दिल्ली बहुत जल्दी बन जाएगी लेक सिटी – सैलानिओं का लगेगा तांता

*- झीलें ठीक करने से दिल्ली झीलों का शहर बनेगी और पानी की समस्या से निजात मिलेगी- दिल्ली सरकार एयरेटर्स लगाकर झीलों के पानी में ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ा रही है ताकि पानी पीने लायक हो सके- अरविंद केजरीवाल

*- झीलें ठीक करने से दिल्ली झीलों का शहर बनेगी और पानी की समस्या से निजात मिलेगी- दिल्ली सरकार एयरेटर्स लगाकर झीलों के पानी में ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ा रही है ताकि पानी पीने लायक हो सके- अरविंद केजरीवाल

दिल्ली बहुत जल्दी बन जाएगी लेक सिटी – सैलानिओं का लगेगा तांता

 

*- झीलें ठीक करने से दिल्ली झीलों का शहर बनेगी और पानी की समस्या से निजात मिलेगी- दिल्ली सरकार एयरेटर्स लगाकर झीलों के पानी में ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ा रही है ताकि पानी पीने लायक हो सके- अरविंद केजरीवाल

एमपीएनएन – संवादाता 

नई दिल्ली, – केजरीवाल सरकार दिल्ली में पानी की उपलब्धता को बढ़ाने में युद्ध स्तर पर काम कर रही है। साथ ही, झीलों का जिर्णोद्धार और नव निर्माण कर ग्राउंड वाटर को रिचार्ज किया जा रहा है। यह दिल्ली को झीलों का शहर बनाने में भी मदद कर रहा है। शनिवार को दिल्ली के पप्पन कला झील का सीएम केजरीवाल ने दौरा किया। सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली में 26 लेक और 380 वॉटर बॉडी बना रहे हैं, जिससे जल्द ही दिल्ली को पानी की समस्या से निजात मिलेगी। दिल्ली में 300 एकड़ पर बन रहीं 26 झीलों में 230 एमजीडी का ट्रीटेड पानी डाला जाएगा। झीलें ठीक करने से दिल्ली झीलों का शहर बनेगी और पानी की समस्या से निजात मिलेगी। साथ ही ग्राउंड वाटर भी रिचार्ज होगा। दिल्ली सरकार एयरेटर्स लगाकर झीलों के पानी में ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ा रही है ताकि पानी पीने लायक हो सके। पप्पन कलां झील के आधे किलोमीटर के दायरे में भूजल का स्तर 6.25 मीटर बढ़ गया है। जल मंत्री सौरभ भारद्वाज ने कहा कि ‘‘आप’’ की सरकार बनने से पहले द्वारका में पानी नहीं आता था। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इस इलाके तक पानी पहुंचाया। दिल्ली सरकार पप्पन कलां झील में खूबसूरत वॉकिंग ट्रैक और पार्क बनाएगी, जिसका लोग आनंद ले सकेंगे।
मुख्यमंत्री श्री अरविंद केजरीवाल ने शनिवार को पप्पन कलां सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट का निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान दिल्ली जल बोर्ड के अधिकारियों ने मुख्यमंत्री को परियोजना की प्रगति के बारे में बताया। इसके बाद सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि हम लोग जानते हैं कि दिल्ली में पीने के पानी की किल्लत है। एक तरफ दिल्ली सरकार कि कोशिश है कि दिल्ली को पड़ोसी राज्यों से पीने का पानी मिल सके। इसके लिए बातचीत जारी है। मगर दूसरी तरफ दिल्ली सरकार आत्मनिर्भर बन अपने स्तर पर भूजल को रिचार्ज और रिसाइकल कर रही है। दिल्ली की जनता को पानी उपलब्ध कराने की दिशा में हर संभव काम कर रही है। आज 21वीं सदी में ऐसी