सोचो इस धरा को हमने क्या दिया?

हर संभव कोशिश यह होनी चाहिए कि ,हमारे कर्म और कर्तव्य से हम कुछ ना कुछ अपने समाज अपने देश ,अपने राष्ट्र को दें।

हर संभव कोशिश यह होनी चाहिए कि ,हमारे कर्म और कर्तव्य से हम कुछ ना कुछ अपने समाज अपने देश ,अपने राष्ट्र को दें और कोशिश करें कि अपने आप को इस धरती पर हमेशा के लिए जीवित छोड़ जाएं।

सोचो इस धरा को हमने क्या दिया?

लेखिका- सुनीता कुमार

इस धरती पर प्रत्येक मनुष्य ,धरती का इकाई अंक है , वह अकेला ना होकर इस धरती पर एक संख्या है, जो बहुत कुछ कर सकता है । समाज को ,देश को इस दुनिया को बहुत कुछ दे सकता है । जाते-जाते बहुत कुछ देकर जा सकता है ।अपने जीवन को सार्थक बना सकता है ।एक की संख्या के पीछे ही शुन्य लगते हैं। महर्षि बाल्मीकि ,महर्षि वेदव्यास ,संत कबीर दास, गोस्वामी तुलसीदास, गुरु नानक , संस्कृत के काव्य शिरोमणि कालिदास ,मैथिल कोकिल विद्यापति साहित्य जगत के से नाम है जिन्होंने लोगों के सोचने की दिशा बदल दी । चारों तरफ ज्ञान का प्रकाश फैल गया।
सभ्यता हर दिन धीरे-धीरे विकास करती रहती हैं परंतु सौ ,दो सौ साल में बदली है,जब कोई महान व्यक्ति इस धरती पर अवतार लेते है ।जो अपने विचारो से लोगो की सोच बदल देते है। विचारों से संस्कृति को बदल देते है। अपनी सोच से लोगों को जीवन में आगे बढ़ने ,दुखों से लड़ने ,अपना जीवन बेहतर बनाने के लिए रास्ता प्रदान करते है, एवं समाज सेवा की भावना ,राष्ट्रवाद की भावना ,परिवार के प्रति समर्पण को बढ़ावा देते है ।सामाजिक विद्वेष को कम कर समाजवाद को बढ़ावा देते है ।
उपर्युक्त सभी साहित्य सेवी मात्र साहित्यकार ना होकर समाज सेवक, समाज सुधारक ,समाज को दिशा देने वाले पुरोधा है। राष्ट्रवाद को बढ़ावा देने वाले जीवित मनुष्य है। दैहिक जीवन तो कब का पंचतत्व में विलीन हो गया ,लेकिन यह अभी तक अलौकिक शरीर से जीवित है ।हमारे समाज में हमारे सोच में हर जगह जीवित है।
उसी तरह राजा विक्रमादित्य ,सम्राटअशोक, शिवाजी, झांसी की रानी ,टीपू सुल्तान ,पृथ्वीराज चौहान आदि राजनीति जगत से जुड़े कई ऐसे महान नाम है जिनके नाम इतिहास के पन्नों में जीवित है और हमेशा रहेंगे।
बौद्ध धर्म के संस्थापक गौतम बुध ,जैन धर्म के संस्थापक महावीर तथा अन्य अभी पूरे विश्व में पर मौजूद है। लोगों की जीवन शैली में जीवित है। लोगों की सोच में जीवित है।
इतने नाम मैंने इसलिए लिये कि, मैं यह कहना चाहती हूं कि, हम मनुष्य को जीवन मिला है तो इसका सबसे बड़ा उद्देश्य “मनुष्य के द्वारा मनुष्य की सेवा है।”
इसी सोच को फलीभूत करने के लिए परिवार समाज देश की परिकल्पना फल फूल रही हैं । मनुष्य जीवन मिलता ही इसलिए है कि, हम जानवरों से अलग अपने जीवन का उद्देश्य पूरा करें और अपनी पहचान बनाएं।
जिन लोगों ने मनुष्य जीवन का मर्म और ज्ञान का उद्देश्य समझ लिया है, वे अपना जीवन अपने कर्मों में लगा देते हैं ।अपने मन, कर्म ,वचन से अपना सारा जीवन राष्ट्र को समर्पित कर देते हैं । पंचतत्व में विलीन होकर ही हमेशा के लिए धरती पर जीवित रह जाते हैं ।
प्राचीन काल से ही भारत में शिक्षा और ज्ञान प्रदान करने वाले लोगों की कमी नहीं रही है, सही दिशा दिखाने वाले आचार्य, गुरुदेव की कमी नही रही है,
