सुप्रीम कोर्ट के जज ने हास्यस्पद बना दिया भारत के न्यायपालिका को
या भारत सरकार की प्रशासनिक व्यावस्था, न्यायपालिका क्या अब विधायिका के अधीन काम करेगी - शिव भाटिया-
सुप्रीम कोर्ट के जज ने हास्यस्पद बना दिया भारत के न्यायपालिका को ? या भारत सरकार की प्रशासनिक व्यावस्था, न्यायपालिका क्या अब विधायिका के अधीन काम करेगी – शिव भाटिया
एस. ज़ेड. मलिक (स्वतंत्र पत्रकार )
महंगाई, बेरोज़गारी भ्र्ष्टाचार, दुष्कर्म, हत्याएं, सरकार के सहयोग से दिन प्रति दिन बढ़ता जा रहा और भारत का विकास दर, जीडीपी , ग्रोथ रेट , निचले पायदान पर आ गया, और उधोग धंधे, ओधोगिक कारोबार , आयात निर्यात समाप्त कर दिया दिया गया, भारतीय जन हित मंत्रालय, के विभाग निजीकरण कर दिए गए और आम जनता शांत है अंदभक्त तालियां बजा रहे हैं, मीडिया ज़ोरदार सरकार की प्रशंसा में रात दिन एक किये हुए है । यह भारत की विडंबना नहीं तो और क्या है । आज इन्हीं मुद्दों पर
कांग्रेस के जाने माने वरिष्ठ नेता शिव भाटिया अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त कर रहे हैं। वह कहते हैं की यह बड़ी अजीब सी बात हैं मुसलमान अब आईएएस, आईपीएस में भी घुसपैठ करने लगे, यह मै नहीं कह रहा हूँ, मोदी का चहिता सुदर्शन चैनल कह रहा है ! सारे दिमाग अब भारतीय मुसलमानों के पास ही है। क्या पता यह कहना भूल गया कि या अभी पता नही चला है, शायद मोदी मीडिया अभी गहन जांच में जुटी हुई है कि सुप्रीम कोर्ट ने विश्व प्रख्यात अधिवक्ता प्रशांत भूषण पर 1 रुपया का जुर्माना किसके कहने पर लगाया शायद उस मुसलमान तक मेडिया पहुंचने की कोशिश कर रही है, जिसने सुप्रीमकोर्ट को खरीद कर विश्व विख्यात अधिवक्ता प्रशांत भूषण को एक रुपया जुर्माना लगाने पर माजबूर कर दिया।
अब तो यह मानना पड़ेगा की अंदभक्तों का देश बन चुका है भारत और बहुसंख्यक अंदभक्त ही अब इस देश के प्रसाशक और शासक हैं , दुनियाँ में सब से अच्छे और श्रेष्ठ विचार इनके अतिरिक्त और किसी के पास हो ही नहीं सकते – प्रमाण के तौर पर सर्वोच्च्य न्यायलय को देख लो, प्रशांत भूषण को तो सर्वप्रथम देश का सरवोच्च्य अधिवक्ता हीरो बनाया गया और फिर उस पर से सुप्रीम कोर्ट के अवमानना पर प्रशांत भूषण पर 1 रुपया दण्ड नहीं तो तीन महीने जेल, का मीडिया पर फरमान जारी कर दिया गया , वाह ! कितनी अच्छी बात है। सुप्रीम कोर्ट का एक जज जब लोकतंत्र और संविधान की असमिता बचाते हुए जब दिल्ली पुलीस को दिल्ली के दंगाइयों को खुली छूट दे कर निर्दोष लोगों को गिरफ्तार कर रही थी तो उस समय उस जज ने दिल्ली पुलिस को दंगाइयों का असली सरगना कापिल मिश्रा को गिरफ्तार करने का आदेश देते हैं तो उसी दिन आधी रात को महामहिम राष्ट्रपति यहां से उस जज को अविलंब स्थान्तरित और सुबह 8 बजे चंडीगढ़ पद भार संभालने का आदेश आ जाता है। और उस बेचारे जज साहब को अपनी नौकरी बचाने की खातिर आनन फानन में रात को चंडीगढ़ पहुंच कर अपना पदभार संभालना पड़ता है। और अब इधर प्रशांत भूषण विश्व विख्यात महा अधिवक्ता को उनके ट्वीट पर न्यायालय की अवमानना मानते हुए 1 रुपये का जुर्माना कर उन्हें सम्मानित किया जाता है ? वाह ! क्या यह भारत के इत्तिहास में सुप्रीम कोर्ट के एक न्यायधीश द्वारा न्यायपालिका और संविधान का मज़ाक नही बनाया गया? क्या लोकतंत्र की धज्जियां नही उड़ा दी गई ? अब तो भारतीय न्याय पालिका ने तो यह साबित कर दिया कि भारत मे संविधान से बड़ा एक जज का फैसला मान्य है और उस जज का जिसे केंद्र नियुक्त करती है ? क्या यह हास्यस्पद नहीं है ? क्या लोकतंत्र और संविधान को समाप्त करने की पहल नही है ?
आज कहां हैं , दलित पीछड़ी जाती की भीड़, जब जयप्रकाश नारायण, कर्पूरी ठाकुर , लालू यादव, शरद यादव , मुलायम सिंह , चौधरी चरण सिंह, ताऊ, ओमप्रकाश चौटाला, कांशीराम, पासवान , मायावती के मानने वाले जिनके एक आह्वान पर भारत की सड़कें जाम हो जाया करती थी, रेल ठप हो जाया करता था, आज सारे समाज वादी, बामपंथी, कॉमरेड नेता खामोश क्यूँ है? केवल इसलिये की मुसलमान और दलित , पीछड़ी जाती के लोग इकट्ठा न हो जाये, लामबंद न हो जाएं? किसी भी प्रकार से इन्हें एक जुट नहीं होना चाहिये, और दलितों , पिछड़ों को बांट कर रखो, ताकि मोदी सरकार भारत को पागल पंत के दौरे में हिन्दू राष्ट्र घोषित कर दें। उसके बाद समाजवाद लोकतंत्र की डफली बजाते रहेंगे और भाजपा के नाम पर हाय हाय करते रहें। यह जितने भी समाज वादी आज के नेता बने हुए हैं वे सभी की स्थिति ऐसे ही है कि ” पति मर जाये कोई चिंता नही है ,,, मगर सौतन विद्वा होनीं चैहिये । इसी आधार पर आज भारत की राजनीतिक रूप-रेखा बनाई जा रही है और परिभाषित किया जा रहा है ।