मकर संक्राति सूर्य के उत्तरायण होने के साथ साथ सूर्य और शनिदेव की कृपा प्राप्त करने का त्यौहार है।

लेखिका- स्नेहा दुधरेजीया - पोरबंदर गुजरात

संक्रांति के दिन सूर्यदेव शनि के घर मकर राशि में जाते हैं, ऐसे में काले तिल और गुड़ से बने लड्डू सूर्य और शनि के मधुर संबंध का प्रतीक माना

मकर संक्राति सूर्य के उत्तरायण होने के साथ साथ सूर्य और शनिदेव की कृपा प्राप्त करने का त्यौहार है।

लेखिका- स्नेहा दुधरेजीया
पोरबंदर गुजरात

मकर संक्रांति का त्यौहार १૪ जनवरी को ही मनाया जाता है ,इस त्यौहार की यह विशेषता है कि, यह त्यौहार अंग्रेजी कैलेण्डर के हिसाब से 14 तारीख को मनाया जाता एवं हिन्दी कैलेण्डर के भी हिसाब से भी यह त्यौहार 14 तारीख हो ही होता है । जबकि अन्य त्यौहारों की तिथि प्रत्येक वर्ष अंग्रेजी कैलेण्डर में अलग और हिन्दी कलैंडर में अलग होती है।
जब सूर्य उतरायन होकर मकर रेखा से गुजरता है, तब मकर संक्रांति मनायी जाती है।ऐसी मान्यता है कि ,इस दिन भगवान भास्कर अपने पुत्र शनि से मिलने स्वयं उसके घर जाते हैं। चूँकि शनिदेव मकर राशि के स्वामी हैं, इस दिन को मकर संक्रान्ति के नाम से जाना जाता है।
मकर संक्रान्ति के दिन ही गंगाजी भगीरथ के पीछे-पीछे चलकर कपिल मुनि के आश्रम से होती हुई सागर में जाकर मिली थीं। संक्रांति के दिन सूर्यदेव शनि के घर मकर राशि में जाते हैं, ऐसे में काले तिल और गुड़ से बने लड्डू सूर्य और शनि के मधुर संबंध का प्रतीक माना
जाता है।
सूर्य और शनि दोनों ही मजबूत ग्रह हैं, और ऐसे में जब काले तिल और गुड़ के लड्डुओं का दान दिया जाता है तो सूर्यदेव और शनिदेव दोनों ही प्रसन्न होते हैं।
इस दिन सुबह जल्दी उठकर तिल का उबटन लगाकर स्नान किया जाता है। इसके अलावा तिल और गुड़ के लड्डू एवं अन्य व्यंजन भी बनाए जाते हैं। इस समय सुहागन महिलाएं सुहाग की सामग्री का आदान प्रदान भी करती हैं। ऐसा माना जाता है कि इससे उनके पति की आयु लंबी होती है।
ज्योतिष की दृष्ट‍ि से देखें तो इस दिन सूर्य धनु राशि को छोड़कर मकर राशि में प्रवेश करता है और सूर्य के उत्तरायण की गति प्रारंभ होती है। सूर्य के उत्तरायण प्रवेश के साथ स्वागत-पर्व के रूप में मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाता है। वर्षभर में बारह राशियों मेष, वृषभ, मकर, कुंभ, धनु इत्यादि में सूर्य के बारह संक्रमण होते हैं और जब सूर्य धनु राशि को छोड़कर मकर राशि में प्रवेश करता है, तब मकर संक्रांति होती है।
सूर्य के उत्तरायण होने के बाद से देवों की ब्रह्म मुहूर्त उपासना का पुण्यकाल भी प्रारंभ हो जाता है। इस काल को ही परा-अपरा विद्या की प्राप्ति का समय कहा जाता है। इसे साधना का सिद्धिकाल भी कहा गया है। इस समय में देव प्रतिष्ठा, गृह निर्माण, यज्ञ कर्म आदि पुनीत कर्म किए जाते हैं।
मकर संक्रांति को स्नान और दान का पर्व भी कहा जाता है। इस दिन तीर्थों एवं पवित्र नदियों में स्नान का बेहद महत्व है साथ ही तिल, गुड़, खिचड़ी, फल ,राशि के अनुसार दान करने पर पुण्य की प्राप्ति होती है। ऐसा भी माना जाता है कि इस दिन किए गए दान से सूर्य देवता प्रसन्न होते हैं।
एक मान्यता के अनुसार महाभारत में भीष्म पितामह ने सूर्य के उत्तरायण होने पर ही माघ शुक्ल अष्टमी के दिन स्वेच्छा से शरीर का परित्याग किया था। उनका श्राद्ध संस्कार भी सूर्य की उत्तरायण गति में हुआ था।तब से आज तक पितरों की प्रसन्नता के लिए तिल अर्घ्य एवं जल तर्पण की प्रथा मकर संक्रांति के अवसर पर प्रचलित है।
इन सभी मान्यताओं के अलावा मकर संक्रांति पर्व एक उत्साह और भी जुड़ा है। इस दिन पतंग उड़ाने का भी विशेष महत्व होता है। इस दिन कई स्थानों पर पतंगबाजी के बड़े-बड़े आयोजन भी किए जाते हैं। लोग बेहद आनंद और उल्लास के साथ पतंगबाजी करते हैं।आज कल तो जेसे मकर संक्राति का त्यौहार फैशन बन गया है। लोग सुबह उठकर के सीधा छत पर चले जाते हे इस दिन खानापिना सब कुछ छत पर ही होता है। पुरा आसमान रंगबिरंगी पतंगों से सजा होता है मानो आज आसमान कह रहा हो आज का दिन मेरा है।
जब पतंग हवा में लहराता है तो हर दिल को छु जाता है और जब पतंग काटी जाती है तो सभी मस्ती में जुम उठते है।कहने का मतलब यह है कि, ये त्यौहार परिवार और पास पड़ोस के साथ मिलकर मनाया जाता है।यह सामाजिक त्यौहार है ।
आजकल के फैशन में तो कइ लोग अपने शर्ट में भी छोटि छोटी फिरकि और पतंग लगवाते हे।सिधी भाषा मे कहे तो ये त्यौहार खुशियाँ लाता है।
मकर संक्राति को देश के अलग अलग राज्य मे अलग अलग नाम से भी जाना जाता हे।
सबसे खास यह है कि, इस दिन हम जब द‍ानपुण्य करते है ,रामकार्य करते हैं उसका भी विशेष फल हमें मिलता है।कहते हे कि, आज के दिन सुहागन महिलाएं सुहाग कि सामग्री का आदान प्रदान भी करती हे ऐसा माना जाता हे कि इससे पती कि आयु लंबि होति हे।
मकर संक्राति का त्यौहार मनाना बहुत ही जरुरी है क्योंकि इस दिन द‍ान का महत्व विशेष होता है। खुश होकर किया गया दान हमारे दिल और दिमाग मे पोजिटिवीटी का निर्माण करता है। आजकल कि भागदोड़ भरी जिंदगी मे ये बहुत जरुरी है कि, कुछ समय निकाल कर आसान तरीके से त्यौहार मनाया जाए ताकि, पुण्यकर्म भी हो जाए एवं मानसिक शांति भी मिल जाए।
तो आइए इस मकर संक्राति में जमकर पतंगबाजी करते है दोस्तो और परिवार के साथ कुछ खास पल बिताते है।

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