बहुत सी तकनीक आई हैं, जिसकी मदद से ग्राउंड वाटर को रिचार्ज और रिसाइकल कर इस्तेमाल किया जा सकता है। देशभर में ऐसे कई प्रयोग भी हुए हैं। इसी दिशा में दिल्ली सरकार राजधानी के अंदर यह प्रयास कर रही है। सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट के पानी को 10 में से 10 शुद्धता तक साफ करके इसे झीलों में डाला जा रहा है। पप्पन कलां झील में इसी आधार पर 7 और 4 एकड़ के दो कृत्रिम झीलें बनाई गई हैं। इन झीलों के अंदर एसटीपी का ट्रीटेड पानी छोड़ा जाता है। इस तरह यहां झील बनने से दो फायदे हुए हैं। पहला, यहां झील बनने से इस क्षेत्र की खूबसूरती बढ़ गई है। दिल्ली सरकार यहां लैंडस्कैपिंग का काम करेगी और पार्क बनवाएगी। जिसमें लोग आकर आनंद ले सकेंगे। 
सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि कृत्रिम झील का दूसरा फायदा यह है कि झील के अंदर एक साल से ट्रीटेड पानी डालने से इसके आसपास के आधे किलोमीटर के क्षेत्र में भूजल का स्तर बढ़ा है। भूजल स्तर 6.25 मीटर बढ़ गया है। जबकि पहले क्षेत्र का भूजल स्तर 20 मीटर नीचे चला गया था। जल बोर्ड के अधिकारियों के मुताबिक अब इस क्षेत्र में आधे किलोमीटर दूर तक जमीन को 13 मीटर खोदने पर ही पानी उपलब्ध है। 
सीएम श्री  अरविंद केजरीवाल ने कहा कि झील के आस-पास के क्षेत्र में पीजोमीटर लगाए जा रहे हैं, जो यह बताएंगे कि भूजल का स्तर कितना बढ़ा है। थोड़े दिन बाद आसपास के क्षेत्र में ट्यूबवेल और आरओ मशीन लगाई जाएंगी। ट्यूबवेल से भूजल निकाल कर उसे आरओ से ट्रीट किया जाएगा। जिसे एसटीपी प्लांट से थोड़ी दूर स्थित यूजीआर में इकट्ठा किया जाएगा। इसी पानी को पीने के लिए इस्तेमाल किया जाएगा। 
सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि पप्पन कला की तरह पूरी दिल्ली के अंदर जगह-जगह झीलें बनाई जाएंगी। वर्तमान में पप्पन कलां एसटीपी प्लांट से सालभर में 40 एमजीडी पानी निकलता है जिसे पप्पन कलां में बनी दो कृत्रिम झीलों में डाला जा रहा है। भविष्य में इस क्षेत्र का भूजल स्तर बढ़ने पर यहां ट्यूबवेल के माध्यम से 20 एमजीडी भूजल निकाला जा सकेगा। हालांकि पहले फेस में 10 एमजीडी पानी ही निकाला जाएगा। 
सीएम अरविंद केजरीवाल ने बताया कि इन कृत्रिम झीलों के अंदर कई सारे वेटलैंड्स बनाए गए हैं। जिसमें पौधे उगे हैं और उसमें चारों तरफ से कई सारे दुर्लभ पक्षी भी आ रहे हैं। इससे पूरा वातावरण बहुत सुंदर हो गया है। दिल्ली के माहौल के अंदर इस तरह का वातावरण मिलना अपने आप में एक बहुत बड़ी उपलब्धि है। 
मुख्यमंत्री श्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि पप्पन कलां में जो कृत्रिम झीलें बनाई गई हैं, यह पूरी समतल जमीन को खोदकर इन झीलों को बनाया गया है। उन्होंने कहा कि हम पूरी दिल्ली में इसी तरह से 26 झीलें बना रहे हैं। जिसमें से 16 कृत्रिम झीलें हैं। इसके अलावा दिल्ली में 10 प्राकृतिक झीले हैं, जिनका पानी पूरी तरह से सूख गया है। वहां अब सिर्फ गड्ढे रह गए हैं। दिल्ली सरकार इन झीलों में पानी भरकर इन्हें नया रूप देगी। दिल्ली में 300 एकड़ पर 26 झीलें बनी हैं। जिसमें 230 एमजीडी का ट्रीटेड पानी डाला जाएगा। 
