अमेरिका में दो रक्षा मंत्री और दो विदेश मंत्रियों के साथ 2+2 की चौथी वार्षिक बैठक।

भारत और रूस के पुराने सम्बंध पर अमेरिका की बढ़ती असमंजसता - यूक्रेन और रूस की लड़ाई का लाभ लेना चाहता है अमेरिका?

भारत और रूस के पुराने सम्बंध पर अमेरिका की बढ़ती असमंजसता – यूक्रेन और रूस की लड़ाई का लाभ लेना चाहता है अमेरिका?

अमेरिका में दो रक्षा मंत्री और दो विदेश मंत्रियों के साथ 2+2 की चौथी वार्षिक बैठक।

भारत और रूस के पुराने सम्बंध पर अमेरिका की बढ़ती असमंजसता – यूक्रेन और रूस की लड़ाई का लाभ लेना चाहता है अमेरिका?

एजेंसी

  अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन और भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच सोमवार को वर्चुअल बैठक हुई। जो बाइडन जब पीएम मोदी से बात कर रहे थे तो वॉशिंगटन में उनके साथ भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह भी मौजूद थे।

 इसके अलावा अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन और रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन भी मौजूद थे। भारतीय विदेश और रक्षा मंत्री अमेरिका 2+2 बैठक में शामिल होने गए हैं।

भारत और अमेरिका के बीच 2+2 की यह चौथी वार्षिक बैठक थी। यह बैठक तब हो रही थी। जब यूक्रेन पर रूस के हमले का दूसरा महीना चल रहा है। 

राष्ट्रपति बाइडन और पीएम मोदी की वर्चुअल बैठक को अमेरिकी मीडिया में भी ख़ासी तवज्जो मिली है।

अमेरिका के प्रमुख अख़बार न्यूयॉर्क टाइम्स ने लिखा है कि राष्ट्रपति बाइडन ने सोमवार को पीएम नरेंद्र मोदी से आग्रह किया कि रूसी तेल और गैस पर भारत अपनी निर्भरता ना बढ़ाए। अमेरिका चाहता है कि यूक्रेन पर राष्ट्रपति पुतिन के हमले के कारण रूस पर आर्थिक दबाव बना रहना चाहिए।

 न्यूयॉर्क टाइम्स ने लिखा है कि बाइडन ने पीएम मोदी के सामने अन्य स्रोतों से गैस और तेल की आपूर्ति में मदद करने का प्रस्ताव रखा है। अमेरिका और उसके सहयोगी देश यूक्रेन के मामले में रूस को अलग-थलग रखने की कोशिश कर रहे हैं।

भारत रूस से तेल ख़रीद रहा है लेकिन अमेरिका का दबाव है कि तेल ना ख़रीदे। हालांकि भारत अपनी कुल ज़रूरत का एक फ़ीसदी तेल ही रूस से ख़रीदता है।

पीएम मोदी और राष्ट्रपति बाइडन के बीच एक घंटे तक बैठक चली। इस बैठक के बाद व्हाइट हाउस की प्रेस सेक्रेटरी ने कहा, ”राष्ट्रपति बाइडन ने स्पष्ट कर दिया है कि रूस से ऊर्जा या अन्य चीज़ों का आयात भारत के हित में नहीं है”।

दूसरी तरफ़ पीएम मोदी ने एक बार फिर से बाइडन के सामने भी रूस का नाम तक नहीं लिया। हालांकि पीएम मोदी ने बिना किसी का नाम लिए यूक्रेन में मानवाधिकारों के उल्लंघन पर चिंता ज़ाहिर की। 

न्यूयॉर्क टाइम्स ने लिखा है, ”भारत सैन्य ज़रूरतों के मामले में रूस पर लंबे समय से निर्भर रहा है। दोनों देशों के बीच इसी वजह से गहरे ऐतिहासिक संबंध हैं। रूसी आक्रामकता के बावजूद मोदी सरकार का रुख़ तटस्थ रहा है”।

