हिंदुस्तान में अब ज़ाती धर्म और आस्था – यही है समाज की अब पराकाष्ठा
जात बिरादरी और मजहब के नाम पर ही लड़ा जा रहा है टिकटों की तकसीम बिरादरी और मजहब देखकर की जाती है और इसे फतह कामरानी के लिए सियासी हथकंडा करार दिया जाता है
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