एक ओर आज़ादी के अमृत महोत्सव – दूसरी ओर छुआ-छूत द्वेषित मानसिकता – राजनीत या
पूछता है भारत – आजादी के 75 वर्ष बाद भी छुआछूत के नाम पर हमारे लोगों को मारा पीटा जाता है बल्कि हत्या तक कर दी जाती है तो फिर हम कैसे आजादी का अमृत महोत्सव मनाएं।
*आजादी के 75 वर्ष बाद भी छुआछूत के नाम पर हमारे लोगों को मारा पीटा जाता है बल्कि हत्या तक कर दी जाती है तो फिर हम कैसे आजादी का अमृत महोत्सव मनाएं।
राजस्थान प्रदेश के जिला जालोर के गॉव सुराणा निवासी देवाराम मेघवाल का 9 वर्षीय बेटा एक निजी स्कूल में पढ़ रहा था उसे स्कूल में प्यास लगी तो मटके से पानी पी लिया जिस पर विद्यालय में कार्यरत सवर्ण अध्यापक शैलू सिंह को इतना भयंकर गुस्सा आया कि उसने बच्चे को बेरहमी से पीटा बल्कि पीटकर बेहोश कर दिया व बेहोशी की हालत में उक्त बच्चे को उदयपुर इलाज के लिए भर्ती करवाया गया हालत गंभीर होने के कारण वहां से भी उसे अहमदाबाद इलाज के लिए रैफर कर दिया गया लेकिन बड़े ही दुख के साथ सूचित करना पड़ रहा है हमारे उस होनहार बेटे ने शनिवार 13 अगस्त को दम तोड़ दिया है।
बच्चे के पिता देवाराम मेघवाल ने बताया है कि आज भी हमारे लोगों को हीन भावना से देखा जाता है, सवर्ण समाज के लोग जमकर छुआछूत करते हैं साथ ही प्रताड़ित करते रहते हैं एवं आए दिन जुल्म अत्याचार के चलते विद्यालय से हमारे बच्चों को वंचित रखते हैं तथा विद्यालय में पानी भी पीने को नसीब नहीं होता है।
SC, ST के सभी संगठनों से अपील की जाती है कि इस मामले को राष्ट्रीय स्तर तक हाई लाइट करने का काम करें क्योंकि मनुवादी एवं मनुवादी सरकारें ऐसे मामलों को बिलकुल भी गम्भीरता से नहीं लेती हैं अभी अभी गुजरात से एक यात्रा चलकर दिल्ली जा रही थी उसका उद्देश्य यही था कि छूआछूत मुक्त भारत बनाने का प्रयास करें लेकिन उस यात्रा को राजस्थान एवं हरियाणा की सीमा पर ही रोक दिया गया आखिर उसे वापिस ही गुजरात लौटना पड़ा था।
आजादी के 75 वर्ष पूरे होने पर मनुवादी सरकारें अपनी कमियों पर पर्दा डालने की नीयत से घर घर तिरंगा एवं अमृत महोत्सव जैसे नाटक पूरे देश में किए जा रहे हैं कि जैसे सब कुछ ठीक चल रहा है लेकिन हमें इनके नाटक का पर्दाफाश करना होगा।
9 वर्ष के हमारे उस बेटे को न्याय तभी मिलेगा की हम सभी लोग अभी से ही इस घटना को राष्ट्रीय स्तर पर हाई लाइट करने में लग जाये।
हमारे लिए हमारे समाज का वह छात्र किसी VIP से कम नहीं था इसलिए उसकी मृत्यु पर पूरे समाज को 3 दिन का शोक रखना चाहिए तभी यह मामला राष्ट्रीय स्तर तक पहुंचेगा।
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