सीएम श्री  अरविंद केजरीवाल ने बताया कि दिल्ली सरकार जगह-जगह पर पीजोमीटर लगाने जा रही है। जब इस झीलों को आसपास पानी रिचार्ज हो जाएगा और भूजल ऊपर आ जाएगा। तब इन क्षेत्रों में ट्यूबवेल और आरओ लगाकर इस पानी को निकालकर उसे ट्रीट करके पास के यूजीआर में भेजा जाएगा। जिसे पीने के लिए इस्तेमाल किया जाएगा और पूरी दिल्ली इस पानी की आपूर्ति की जाएगी। सीएम अरविंद केजरीवाल ने बताया कि दिल्ली सरकार झील के पानी में ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ाने की दिशा में भी काम कर रही है। इसके लिए झीलों के पास एयरेटर्स लगाए गए हैं। इससे झीले के पानी में ऑक्सीजन भी मिल रही है, ताकि पानी पीने लायक हो सके। 
मुख्यमंत्री श्री  अरविंद केजरीवाल ने आगे कहा कि ढ़ाई एकड़ से कम क्षेत्र में बनी वाटर बॉडीज को छोटी वाटर बॉडीज कहा जाता है। दिल्ली सरकार 35 छोटी वाटर बॉडीज को ठीक कर चुकी है। वहीं पूरी दिल्ली में कुल 380 छोटी वाटर बॉडीज हैं, जिसे दिल्ली सरकार ठीक करेगी। सीएम ने कहा कि इस तरह से दिल्ली में दो काम होंगे। एक तरफ दिल्ली झीलों का शहर बनेगा और दूसरी तरफ दिल्ली में पानी का स्तर बढ़ेगा। दिल्ली के अंदर पानी की समस्या को हल करने में ग्राउंड वॉटर को रिचार्ज और रिसाइकल करके पानी निकालने का तरीका बहुत कामयाब साबित होगा। 
मुख्यमंत्री श्री  अरविंद केजरीवाल ने कहा कि पप्पन कलां में कृत्रिम झील बनने से यहां आधे किलोमीटर के क्षेत्र में ही भूजल का स्तर 6.25 मीटर बढ़ गया है। यह बहुत बड़ी उपलब्धि है। अब हम यहां ट्यूबवेल के माध्यम से पानी निकाल सकेंगे और इसे आरओ की मदद से ट्रीट करके लोगों तक सप्लाई पहुंचाएंगे। पप्पन कलां में आस-पास के क्षेत्र में ट्यूबवेल लगने चालू हो गए हैं और आरओ के प्लांट भी अगस्त-सितंबर माह तक लग जाएंगे। इसके बाद यहां का पानी पीने में इस्तेमाल किया जा सकता है। 
पप्पन कलां एसटीपी प्लांट का निरीक्षण करने पहुंचे जल मंत्री सौरभ भारद्वाज ने कहा कि आम आदमी पार्टी की सरकार बनने से पहले दिल्ली के द्वारका इलाके में पानी नहीं आता था। द्वारका सब-सिटी में सब कुछ था, लेकिन पानी नहीं था। ‘आप’ की सरकार बनने के बाद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इस इलाके को पानी दिया। इस इलाके में पानी बना रहे, इसके लिए इस तरह की कृत्रिम झीलें बनाई जा रही है। केजरीवाल सरकार की ओर से बड़े स्तर पर इस पर काम किया जा रहा है। 
उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार ने दो कृत्रिम झीलें बनाई हैं। यहां मौजूद सीवर ट्रीटमेंट प्लांट से उपचारित होकर आने वाले साफ पानी को पहले हम तालाब में भरते हैं, इन-सीटू उपचार प्रणाली के जरिए पानी को और ज्यादा स्वच्छ बनाया जाता है। इस तरह पानी धीरे-धीरे जमीन के नीचे जाता है और भूजल स्तर को बढ़ाने में मदद करता है। दिल्ली में पहली बार ऐसा हुआ है कि भूजल स्तर बढ़ रहा है। यहां आस-पास करीब आधे किलोमीटर के इलाके में भूजल स्तर बढ़ा है। अब यहां पर हम बड़ी संख्या में ट्यूबवेल लगाएंगे और इस पानी को निकालेंगे। यहां बड़े आरओ प्लांट लगाकर पानी को ट्रीट करेंगे, ताकि पानी पीने योग्य बन सके और इसकी आगे सप्लाई की जा सके। आने वाले