भारत मे धर्म की रक्षा के नाम पर तांडव और मूकदर्शक धर्मनिरपेक्ष राजनीतिक पार्टियां और आम भारत वासी !! आखिर बात क्या है?
जिन बच्चों के हांथों में सरकार को पेन पुस्तक दे के आईएएस आईपीएस इंजीनियर डॉक्टर बनना चाहिये था सरकार इन मासूम हांथो में तलवार और घातक हत्यार पकड़वा कर आतंकवादी रही है।
भारत मे धर्म की रक्षा के नाम पर तांडव और मूकदर्शक धर्मनिरपेक्ष राजनीतिक पार्टियां और आम भारत वासी !! आखिर बात क्या है?
भारत मे धर्म की रक्षा के नाम पर तांडव और मूकदर्शक धर्मनिरपेक्ष राजनीतिक पार्टियां और आम भारत वासी !! आखिर बात क्या है?
जिन बच्चों के हांथों में सरकार को पेन पुस्तक दे के आईएएस आईपीएस इंजीनियर डॉक्टर बनना चाहिये था सरकार इन मासूम हांथो में तलवार और घातक हत्यार पकड़वा कर आतंकवादी रही है। क्या मुसलमान आतंकवादी है? या सरकार हिन्दू बना कर इन मासूमो को आतंकवादी बना रही है? निर्णय समाज को लेना है।
एस. ज़ेड.मलिक
हास्यपद स् लगता है जब धर्मनिरपेक्षता के नाम पर बनी राजनीतिक पार्टियां, और अपने आपको समानता विचारधारा वाली समाजवादी पार्टियां और आम भारत वासी आज सभी भारत मे धर्म की रक्षा के नाम पर तांडव होते मूकदर्शक बनी देख रहे हैं !! इससे तो यही लगता है, कांग्रेस , समाजवादी पार्टियां और अन्य धर्मनिरपेक्ष पार्टियों में इतना भय बैठा दिया गया है कि कोई भी अपने दरवाज़े से बाहर निकलने को तैयार नहीं है सभी को लूट जाने और पिट जाने का भय बैठा हुआ है। या तो फिर सभी जान बूझ कर एक धर्मनिरपेक्षता और समाजवादी, मुखुटा पहन कर अपने घरों के द्वार पर बैठे वन्देमातरम, भारत माता की जय, अत्याचार नहीं सहेंगे का झूठ मूठ का नारा लगा कर आम भारतवासियों को दिखा कर गुमराह कर रहे है और अंतरात्मा से हिन्दू राष्ट्र की कल्पना कर रहे हैं?
धर्म की रक्षा के नाम पर हिंसक भीड़ों के जो समूह सड़कों पर लगातार बढ़ते जा रहे हैं उन पर नियंत्रण क़ायम करने का क्षण आ पहुँचा है। परन्तु यह कठिन पर असम्भव नही! इस काम में जितना ज़्यादा विलम्ब होगा स्थिति उतनी ही विस्फोटक होती जाएगी। जिस प्रकार केंद्रीय सरकार में मनुवादियों का हर विभाग के मुख्य पद पर वर्चस्व अस्थापित किया गया और अन्य राज्यों में जहां जहां भी केंद की सत्ताधारी सरकारों वैमनस्य स्थापित है उसे देखते हुए आगे आने वाले समय (मान लीजिए पंद्रह साल) के किसी ऐसे परिदृश्य की कल्पना प्रारम्भ कर देना चाहिए जिसमें किसी विचारधारा या धर्म विशेष की अगुआई करने वाले अराजक तत्वों की संगठित ताक़त संवैधानिक संस्थानों की सीढ़ियों पर जमा होकर उन पर अपना नियंत्रण क़ायम कर लेंगी ! अभी तक तो बाबा साहेब के संविधान और मानवता की दुहाई दे कर आम जनता एक दूसरे की ओर देख रही है।
मतलब यह कि जिन नागरिकों का वर्तमान में चयन कर किसी एक समुदाय के आराधना स्थलों पर अतिक्रमण कर अपनी धर्म ध्वजाएँ फहराकर धार्मिक आतंक क़ायम करने के लिए किया जा रहा है वे ही किसी आने वाले समय में अनियंत्रित होकर संसद भवनों, विधान सभाओं और न्यायपालिका, आदि के परिसरों में भी अनाधिकृत प्रवेश कर अराजकता मचा सकते हैं ! उस दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति में इन अनियंत्रित समूहों को वे सत्ताएँ भी क़ाबू में नहीं कर पाएँगी जो तात्कालिक राजनीतिक अथवा धार्मिक हितों के लिए उनका अभी अस्थायी अनुयायियों के तौर पर उपयोग कर रहीं हैं।
वह दिन दूर नहीं, जब भारत मे पिछड़ी जातियों को फिर नंगन अवस्था मे रहना पड़ेगा? इससे पहले की भारत मे मन्दिर माफ़ियाओं मनुवादियों सामंतियों का और वर्चस्व और दमनकारियों का अत्यचार सीमा को लांघ जाये, पिछड़ी जातियों और मुसलमानो को अपने आंतरिक भेद- भाव को भुला कर एक जुट हो कर इन दमन कारिओं का सामना कर इन्हें पराजित करने होगा, अन्यथा इनके गुलाम बन कर अपनी माँ बहन बहु बेटियों के इनके हवस का शिकार अपने दृष्टि के सामने होते हुए देखोगे और रक्त के नीर बहाओगे।
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