सीमांचल के एक बुद्धिजीवी पत्रकार एवं लेखक स्वर्गीय अब्दुल क़ादिर शम्स के जीवन पर आधारित दो पुस्तकों का वोमोचन कार्यक्रम का आयोजन।
सीमांचल के एक बुद्धिजीवी पत्रकार एवं लेखक स्वर्गीय अब्दुल क़ादिर शम्स के जीवन पर आधारित दो पुस्तकों का वोमोचन कार्यक्रम का आयोजन।
एस ज़ेड. मलिक (पत्रकार)
नई दिल्ली – फोरम फ़ॉर इंटेललेक्चुअल डिस्कोर्स द्वारा ओखला के अबुफ़ज़ल जमाते इस्लामी हिन्द के कॉन्फ्रेंस हॉल में लेखक डॉ0 नोमान क़ैसर और मोहम्मद आसलाम खान द्वारा लिखित “वह जो शम्स था सरे आसमां” यह पुस्तक पत्रकार एवं लेखक स्वर्गीय अब्दुल क़ादिर शम्स के जीवन पर आधारित तथा उनके द्वारा लिखित लघुकथाएं एवं संक्षेपत कहानियों का संग्रह है तथा लेखक-एहसान क़ासमी द्वारा लिखित “सीमांचल के अफ़साना निगार” इस पुस्तक में सीमांचलिय स्वर्गीय शम्स द्वारा लिखित कहानियों और लघुकथाओं का ध्यान रखते हुए उनके लेखन की चर्चा एवं उनकी प्रसंशा की गई है। इन 2 पुस्तकों का वोमोचन कार्यक्रम का आयोजन किया गया । इस अवसर पर सभा की अध्यक्षता एवं पुस्तकों वोमोचन मुख्य अतिथि पद्मश्री प्रोफेसर अख़्तरुल वासे, एवं विशेष अतिथि के रूप में उपस्थित डा0 प्रोफेसर परवेज़ शहरयार ने किया, तथा स्वागत कर्ता, प्रोफेसर हसन रज़ा, जनाब सिराज नक़वी, फोरम के महासचिव जनाब मंज़र इमाम ने मंच संचालन किया , डा0 मोहम्मद अजमल, जनाब आबिद अनवर, ने पुस्तक पर अपने विचार प्रस्तूत किया वहीं, “वह जो शम्स था सरे आसमां” के किरदार सीमांचल के प्रसिद्ध उर्दू लेखक पत्रकार स्वर्गीय मोहम्मद शम्स के जीवन आधारित जिन्होंने अपने जीवन मे जो भी अफसाने व लेख लिखे उन सभी को लेखक-डॉ0 नुमान क़ैसर, मोहम्मद असलम खान, ने संग्रहित कर इस पुस्तक में एक गुलदस्ता का रूप दिया है। इन्होंने इनके लेखन पर अपने अपने विचार प्रस्तुत करते हुये जनाब मोहम्मद आसलाम खान भावुक हो गये जो उनके गले से निकलने वाली स्वर रूंध गई और वह नम पलकों से मंच छोड़ दिया। वहीं इस पुस्तक पर अपना व्याख्यान देने वाले में जनाब हक़्क़ानी क़ासमी, डा0 वारिस मज़हरी, डा0 ख़ालिद मुबसशिर, डा0 जसीमुद्दीन, तथा सीमांचल के अफ़साना निगार” पर प्रोफेसर अबूबकर आबिद, जनाब अब्दुल मन्नान, डॉ0 अहम्द अली जौहर, डॉ0 नौशाद नमज़र ने अपने व्याख्यान दिया। तथा जामियाँ मिलिया इस्लामिया के प्रोफ़ेसर अब्दुल ख़ालिक़ साहब ने बहुत संक्षेपत व्याख्यान में लेखक की प्रसंशा समेट ते हुये अपनी बात पूरी की, मुख्य अतिथि पद्मभूषण प्रोफेसर अख़्तरुल वासे साहब ने पुस्तक का विमोचन कर लेखक अब्दुल क़ादिर शम्स की प्रसंशा करते हुए कहा कि वह बहुत ही मुख़लिस, अपनी धरती से जुड़े हुए व्यक्तित्व का धनी व्यक्ति इस संसार मे बहुत कम पाये जाते हैं। उन्होंने जो सबसे अतुल्य और बहुमूल्य व्याख्यान में समाज के प्रति अपना दर्द छलकाते हुए कहा कि हमे हिंदुस्तान की चिंता है, हमे समाज के तमाम शिक्षित बुद्धिजीवी ज्ञानियों को एक मंच पर लाने की आवश्यकत है, हमे इस पर विचार करना चाहिए।
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