76वां गणतंत्र दिवस के अवसर पर महान स्वतंत्रता सेनानी, कवि और साहित्यकार अलमा लतीफ शम्सी की सेवाओं एवं रचनाओं को मुशायरा के रूप में श्रद्धांजलि दिया गया

महान स्वतंत्रता सेनानी, कवि और साहित्यकार अलमा लतीफ शम्सी की सेवाओं को श्रद्धांजलि

स्वर्गीय अल्मा शम्सी के नाम पर मुशायरा – प्रमुख रचनाओं में “काको की कहानी अलमा की ज़ुबानी” और “अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय और मेरी दास्तान-ए-हयात”

76वां गणतंत्र दिवस के अवसर पर स्वर्गीय अलमा लतीफ शम्सी की याद में कवि सम्मेल कर श्रद्धांजलि अर्पित किया गया।

सैय्यद आसिफ इमाम काकवी

जहानाबाद/काको –  महान स्वतंत्रता सेनानी, कवि और साहित्यकार अलमा लतीफ शम्सी की देश और समाज के प्रति दिए गए स्वतंत्रता संग्राम में योगदान और उनकी रचनाओं को याद करते हुए 76वां गणतंत्र दिवस के अवसर पर 25 जनवरी 2025 को काको के “शम्सी बिल्डिंग” प्रांगण में उनके नाम पर कवि सम्मेलन/मुशायरा का आयोजन कर श्रद्धांजलि अर्पित किया गया।

स्वर्गीय एल्मा लतीफ शम्सी
इस कार्यक्रम की शुरुआत जनाब हाफिज मोहम्मद आरिफ साहब ने कुरान पाठ से की। कार्यक्रम में कई विद्वानों, साहित्यकारों और सामाजिक हस्तियों ने भाग लिया। अलमा लतीफ शम्सी ने न केवल स्वतंत्रता संग्राम में योगदान दिया बल्कि अपनी कविता और गद्य के माध्यम से उर्दू साहित्य को समृद्ध किया। उनकी प्रमुख रचनाओं में “काको की कहानी अलमा की ज़ुबानी” और “अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय और मेरी दास्तान-ए-हयात” शामिल हैं। वक्ता गणों ने कहा कि अलमा लतीफ शम्सी की शख्सियत हमारी राष्ट्रीय धरोहर और साहित्यिक विरासत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। उनकी रचनाएँ नई पीढ़ी के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं। उनकी लेखनी की गहराई और शैली पाठकों को लंबे समय तक मोहित करती है। इस अवसर पर स्थानीय और बाहरी कवियों ने भी भाग लिया। इस कवि सम्मेलन में शामिल कवियों के नाम इस प्रकार हैं जनाब बबर इमाम, जनाब एहसान ताबिश, जनाब शकील अहमद काकवी, जनाब सैयद शबीह शम्सी (सचिव, मिर्जा गालिब कॉलेज), जनाब गुलाम असदिक, जनाब एजाज माणपुरी, जनाब संतोष श्रीवास्तव, जनाब मोइन अख्तर, जनाब तारिक मोहिउद्दीन शर्मीला, जनाब सुरेंद्र मोहन, जनाब काज़िम रज़ा, शमा कौसर शमा, जनाब शमीम मलिक, श्री विनय जी, श्री अमृतेश जी, जनाब सैयद मासूम अख्तर, जनाब यूसुफ शम्सी आदि। कार्यक्रम के अंत में अलमा लतीफ शम्सी साहब के बड़े दामाद सैयद मोइन अख्तर ने सभी आगंतुकों और श्रोताओं का तहे दिल से धन्यवाद किया। उन्होंने अलमा साहब के ऊँचे दर्जे के लिए प्रार्थना की और यह आश्वासन दिया कि उनकी शख्सियत पर जल्द ही एक शोध कार्य शुरू किया जाएगा। काको में लंबे समय के बाद इस प्रकार का कार्यक्रम आयोजित हुआ, जिसमें श्रोताओं की अच्छी खासी भीड़ जमा हुई। यह महफ़िल काको के लोगों को लंबे समय तक याद रहेगी।
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