केजरीवाल सरकार का पल्ला फ्लड प्लेन परियोजना का ट्रायल
केजरीवाल सरकार, डेनमार्क और सिंगापूर के साथ मिलकर दिल्ली में ग्राउंड वाटर को रिचार्ज के लिए तलाशेगी संभावनाएं- मनीष सिसोदिया*
पिछले 10 सालों में भूजल स्तर 2 मीटर तक नीचे चला गया था, लेकिन पल्ला फ्लड प्लेन परियोजना के शुरू होने के बाद भूजल स्तर आधे से 2 मीटर तक बढ़ा है- मनीष सिसोदिया*
केजरीवाल सरकार का पल्ला फ्लड प्लेन परियोजना का ट्रायल।
नई दिल्ली – राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में पानी की किल्लत दूर करने और 24 घंटे जलापूर्ति सुनिश्चित करने की योजना पर केजरीवाल सरकार जोर-शोर से काम कर रही है। मॉनसून के दौरान यमुना नदी में बाढ़ के जरिये आने वाले पानी को संजोकर ग्राउंड वाटर को रिचार्ज करने की दिल्ली सरकार की ‘पल्ला फ्लड प्लेन परियोजना’ एक मील का पत्थर साबित हुई है। दिल्ली में पल्ला फ्लड प्लेन परियोजना के चलते भूजल स्तर में लगातार सुधार देखने को मिल रहा है। साल 2019 से लेकर 2021 तक, पिछले तीन सालों में औसतन करीब 812 मिलियन गैलन ग्राउंड वाटर रिचार्ज हुआ है। ऐसे में परियोजना के सफल नतीजों को देखते हुए केजरीवाल सरकार ने इस प्रोजेक्ट को इस साल भी जारी रखने का फैसला लिया है। इसी सिलसिले में गुरुवार को उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने सिंचाई और बाढ़ नियंत्रण विभाग के उच्चाधिकारियों के साथ बैठक की। उन्होंने बताया कि वर्तमान में यह परियोजना 40 एकड़ में फैली है, जिसमें से 26 एकड़ में एक तालाब बनाया गया, जहां बाढ़ के पानी का संचय होता है, जिसका उपयोग दिल्ली में भूजल स्तर को बढ़ाने के लिए किया जा रहा है। दिल्ली जल बोर्ड के अनुसार साल 2020 और 2021 में प्री-मॉनसून और पोस्ट-मॉनसून सीज़न के दौरान की गई स्टडी में यह पाया गया कि इस परियोजना के चलते ग्राउंड वाटर रिचार्ज होकर यमुना नदी से शहर की तरफ बढ़ रहा है, जिससे पूरे दिल्ली का भूजल स्तर बेहतर हो रहा है।
उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने बताया कि राजधानी से गुजरने वाली यमुना नदी में मॉनसून के दौरान लगभग हर साल बाढ़ आती है, जिसमें करोड़ों लीटर पानी यमुना से होते हुए बह जाता था। ऐसे में केजरीवाल सरकार ने तीन साल पहले मानसून के मौसम में नदी से गुजरने वाले इस अतिरिक्त बाढ़ के पानी को इकट्ठा करने के लिए यमुना नदी के पास मौजूद बाढ़ के मैदान में पर्यावरण के अनुकूल पल्ला प्रोजेक्ट कि शुरुआत की थी। इसके तहत 26 एकड़ का एक तालाब बनाया गया, जहां बाढ़ के पानी का संचय होता है। इसका इस्तेमाल राजधानी में भूजल को बढ़ाने के लिए किया जा रहा है। भूजल स्तर में बढ़ोतरी की मात्रा का पता लगाने के लिए 33 पीजोमीटर भी लगाए गए हैं। पल्ला फ्लड प्लेन परियोजना का मुख्य उद्देश्य बाढ़ के पानी का संचय करना है, ताकि साल भर इस संचित किए गए पानी का इस्तेमाल भूजल स्तर को बेहतर बनाने के लिए किया जा सके। इस परियोजना के सफल नतीजे देखने को मिले हैं, जिससे साबित होता है कि इस परियोजना से ग्राउंड वाटर तेजी से रिचार्ज हो रहा है।
उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने बताया कि पिछले 10 सालों में भूजल स्तर 2 मीटर तक नीचे चला गया था, लेकिन पल्ला फ्लड प्लेन परियोजना के शुरू होने के बाद भूजल स्तर आधे से 2 मीटर तक बढ़ा है। ये नतीजे काफी उत्साहित करने वाले हैं। इस सफल नतीजे के आधार पर इस प्रॉजेक्ट को अब एक साल ओर जारी रखने का फैसला लिया गया है। जहां वर्तमान में करीब 812 मिलियन गैलन ग्राउंड वाटर रिचार्ज हुआ है। वहीं, प्रोजेक्ट का क्षेत्रफल 1000 एकड़ तक बढ़ने से करीब 20,300 एमजी ग्राउंड वॉटर रिचार्ज हो सकेगा। इसी के साथ यह प्रोजेक्ट सिर्फ दिल्ली ही नहीं बल्कि पूरे देश के सूखाग्रस्त और पानी की किल्लत झेल रहे राज्यों के लिए एक बेहतरीन उदाहरण साबित होगा। उन्होंने बताया कि पल्ला फ्लड प्लेन परियोजना केजरीवाल सरकार की प्रमुख परियोजनाओं में से एक है। पल्ला से वजीराबाद के बीच करीब 20-25 किमी लंबे इस स्ट्रेच पर प्राकृतिक तौर पर गड्ढ़े (जलभृत) बनाए गए हैं। मानसून या बाढ़ आने पर पानी इसमें भर जाता है। नदी का पानी जब उतरता है, तो गड्ढ़ों में पानी बचा रहता है। जहां पहले लाखों गैलन पानी नदी में बह जाता था, अब वो व्यर्थ नहीं बहेगा।
कुछ साल पहले करीब 8000 हेक्टेयर यमुना फ्लड प्लेन पर अतिक्रमण हुआ करता था। ऐसे में दुर्भाग्य से बाढ़ के पानी को रिसने और रिचार्ज करने के लिए कोई महत्वपूर्ण स्थान नहीं था। पल्ला फ्लड प्लेन परियोजना के काम शुरू होने के बाद तत्काल परिणाम में बेहतर रिजल्ट सामने आए थे। 2020 और 2021 में क्रमश: 2.9 मिलियन क्यूबिक मीटर और 4.6 मिलियन क्यूबिक मीटर अंडरग्राउंड वाटर बड़े पैमाने पर रिचार्ज किया गया। वहीं, इसके बाद भी यह देखा गया कि पल्ला परियोजना क्षेत्र में पिछले वर्ष का भूजल स्तर, अनुमान से निकाले गए 3.6 मिलियन क्यूबिक मीटर भूजल से अधिक था। इस परियोजना ने न केवल पानी की मांग और आपूर्ति के बीच के अंतर को कम किया है, बल्कि गड्ढ़ो (जलभृतों) में पानी की बढ़ोतरी भी हुई है। परियोजना क्षेत्र में पीजोमीटर की मदद से एकत्रित किए गए आकड़ों के अनुसार भूजल-स्तर में 0.5 मीटर से 2 मीटर की औसत वृद्धि देखी गई।
उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने बताया कि आसपास के क्षेत्र के किसानों द्वारा 4000 एमजी और डीजेबी द्वारा दिल्ली के लोगों को पानी की आपूर्ति करने के लिए बोरवेल के माध्यम 16000 एमजी पानी की नियमित निकासी के बाद भी भूजल स्तर में बढ़ोतरी देखी गई। साल 2020 और 2021 में प्री-मॉनसून और पोस्ट-मॉनसून सीज़न के लिए तैयार की गई रुपरेखा में यमुना नदी से शहर की ओर ग्राउंडवाटर का फ्लो दिखा। इसके अलावा जहां तालाब नहीं है उस क्षेत्र की तुलना में तालाब वाले क्षेत्र में भूजल स्तर में बहुत तेजी से सुधार आया है।
*तीन वर्षों में पल्ला पायलट प्रोजेक्ट से भूजल रिचार्ज के आंकड़े*
