दिल्ली में डीटीसी एवं क्लस्टर बसों के ड्राइवरों की मनमानी।
दिल्ली में डीटीसी एवं क्लस्टर बसों के ड्राइवरों की मनमानी।
एस. ज़ेड.मलिक(पत्रकार)
नयी दिल्ली – दिल्ली में डीटीसी एवं क्लस्टर बसों के ड्राइवरों की मनमानी से टर्मिनल से सवारियां लेने के बाद सवारियां बीच मे जहां भी उतर जाए , खाली सीट पर दूरी सवारी ड्राइवर नही उठाते । विशेष कर मुस्लिम बहुल क्षेत्र में जानेवाली बसें जैसे धूल क़ूवां से 507, जबकि अमूमन वह खाली रहती बावजूद सवारियां नही उठाती , गुप्ता मार्केट लाजपत नगर के स्टॉप अक्सरहां रुकती ही नहीं सवारी चाहे चिल्लाती रहे। लोकडॉन के बाद शायेद सरकार ने डीटीसी और क्लस्टर बसों की ज़िम्मेदारी ड्राइवरों पर दे रखी है, इस लिये वह आने मनमाने तरीके से चला रहे है , सवारी ऐसी बस में अपने आराम के लि बैठती है और ऐसी बस का किराया भी देती है और नतीजा बस अपने गंतव्य स्थान से चलने के बाद पता चला सवारी चिल्ला रही है ड्राइवर साहब ऐसी चालू कर दो , उसके बाद पता चला ड्राइवर ने ब्रेकडाउन दिखा दिया गाड़ी सृढ़ कर के बन्द कर दी , लीजिये साहब गाड़ी खराब हो गई अब दूसरे बस से जाइये, एक परिशानी लाइन लगाने की दूसरी रास्ते बस खराब हो गई तो पता नही अब अपने ड्यूटी या अपने स्थान पर कब पहुंगे कोई ठिकाना नही। दिल्ली की महिलाओं के लिये बस फ्री वोट मिल गया केजरीवाल के खाते में, जनता भले ही परीशान हो , इससे क्या मतलब है सरकार को- बिजली , पानी का बिल माफ़, पानी गंदा और बदबूदार हो सरकार को कोई चिंता नहीं, बिजली का बिल 200 यूनिट से एक यूनिट भी बढ़ गया तो दुगुना बिल का भुक्तान करना पड़ेगा उपभोक्ता को , सरकार को कोई फर्क नही पड़ता। सरकार अपने व्यावस्था को सुधारने जिम्मेवार नहीं है । सरकार वोट लेने के लिए अपने प्रावधान ज़बरदस्ती जनता पर थोप कर वोट लेने की सारी योजना तैयार तो कर लेती है – लेकिन जनता को बेहतर सुविधा देने का इनके पास कोई प्रावधान नहीं। जनता करे तो क्या करे ।