एनवाईटी ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है, ”अमेरिकी अधिकारी भारत के संतुलनवादी रुख़ की मजबूरियों को समझते हैं। अमेरिका चीन की बढ़ती आक्रामकता के मोर्चे पर भारत को अहम साझेदार मानता है। हालांकि कुछ अमेरिकी अधिकारियों ने चेतवानी दी है कि भारत रूस से तेल आयात बढ़ाता है तो इसके बुरे नतीजे होंगे”।

न्यूयॉर्क टाइम्स से ब्रूकिंग्स इंस्टिट्यूशन की सीनियर फेलो तन्वी मदान ने कहा ”अमेरिका को पता है कि भारत के दबाव डालने से लक्ष्य पूरा नहीं होगा बल्कि स्थिति और जटिल होगी। अमेरिका भारत पर किसी एक खेमे को चुनने का दबाव नहीं डालेगा”।

 भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर का एक वीडियो क्लिप भी सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। जयशंकर सोमवार को अमेरिकी विदेश मंत्री और रक्षा मंत्री के साथ वॉशिंगटन में पत्रकारों के सवालों का जवाब दे रहे थे। एक पत्रकार ने रूस से भारत के तेल ख़रीदने पर सवाल पूछा था। इसके जवाब में एस जयशंकर ने कहा। ”आप भारत के तेल ख़रीदने से चिंतित हैं लेकिन यूरोप जितना तेल एक दोपहर में ख़रीदता है, उतना भारत एक महीने में भी नहीं ख़रीदता है”।

अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन की एक टिप्पणी की चर्चा भी काफ़ी हो रही है। उनकी इस टिप्पणी को मोदी सरकार के लिए झटके के तौर पर देखा जा रहा है। अमेरिकी विदेश मंत्री ने कहा कि अमेरिका भारत में मानवाधिकारों के उल्लंघन पर नज़र रख रहा है।

ब्लिंकन ने सोमवार को कहा। ”हम साझे मूल्यों (मानवाधिकार) पर अपने भारतीय साझेदारों से नियमित तौर पर बात करते हैं। भारत में कुछ सरकारों। पुलिस और जेल अधिकारियों की ओर से मानवाधिकारों के उल्लंघन पर हमारी नज़र है”।

 जब ब्लिंकन ऐसा कह रहे थे तो भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह भी मौजूद थे. ब्लिंकन ने भारत में मानवाधिकारों के उल्लंघन पर और विस्तार से कुछ नहीं कहा। हालांकि जयशंकर और राजनाथ सिंह ने इस पर कोई टिप्पणी नहीं की।

ब्लिंकन का यह बयान तब आया है जब अमेरिकी प्रतिनिधि इल्हान उमर ने आरोप लगाते हुए कहा था कि अमेरिकी सरकार नरेंद्र मोदी सरकार की मानवाधिकारों के उल्लंघन पर आलोचना करने से बच रही है। पिछले हफ़्ते इल्हान उमर ने भारत के मुसलमानों को लेकर मोदी सरकार की आलोचना की थी। उमर ने कहा था कि मोदी सरकार ने भारत में मुस्लिम धार्मिक अनुष्ठानों को अपराध घोषित कर दिया है। 

वॉशिंगटन पोस्ट ने भी बाइडन और मोदी की वर्चुअल बैठक को प्रमुखता से जगह दी है। वॉशिंगटन पोस्ट ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है। ”एक सीनियर अमेरिकी अधिकारी ने कहा कि दोनों नेताओं की बैठक काफ़ी गर्मजोशी माहौल में हुई है। अधिकारियों ने कहा कि भारत को रूस के मामले ख़ुद ही फ़ैसला करना है”।

समाचार एजेंसी एपी के अनुसार, बाइडन ने पीएम मोदी के साथ यह कहते हुए वार्ता का अंत किया कि अमेरिका भारत से संबंध मज़बूत करने के लिए प्रतिबद्ध है. दोनों नेताओं की मुलाक़ात 24 मई को जापान में क्वॉड देशों की बैठक में होगी। क्वॉड में अमेरिका, भारत के अलावा ऑस्ट्रेलिया और जापान भी हैं।

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