भारत का संविधान राजनितिक खिलौना या भारतीय नागरिकों का मौलिक अधिकारिक प्रावधान ?
मोदी सरकार-वर्ष 1975 में देश में घोषित आपाताकाल वाले 10 मौलिक कर्तव्यों को दोबारा वापस लाने की कवायद में जुट गई
मोदी सरकार-वर्ष 1975 में देश में घोषित आपाताकाल वाले 10 मौलिक कर्तव्यों को दोबारा वापस लाने की कवायद में जुट गई
भारत का संविधान राजनितिक खिलौना या भारतीय नागरिकों का मौलिक अधिकारिक प्रावधान ?
मोदी सरकार-वर्ष 1975 में देश में घोषित आपाताकाल वाले 10 मौलिक कर्तव्यों को दोबारा वापस लाने की कवायद में जुट गई
एस. ज़ेड. मलिक (पत्रकार )
भारत के नागरिकों के लिए मौलिक कर्तव्यों को वर्णन भारतीय संविधान में अनुच्छेद 51A के भाग 4(A) में मिलता हैं, जिसे रूस के संविधान भारत संविधान में लिया गया है। मोदी सरकार ने मौलिक कर्तव्यों को अमलीजामा पहनाने के लिए नवंबर माह के शुरूआत में ही मंत्रिपरिषद् की एक बैठक के दौरान नागरिकों के मौलिक कर्तव्यों की वापसी पर चर्चा शुरू कर दी थी।
अगर संविधान वर्णित मौलिक कर्तव्यों की वापसी होती है, तो संविधान के भाग IV (A)में शामिल मौलिक कर्तव्यों में संविधान का पालने करने और उसके आर्दशों व संस्थानों का सम्मान करना जरूरी हो जाएगा। इनमें राष्ट्रीय ध्वज तिंरगे का सम्मान, राष्ट्रीय गान जन-गण-मन का सम्मान और स्वतंत्रता संग्राम के लिए प्रेरित विचारों को सम्मान का प्रावधान शामिल है। इसी अनुच्छेद 51-A में भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता को बनाए रखने, सद्भाव व भाईचारा और वैज्ञानिक मानसिकता को बढ़ावा देना शामिल है। वहीं, 6-14 साल के बच्चों को शिक्षा मुहैया कराना शामिल है। चूंकि बच्चों के लिए शिक्षा मुहैया कराने वाले मौलिक कर्तव्य वाजपेयी सरकार में शामिल कर लिया है, इसलिए अभी केवल 10 मौलिक कर्तव्यों के प्रति जागरूकता बढ़ाई जाएगी।
उल्लेखनीय है अनुच्छेद 51 A में कुल 11 मौलिक कर्तव्यों का उल्लेख मिलता है। इनमें से सिर्फ एक बच्चों के लिए शिक्षा के अवसरों को मुहैया कराने का प्रावधान पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहार वाजपेयी की सरकार के दौरान वर्ष 2002 में 86वें संशोधन के जरिए शामिल किया गया था। रूस के संविधान से प्रेरित और भारतीय संविधान में वर्णित मौलिक कर्तव्यों के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए सरकार 26 नवंबर को आयोजित संविधान दिवस की 70वीं वर्षगांठ पर प्रचार-प्रसार करेगी। इसके लिए सचिव और न्याय विभाग द्वारा एक सर्कुलर भी जारी कर दिया गया है।
चूंकि वाजपेयी सरकार ने वर्ष 2002 में संविधान के 86वें संशोधन के जरिए मौलिक कर्तव्यों में शामिल बच्चों को शिक्षा का अवसर मुहैया कराने का प्रावधान शामिल कर लिया था इसलिए संविधान के 42वें संशोधन अधिनियम 1976 द्वारा भाग IV-A में शिक्षा को छोड़कर सभी 10 मौलिक कर्तव्यों को शामिल किया गया था। ध्यान रहे कि इसी संशोधन के तहत संविधान की प्रस्तावना में समाजवादी और धर्मनिरपेक्ष शब्दों में शामिल किया गया था।
वैसे, अनुच्छेद 21 यानी नागरिकों के मौलिक अधिकारों की तुलना में 51-A यानी मौलिक कर्तव्य वैधानिक नहीं है। यानी इसको मामने के लिए कानून बाध्य नहीं कर सकता है है और न हीं कानून द्वारा जबरन इसे लागू ही कराया जा सकता है। बताया जा रहा है कि 10 मौलिक कर्तव्यों को मोदी सरकार अलग-अलग मंत्रालयों के जिम्मे सौंपने की योजना बना रही है, जिससे नागरिकों को उनके कर्तव्यों को बारे में सरलता से जागरूक किया जा सके। सूचना के मुताबिक मोदी सरकार ने स्वतंत्रता आंदोलन से प्रेरित करने वाले महान आदर्शों, जिनमें स्वतंत्रता, समानता, अहिंसा, भाईचारा और वैश्विक शांति शामिल है, की जिम्मेदारी गृह मंत्रालय को सौंपा है। गृह मंत्रालय की जिम्मेदारी होगी कि उपरोक्त कर्तव्यों के प्रति लोगों को जागरूक करे और नागरिकों को उनके कर्तव्यों के पालन कराएं। सूचना और प्रसारण मंत्रालय को देश में जाति, धर्म, लिंग और भाषाई भिन्नता के बीच एकता बनाए रखने की जिम्मेदारी सौंपी गई है।
