कर्नल सोफिया कुरैशी पर मंत्री का बयान: यह सिर्फ़ अपमान नहीं, बल्कि राष्ट्र की आत्मा पर चोट है
कर्नल सोफिया कुरैशी भारतीय सेना की वह जांबाज़ अफ़सर हैं जिन्होंने देश की सेवा की है, और संयुक्त राष्ट्र मिशन में भारत का नेतृत्व किया है।
मध्यप्रदेश सरकार के मंत्री विजय शाह का बयान सिर्फ़ शर्मनाक नहीं है, बल्कि वह ज़हर है जिसने भारतीय राजनीत को विषैला बना दिया – जहाँ मुसलमान को देशद्रोही, और मुसलमान फ़ौजी को शक की निगाह से देखा जाता है। यह वही मानसिकता है जो “टुकड़े-टुकड़े गैंग” का झूठा नैरेटिव चलाकर छात्रों को जेलों में बंद कराती है, यह वही सोच है जो अपने विरोधियों को राष्ट्रविरोधी घोषित करती है।
कर्नल सोफिया कुरैशी पर मंत्री का बयान: यह सिर्फ़ अपमान नहीं, बल्कि राष्ट्र की आत्मा पर चोट है

किसी भी लोकतंत्र की गरिमा उसके संवैधानिक मूल्यों से होती है – और जब सत्ता के नशे में चूर कोई मंत्री, एक भारतीय फ़ौजी अफ़सर, वह भी महिला और अल्पसंख्यक, को “पाकिस्तानी और आतंकवादी की बहन” कहता है, तो यह सिर्फ़ सेना नहीं, देश के हर उस नागरिक का अपमान है जो भारत के संविधान और उसके धर्मनिरपेक्ष स्वरूप पर विश्वास रखता है।
मध्यप्रदेश सरकार के मंत्री विजय शाह का बयान सिर्फ़ शर्मनाक नहीं है, बल्कि वह ज़हर है जो राजनीति में घुला दिया गया है – जहाँ मुसलमान को देशद्रोही, और मुसलमान फ़ौजी को शक की निगाह से देखा जाता है। यह वही मानसिकता है जो “टुकड़े-टुकड़े गैंग” का झूठा नैरेटिव चलाकर छात्रों को जेलों में बंद कराती है, यह वही सोच है जो अपने विरोधियों को राष्ट्रविरोधी घोषित करती है।
कर्नल सोफिया कुरैशी कौन हैं?
कर्नल सोफिया कुरैशी भारतीय सेना की वह जांबाज़ अफ़सर हैं जिन्होंने देश की सेवा की है, और संयुक्त राष्ट्र मिशन में भारत का नेतृत्व किया है। एक महिला होने के नाते उन्होंने सेना के उस क्षेत्र में नेतृत्व किया जो दशकों तक पुरुषों के वर्चस्व में रहा। क्या उनके मुसलमान होने की वजह से उनके बलिदान की क़ीमत कम हो जाती है?
यह बात बेहद चिंताजनक है कि जो नेता राष्ट्रवाद का नारा लगाते हैं, वही सेना के भीतर भी धर्म का ज़हर घोलने की कोशिश कर रहे हैं। अगर सैनिक के नाम के आगे “सोफिया” या “अब्दुल” लगा हो, तो उसे पाकिस्तान से जोड़ा जाता है? क्या अब देशभक्ति का पैमाना भगवा झंडा और नफ़रत की भाषा हो गई है?
विजय शाह जैसे नेताओं को यह हिम्मत तब मिलती है जब प्रधानमंत्री मोदी और बीजेपी का शीर्ष नेतृत्व ऐसे बयान देने वालों पर कड़ी कार्यवाही नहीं करता। एक लोकतांत्रिक देश में अगर नेता संविधान से ऊपर हो जाएं, तो वहाँ तानाशाही के बीज पनपते हैं। अफ़सोस है कि ‘मन की बात’ करने वाले प्रधानमंत्री ऐसी घृणा और अपमान की बात पर ख़ामोश रहते हैं।
जहाँ ‘ग़ोदी मीडिया’ मुसलमानों की हर बात में “आतंकवाद” ढूंढती है, वहाँ एक वर्दीधारी अफ़सर को अपमानित किए जाने पर चुप्पी ओढ़ ली जाती है। क्यों? क्या TRP सिर्फ़ तब मिलती है जब मुसलमान को कटघरे में खड़ा किया जाए? क्या पत्रकारिता अब सत्ता की चाटुकारिता बन गई है?
भारत सिर्फ़ एक धर्म का नहीं है। यह सिख, मुसलमान, ईसाई, दलित, आदिवासी, ब्राह्मण – सबका है। और भारत की सेना उन सबकी है जो वर्दी पहनकर तिरंगे की शान के लिए अपनी जान देने को तैयार रहते हैं। कर्नल सोफिया कुरैशी उस भारत की प्रतिनिधि हैं – जो नफ़रत से नहीं, समर्पण और समरसता से बनता है।
अब वक़्त है कि देश के हर ज़िम्मेदार नागरिक को आवाज़ उठानी चाहिए। यह मुद्दा सिर्फ़ कर्नल सोफिया कुरैशी का नहीं है – यह उस भारत का है जो संविधान, सेना, और समानता की बुनियाद पर टिका है। अगर आज हम चुप रहे, तो कल हर देशभक्त को मज़हब की कसौटी पर तौला जाएगा।