साल 2019- 854 मिलियन लीटर
साल 2020- 2888 मिलियन लीटर
साल 2021- 4560 मिलियन लीटर
उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने बताया कि दिल्ली सरकार दिल्ली में गुणवत्तापूर्ण बुनियादी ढांचा बनाने व समाज के हर तबके को बेहतर सुविधाएं देने की दिशा में विभिन्न परियजनाओं पर काम कर रही है। इन परियोजनाओं का उद्देश्य जल संरक्षण, जल प्रदूषण नियंत्रण, अंडरग्राउंड वाटर को रिचार्ज करना, दुर्गंध में कमी, दिल्ली के घरों में साफ पानी की आपूर्ति, यमुना की सफाई, प्राकृतिक कार्बन सिंक में वृद्धि कर इकोलॉजिकल सिस्टम को बनाए रखना है। दिल्ली सरकार राजधानी में बरसात के पानी को सहेजकर रखने के लिए भी युद्धस्तर पर काम कर रही है। इस साल की बारिश में पूरी दिल्ली में बारिश के पानी को इकठ्ठा करने के लिए 1500 से अधिक नए अधिक रेन वाटर हार्वेस्टिंग पिट्स बनाए जा रहे है, जो 15 जुलाई से पहले बनकर तैयार हो जाएंगे। केजरीवाल सरकार ग्राउंड वाटर को रिचार्ज कर भूजल स्तर बढ़ाना चाहती है, ताकि बाद में उसका इस्तेमाल किया जा सके और पानी के मामले में दिल्ली आत्मनिर्भर बन सके। बरसात के पानी को व्यर्थ बहने देने से रोककर इन पिट्स को भरने का काम किया जाएगा। इसे लेकर पीडबल्यूडी को रेन वाटर हार्वेस्टिंग पिट्स बनाने के काम को तेजी से पूरा करने के निर्देश दिए गए हैं, ताकि मानसून के दौरान इसका ज्यादा से ज्यादा लाभ मिल सकें।
उल्लेखनीय है कि केजरीवाल सरकार दिल्ली को पानी के मामले में आत्मनिर्भर बनाने के लिए तेजी से काम कर रही है। इस बाबत पिछले दिनों मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने डेनमार्क के राजदूत फ्रेडी स्वैन से मुलाकात की थी। साथ ही डेनमार्क के वर्षा जल संरक्षण मॉडल को समझा था। इस दौरान फ्रेडी स्वैन ने बताया था कि कैसे वर्षा जल को संरक्षित कर डेनमार्क ने स्वयं को पानी के लिए आत्मनिर्भर बनाया है। सरकार डेनमार्क के उन मॉडल को दिल्ली में भी अपनाने का विचार कर रही है। केजरीवाल सरकार ऐसे समाधान को लागू करने के इच्छुक हैं, जिससे कि हम इस मानसून से ही ग्राउंड वाटर रिचार्ज कर सकें और उसके संरक्षण के दायरे का विस्तार कर सकें। इसके अलावा मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सिंगापुर के उच्चायुक्त साइमन वोंग से भी मुलाकात की थी। इस दौरान दिल्ली में ग्राउंड वाटर रिचार्ज और उसके निकासी के बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के लिए अत्याधुनिक समाधान लागू करने को लेकर चर्चा की थी। साइमन वोंग ने कहा था कि दिल्ली और सिंगापुर दोनों ही दो विशिष्ट शहरी केंद्र हैं, जिनकी समस्याएं भी एक जैसी हैं। ऐसे में दिल्ली और सिंगापुर के बीच विशेष रूप से पानी, पर्यावरण, सार्वजनिक आवास और ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के क्षेत्रों में सहयोग की बहुत बड़ी गुंजाइश है।
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