COP26: सम्मेलन में चीन को शामिल न होने पर अमेरिका ख़फ़ा।

एजेंसी
सकॉट लैंड – COP26: ग्लासगो में सीओपी-26 जलवायु परिवर्तन शिखर सम्मेलन में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की अनुपस्थिति को लेकर अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने उनपर निशाना साधा, बाइडेन ने कहा है कि  COP26 में हिस्सा न लेकर चीन ने बड़ी गलती की है। उन्होंने अपने भाषण में कहा कि जलवायु परिवर्तन एक बड़ा मुद्दा है, बावजूद इसके चीन शामिल नहीं हुआ। जबकि चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग व्यक्तिगत रूप से COP26 में नहीं शामिल हुए हैं लेकिन सोमवार को उनका लिखा बयान पढ़ा गया।

चांग चिन ने ट्विटर पर लिखा कि चीन ने COP26 के मद्देनज़र अपनी नई योजना की घोषणा की है और उसका प्रतिनिधिमंडल ग्राउंड पर मौजूद है।

 इसके साथ ही उन्होंने अमेरिका के पर्यावरण पर रिकॉर्ड की भी निंदा की. उन्होंने कहा कि चीन ‘कभी भी पेरिस समझौते से बाहर नहीं निकला है।

उन्होंने कहा, “अमेरिकी सरकार को अपनी ज़िम्मेदारियों को गंभीरता से पूरा करना चाहिए और कार्बन उत्सर्जन कम करने के ख़ास तरीक़ों के साथ सामने आना चाहिए और उसे कोशिश करनी चाहिए कि वो मुद्दों को कहीं ओर न मोड़े और दूसरों पर आरोप न मढ़े।

 वहीं बाइडेन ने चीन के अलावा रूस की भी बैठक में शामिल नहीं होने को लेकर आलोचना की।

रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग दोनों ही COP26 की इस बैठक में शामिल नहीं हुए हैं। पुतिन को लेकर बाइडेन ने कहा कि रूस का जंगल जल रहा है और उनके राष्ट्रपति इस मुद्दे पर चुप रहते हैं।

वहीं बैठक के बाद राष्ट्रपति बाइडेन से पूछा गया कि सम्मेलन में चीन, रूस और सऊदी अरब सहित अन्य देशों की अबतक की भूमिका क्या रही है? इसके जवाब में बाइडेन ने कहा, ‘’तथ्य यह है कि चीन एक विश्व नेता के रूप में दुनिया में एक नई भूमिका पर जोर देने की कोशिश कर रहा है। इस सम्मेलन में शामिल नहीं होना चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की बड़ी गलती थी।

वहीं, चीन ने आरोप लगाया कि सीओपी26 के आयोजकों ने चिनफिंग के संबोधन के लिए ‘वीडियो लिंक’ उपलब्ध नहीं कराया, जिसके चलते उन्हें लिखित बयान भेजना पड़ा। चिनफिंग ने सीओपी-26 में भेजे गए अपने लिखित बयान में जलवायु चुनौतियों से संयुक्त रूप से निपटने के वास्ते सभी देशों से ‘कड़ी कार्रवाई’ का आह्वान किया. साथ ही उन्होंने बहुपक्षीय सहमति तक पहुंचने, ठोस कदमों पर ध्यान केंद्रित करने, कार्बन उत्सर्जन में कमी लाने के लिए त्रिस्तरीय योजना का प्रस्ताव रखा।

चिनफिंग ने पिछले साल मध्य जनवरी में म्यांमा की यात्रा से लौटने के बाद कोई विदेश दौरा नहीं किया है, जिसके पीछे कोरोना वायरस प्रकोप को बड़ा कारण माना जाता है। हालांकि, वह वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से वैश्विक कार्यक्रमों को संबोधित करते रहे हैं। चिनफिंग ने 30 अक्टूबर को रोम में आयोजित हुए जी-20 शिखर सम्मेलन को वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए संबोधित किया था।

वहीं बाइडेन ने कहा कि चीन, रूस और सऊदी अरब सहित अन्य देशों ने अब तक बातचीत में क्या भूमिका निभाई है, ये पूछे जाने पर अमेरिकी राष्ट्रपति ने अपनी ये नाराज़गी ज़ाहिर की।

अमेरिकी राष्ट्रपति ने यह बात वैश्विक नेताओं के ग्लासगो से जाने के दौरान कहीं क्योंकि अब अगले दो सप्ताह तक अलग-अलग देशों के मंत्री और उनके अफ़सर पर्यावरण के मुद्दों पर गंभीर चर्चा करने वाले हैं।

बीबीसी के अनुसार अमेरिका के एक शहर शिकागो से कुछ घंटों की दूरी पर स्थित बेंटन हार्बर में कम से कम पिछले तीन सालों से हालात ऐसे रहे हैं कि सप्लाई के पानी के इस्तेमाल का मतलब रहा है बीमारी को दावत देना।

बेंटन हार्बर कम्यूनिटी वाटर काउंसिल के चेयरमैन रेवेरेंड एडवर्ड पिंकने ने बीबीसी वर्ल्ड को बताया, “2018 से ही पाया गया कि इलाक़े की जल आपूर्ति में सीसे की मात्रा बहुत अधिक है- ख़तरनाक के स्तर से बहुत ज़्यादा. लेकिन इसके उपयोग पर अबतक रोक नहीं लगाई गई थी।”

अब सवाल है कि क्या सीपीओ 26 पर्यावरण बचाव शिखर सम्मेलन जलवायु परिवर्तन को बचा पायेगा? तीन दशकों से चल रही चर्चा के बावजूद धरती औद्योगिक क्रांति के पहले के दौर की तुलना में 1.1 डिग्री सेल्सियस गर्म हो चुकी है।

अगर सभी देश अपने वादे पर अमल करते हैं, तब भी हम तेज़ी से शताब्दी के अंत तक 2.7 डिग्री सेल्सियस की बढ़त की ओर जा रहे हैं।

लेकिन इस कॉन्फ्रेंस से उम्मीदें पहले से बहुत ज़्यादा हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि अब ख़तरा महसूस होने लगा है।

इस साल बाढ़ से जर्मनी में 200 लोगों की जान चली गई. तेज़ गर्मी ने कनाडा और साइबेरियन इलाकों पर असर डाला है।

Comments are closed.