समय पर यहां पर खूबसूरत वॉकिंग ट्रैक और पार्क बनाए जाएंगे। लोग यहां अपने परिवारों के साथ आकर प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद ले सकेंगे और पर्यटक गर्मी से राहत के साथ सुकून के पल तलाश पाएंगे। अब यहां बहुत ही दुर्लभ पक्षी आने लगे हैं। इससे झील से आसपास की आबो-हवा भी साफ हुई है। दिल्ली की बढ़ती आबादी के लिए पानी की डिमांड और सप्लाई के अंतर को कम करने के साथ ही भीषण गर्मी के दौरान तापमान को कम करने में भी मदद मिलेगी।
दिल्ली में बनाई जा रहीं झीलों के बारे में जानकारी देते हुए दिल्ली जल बोर्ड के अधिकारियों ने बताया कि दिल्ली सरकार ने कुल 300 एकड़ से अधिक क्षेत्रफल में 26 झीलों के कायाकल्प करने पर काम शुरू कर दिया है। इनमें से 16 झीलें कृत्रिम हैं और बाकी 10 झीलें पहले से मौजूद हैं, जो या तो सूख गई हैं या फिर समय के साथ प्रदूषित हो गई हैं। झीलों के कायाकल्प के उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए, दिल्ली सरकार ने डीजेबी एसटीपीएस से प्रतिदिन ट्रीटेड 230 एमजीडी पानी का उपयोग करने की योजना बनाई है।
इन झीलों की रिचार्ज करने क्षमता लगभग 462 एमजीडी होने का अनुमान है और सरकार भूजल स्तर में वृद्धि को मापने के लिए इन सभी झीलों में पीज़ोमीटर स्थापित करेगी। दिल्ली सरकार के अंतर्गत आने वाली सभी झीलों में व्यापक लैंडस्केपिंग करने के लिए सरकार ने सलाहकार भी नियुक्त किए हैं। इसके अलावा, पानी को चमकाने और इसमें ऑक्सीजन की मात्रा को 5 मिलीग्राम प्रति लीटर से ऊपर बढ़ाने के लिए सभी झीलों में इन-सीटू उपचार प्रणाली स्थापित की जाएगी, जो किसी भी जल निकाय के स्वास्थ्य को मापने के लिए एक महत्वपूर्ण पैरामीटर है।
झीलों के अलावा, दिल्ली सरकार ने 35 वॉटर बॉडीज का कायाकल्प भी पूरा कर लिया है और शेष पर काम चल रहा है। गांवों के शहरीकरण के चलते स्वामित्व के स्थानांतरण की वजह से जल निकायों के कायाकल्प का काम धीमा हो गया है। लेकिन इस मुद्दे का समाधान किया जा रहा है और ‘आप’ सरकार दिल्ली के अंतर्गत आने वाले 131 जल निकायों और डीडीए के 250 जल निकायों के कायाकल्प की योजना बना रही है। दिल्ली सरकार के अंतर्गत आने वाले जल निकायों की रिचार्जिंग, सौंदर्यीकरण और निकासी का काम दिल्ली जल बोर्ड करेगा। जबकि डीडीए के जल निकायों के लिए डीजेबी केवल रिचार्जिंग और निकासी का काम करेगी।
दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) ने पप्पन कलां एसटीपी फेज-2 के परिसर के अंदर दो झीलों का निर्माण करके भूजल के संरक्षण और रिचार्ज की दिशा में भी कदम उठाया है। इन दोनों झीलों का संयुक्त क्षेत्रफल 11 एकड़ है और पानी अवशोषित करने की क्षमता 49 एमजीडी है। फेस -2 से ट्रीटेड प्रवाह में 10 मिलीग्राम/लीटर से कम बायोकेमिकल ऑक्सीजन डिमांड (बीओडी) है जो निर्धारित मानदंडों के अनुरूप है। इसका उपयोग भूजल को रिचार्ज करने के लिए किया जाएगा। झील नंबर -1 में 7 एकड़ का क्षेत्र शामिल है और इसकी अवशोषित करने की क्षमता 31 एमजीडी है, जबकि झील नंबर- 2  में 4 एकड़ का क्षेत्र शामिल है और इसकी क्षमता 18 एमजीडी है।
Leave A Reply

Your email address will not be published.