वहीं, गृह और रक्षा मंत्रालय को देश की रक्षा और राष्ट्रीय सेवा प्रदान कराने की जिम्मेदारी दी गई है। महिला व बाल विकास मंत्रालय के जिम्मे धार्मिक, भाषाई और क्षेत्रीय से इतर आपसी सद्भाव और भावना को बरकरार रखने की जिम्मेदारी सौंपी गई है।
जबकि साइंस और टेक्नोलॉजी मंत्रायल को लोगों में वैज्ञानिक सद्भाव बढ़ाने की जिम्मेदारी दी गई है। सरकार का मकसद है कि मौलिक कर्तव्यों के प्रति जागरूक नागरिकों को उनके मौलिक कर्तव्यों से भी जागरूक किया जाए। मोदी सरकार की यह कवायद देश निर्माण की दिशा में एक नया सोपान होगी, लेकिन विपक्षी दल इसका जरूर विरोध करेंगे।
1-राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा और राष्ट्रीय गान जन-गण-मन का आदर भारत के सभी नागरिक संविधान का पालन करें और उसके आदर्शों, संस्थाओं, राष्ट्रीय ध्वज तिंरंगा और राष्ट्रगान जन-गण-मन का आदर करें। गौरतलब है पिछले कुछ वर्षो में राष्ट्रीय गान और राष्ट्रीय तिरंगे के अपमान की कई घटनाएं सतह पर आई हैं।
भारतीय राष्ट्र की स्वतंत्रता के लिए राष्ट्रीय आंदोलन को प्रेरित करने वाले उच्च आदर्शों को हृदय में संजोए और उनका पालन करें।
3-भारत की एकता-अखंडता की रक्षा और अक्षुण्णता भारत की प्रभुता, एकता और अखंडता की रक्षा करे और उसे अक्षुण्ण रखे। पिछले कुछ दिनों में देश में तेजी से बढ़ी अलगाववाद की आवाज ने खासकर नौजवान गुमराह हुए हैं। इनमें जेएनयू प्रकरण अधिक हाइलाइट्स हैं। वैसे पंजाब में खालिस्तान और जम्मू-कश्मीर में अलगाववाद आंदोलन प्रमुख है।
4. देश की रक्षा करें अक्सर यह देखने को मिलता है कि देश के नागिरक देश विरोधी गतिविधियों में शामिल पाए जाते हैं। संविंधान में वर्णित मौलिक कर्तव्यों में शामिल देश रक्षा सभी का मूल कर्तव्य है।
5. देश में समरसता और समान भ्रातृत्व भावना का निर्माण भारत के सभी लोगों में समरसता और समान भातृत्व की भावना का निर्माण करे जो धर्म, भाषा और प्रदेश या वर्ग पर आधारित सभी भेद भाव से परे हों, ऐसी प्रथाओं का त्याग करे जो स्त्रियों के सम्मान के विरुद्ध हों
6-सामाजिक संस्कृति की गौरवशाली परंपरा का महत्व समझे भारत के सभी नागरिक सामाजिक संस्कृति की गौरवशाली परंपरा का महत्व समझे और उसका निर्माण करे।
7. प्राकृतिक पर्यावरण की रक्षा और उसका संवर्धन करे भारतीय संविधान के अनुच्छेद 51-A यानी मौलिक कर्तव्य में सातवें नंबर है प्राकृतिक पर्यावरण की रक्षा और उसका संवर्धन। सभी नागरिकों से उम्मीद की जाती है कि वो प्राकृतिक पर्यावरण की रक्ष करें और उसके अनुचित दोहन से बचें
8-वैज्ञानिक दृष्टिकोण और ज्ञानार्जन की भावना का विकास भारतीय संविधान के अनुच्छेद 51-A यानी मौलिक कर्तव्य में आठवां स्थान वैज्ञानिक दृष्टिकोण और ज्ञानार्जन की भावना का विकास करने पर जोर दिया गया है।
9. सार्वजनिक संपत्ति को सुरक्षित रखे! अक्सर देखा जाता है कि नागिरक सरकार संपत्ति को अपनी संपत्ति समझकर अपने घर लेकर चले जाते हैं अथवा सार्वजनिक संपत्ति को अपनी संपत्ति न मानते हुए उसके साथ छेड़छाड़ करते पाए जाते हैं।
10. व्यक्तिगत एवं सामूहिक गतिविधियों में उत्कर्ष का प्रयास अक्सर यह देखा जाता है कि लोगों द्वारा व्यक्तिगत एवं सामूहिक गतिविधियों में अलग-अलग व्यवहार किया जाता है जबकि जरूरी है कि वो व्यक्तिगत और सामूहिक दोनों गतिविधियों में सभी क्षेत्रों में उत्कर्ष की ओर बढ़ने का सतत प्रयास करे।