जिन्होनें अपने ज्ञान और विचारों से लोगों का मार्गदर्शन किया है।अपने मनुष्य होने का मर्म समझा है उन्होंने अपना स्थान इहलोग और परलोक दोनों जगह बना ली है। जाते-जाते अपना सर्वस्व मनुष्य जाति को ,मनुष्य कल्याण को देकर गए ।परंतु ज्यादातर लोग इस बात को नही समझते हुए अपना जीवन यूं ही बिता कर चले जाते हैं।
भोग विलास की ओर इतना आकर्षित हो जाते हैं कि, मनुष्य होने का मर्म ही भूल जाते हैं। जो लोग राजनीति से जुड़े हैं वे राजनीति तो करते हैं मगर राजनीति का उद्देश्य भूल जाते हैं? समाज सेवा देश ,सेवा भूल जाते हैं। लोग धर्म से जुड़े हैं वह खुद ही धर्म को विकृतकर अपने निजी स्वार्थ के लिए धर्म को तोड़ मरोड़ कर लोगों के सामने रखते हैं और धर्म को विवाद का विषय बना देते हैं। कुछ लोग धन के पीछे रात -दिन भागते हैं? कुछ लोग रात दिन नशे में डूबे रहते हैं ? कुछ लोगों के पास कुछ भी नहीं होता है? और वह रात दिन रोजी-रोटी के जुगाड़ में जुड़े रहते हैं । कुछ लोगों के पास इतना होता है घर में चार कुत्ते पालकर उसे महंगा से महंगा भोजन कराते हैं ?मगर द्वार पर खड़े गरीब और भिखारी लोगों को द्वार पर खड़े लोगो को दरवाजे से लौटा देते है।उनके दरबार डंडे मार कर भगा देते हैं।
अगर सही अर्थों में समाज को देखा जाए तो हर जगह समाज में विकृति ही विकृति है।
ऐसी विकृति का शिकार होकर लोग अपने जीवन को यूं ही यूं ही बर्बाद करते रहते हैं। अपने जीवन का उद्देश्य ही भूल जाते हैं ।परंतु ऐसा नहीं होना चाहिए हम मनुष्य अगर धरती पर आए हैं तो हमें बड़े पैमाने पर ना सही, घर घर परिवार में तथा अपने समाज में ही अच्छे से अच्छा करने की कोशिश करनी चाहिए ।समाज सुधार राष्ट्रवाद के लिए काम करना चाहिए। हर क्षेत्र में क्षेत्रीय क्षेत्रीय स्तर पर भी बहुत सारे लोगों के नाम गिनाए जा सकते हैं जो सम्मानीय व्यक्ति बनकर समाज के लिए अनुकरणीय बन गये हैं ।माउंटेन मैन दशरथ मांझी इसका एक बहुत बड़ा उदाहरण है और सम्माननीय है। इतिहास के पन्नों में उनका नाम हमेशा के लिए जीवित रहेगा।
इसलिए हर संभव कोशिश यह होनी चाहिए कि ,हमारे कर्म और कर्तव्य से हम कुछ ना कुछ अपने समाज अपने देश ,अपने राष्ट्र को दें और कोशिश करें कि अपने आप को इस धरती पर हमेशा के लिए जीवित छोड़ जाएं।
मरने से तो प्रत्येक व्यक्ति डरता है परंतु ,हम मनुष्यों के पास ईश्वर ने धरती पर जीवित रहने का बहुत बड़ा माध्यम दे दिया है वह है हमारी बुद्धि और हमारा विवेक।
बुद्धि ज्ञान और कर्तव्य का तालमेल बनाकर इस संसार के लिए बहुत कुछ किया जा सकता है ।
रोजमर्रा की जिंदगी में हमारी छोटी-छोटी कोशिश हमें बहुत आगे तक ले जा सकती हैं। इसीलिए प्रत्येक व्यक्ति को कोशिश करना चाहिए कि ,कोई ना कोई हर दिन ऐसा काम अवश्य करें जिससे उन्हें भी आत्मिक शांति मिले और इस समाज को भी उनसे फायदा पहुंचे। लोगों के चेहरे पर भी मुस्कान आए।
अपनी सोच को इस मजबूत करें कि, निंदा ,शिकायत झूठ ,फरेब, नशा आदि दुर्गुणों से खुद को दूर रखकर हर दिन कुछ ऐसा करें ,जिससे हमारा और हमारे साथ -साथ समाज और देश का कल्याण हो सके। क्योंकि प्रत्येक मनुष्य एक इकाई है इस धरती का और उसका कर्तव्य बनता है कि इस धरती से जब जाये है कुछ ना कुछ धरती को देकर जाएं।

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