकर्ताओं तक यह नहीं पहुंचता। यह बात सौ फीसदी सही है , आलाकमान ने बिल्कुल सही कहा, मेरा व्यक्तिगत अनुभव रहा है कि कांग्रेस में जो जिस पोस्ट हावी हो गया वह अपनी जागीर समझने लगता है और अपने से छोटे कार्यकर्ताओं को सम्मान देना तो दूर वह अपने कार्यर्ताओं के साथ रैय्यती व्यावहार अपनाते हैं जिसके कारण ज़मीनी कार्यकर्ता उनसे नहीं बल्कि पार्टी से क्षुब्ध हो जाते हैं और यार का गुस्सा भतार पर वाली कहावत पर आधारित पार्टी का नुक़्सान करते हैं।

यह तो नीतिगत मुद्दे हैं जिन पर स्पष्टता एवं समन्वय के अभाव का पता चलता है तथा यह राज्य स्तर के नेताओं के बीच भी है।”

उन्होंने पार्टी सीनियर नेताओं से कहा, ”आपको हमारे कार्यकर्ताओं को इस तरह प्रशिक्षित करना होगा कि वह भाजपा – आरएसएस की ओर से चलाए जा रहे दुर्भावनापूर्ण दुष्प्रचार का मुकाबला कर सकें। उन्होंने ने पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव का उल्लेख करते हुए कहा, ”आने वाले महीनों में पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। इन राज्यों में कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ता और नेता कमर कस लें। हमारा चुनाव अभियान समाज के सभी तबकों के साथ चर्चा के बाद सामने आई ठोस नीतियों एवं कार्यक्रमों के आधार पर होना चाहिए।” उन्होंने कहा, ”मैं फिर इस बात पर जोर देना चाहूंगी कि अनुशासन और एकजुटता की जरूरत है। आप और हम सबके लिए यह मायने रखता है कि संगठन मजबूत हो। यह व्यक्तिगत आकांक्षाओं से ऊपर होना चाहिए। इसी में सामूहिक और व्यक्तिगत दोनों सफलताएं निहित हैं।”

लेकिन अब सवाल है कांग्रेस के लगभग सभी नेता अपने आपको हिन्दू समझते है, और इसी चाह में अब अपने आपको शामिल कर वह 100 करोड़ में अपने आपको बाहुलता वादी समझते है तथा सत्तारूढ़ भाजपा आरएसएस के हिन्दू विचारधारा वाली नीतियों का तोड़ तो कांग्रेस के पास अब है नहीं, तो कांग्रेस हिंदुत्व मानसिकता वाले आरएसएस के कैडर वह तो आंतरिक तौर आरएसएस समर्थित सत्तारूढ़ भाजपा का ही साथ देंगे न कि कांग्रेस परिवार सोनिया, राहुल,प्रियंका का? और यही लोग कांग्रेस का मुखौटा पहने हुए अपने आपको कांग्रेस कहने वाले अपने मनुवादी विचारधारा के तहत दलित पिछड़े का इस्तेमाल अपनी प्रोपर्टी की तरह करते हैं। वह दौर और था जब कांग्रेस मुसलमानो को वोट बैंक समझती थी और बैलेंस की खातिर तरजीह देती थी । तो सोनिया जी जिन नेताओं को भाजपा और आरएसएस के चेहरे से झूठ का नक़ाब उतारने के लिये उम्मीद जताते हुए आदेश दे रही हैं या मशवरा दे रही हैं, तो सवाल है कि पहले अपने नेताओं का नक़ाब तो उतरवा लें ताकि समझ मे आ जाये की यह नेता भाजपा के हैं या आरएसएस या कांग्रेस के ? “अपना सोना खोटा तो पर का क्या दोष” – अब तो कांग्रेस के लीबादे में हिंदुत्वादी लोग जिन्होंने कांग्रेस को अंदर तक जकड़ रखा हैं । ऐसी स्थिति में कांग्रेस किसका मुकाबला करेगी, कैसे और क्यूँ ? यदि कांग्रेस अपने यहां से मुख्य 5 पिलरों को हटा दे तो आरएसएस के 28 लोगो की बनाई हुई कांग्रेसी छत भी धराशाई हो जाएगी। तब पता चल जाएगा कांग्रेस में कितने असली कांग्रेसी बचे या हैं?

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