दुबई में उर्दू के प्रसिद्ध कवि जलाल काकवी की याद में श्रद्धांजलि सभा का आयोजन”

उनकी शायरी में जीवन के गहरे अनुभव, सामाजिक मुद्दों और व्यक्तिगत भावनाओं की झलक मिलती थी

उनकी लेखनी में गहराई और सादगी का अनूठा मेल था, जो उन्हें अन्य शायरों से अलग पहचान दिलाता था। उनकी शायरी न केवल समकालीनों बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए भी प्रेरणा स्रोत बनी रहेगी।

दुबई में उर्दू के प्रसिद्ध कवि जलाल काकवी की याद में श्रद्धांजलि सभा का आयोजन”

सैयद आसिफ इमाम काकवी  दुबई

आज 31 जनवरी 2025 को दुबई की एक मजलिस में गहरा सन्नाटा छाया हुआ था। सैयद जलाल काकवी भाई साहब के निधन ने हर दिल को गमगीन कर दिया था। बिहार की कई सम्मानित हस्तियाँ इस मजलिस में मौजूद थीं, और हर किसी की आँखों में उनके लिए इज़्ज़त और मोहब्बत साफ़ झलक रही थी। जब सैयद आसिफ इमाम काकवी ने अपनी तक़रीर शुरू की, तो हर कोई उनकी बातों में खो गया। उन्होंने कहा मौत एक अटल सच्चाई है, जिसे कोई इनकार नहीं कर सकता। हर इंसान को एक दिन इस दुनिया से रुख़्सत होना है। लेकिन जब कोई अपना हमें छोड़कर चला जाता है, तो हमारे पास सिर्फ़ उनकी यादें ही बचती हैं। हम इन्हीं यादों के सहारे उन्हें याद करते हैं और अपने दिल को तसल्ली देते हैं। लेकिन इस मामले में इंसान कितना भी बड़ा क्यों न हो, वह बेहद बेबस होता है। हमारे पास सब्र के सिवा कोई और चारा नहीं होता।”

मरहूम सैयद जलाल काकवी

सभा में मौजूद हर शख्स उनकी बातों से सहमत था। सभी की आँखों में मरहूम सैयद जलाल काकवी की यादें उमड़ रही थीं उनके साथ बिताए लम्हे, उनकी बातें, उनकी मुस्कान सब कुछ जैसे फिर से ज़िंदा हो गया हो। सैयद आसिफ इमाम काकवी ने आगे कहा  “हम अल्लाह तआला से दुआ करते हैं कि वह सैयद जलाल काकवी भाई साहब को अपनी रहमत के साये में जगह दे, उनकी तमाम ख़ताओं को माफ करे और उनके दरजात बुलंद फरमाए। मजलिस खत्म हो गई, लेकिन हर शख्स गहरी सोच में डूबा रहा। शायद इसलिए कि ऐसी बातें इंसान को उसकी फानी (नश्वर) ज़िंदगी की हकीकत से रुबरू कराती हैं।  सैयद शाह जलाल काकवी के निधन से उर्दू  शायरी   और बिहार की सांस्कृतिक धरोहर को अपूरणीय क्षति हुई है। अपनी कविताओं में बिहार और बिहारी संस्कृति पर गर्व व्यक्त किया है।  उनकी शायरी में जीवन के गहरे अनुभव, सामाजिक मुद्दों और व्यक्तिगत भावनाओं की झलक मिलती थी। उनकी लेखनी में गहराई और सादगी का अनूठा मेल था, जो उन्हें अन्य शायरों से अलग पहचान दिलाता था। उनकी शायरी न केवल समकालीनों बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए भी प्रेरणा स्रोत बनी रहेगी।   सैयद जलाल काकवी साहब ने अपनी शुरुआती तालीम पटना कॉलेज से हासिल की और फिर मदरसा शम्सिया हूदा, पटना से आलिम की डिग्री प्राप्त की। बाद में, उन्होंने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी से उच्च शिक्षा प्राप्त की। क्रिकेट के प्रति आपके जुनून ने आपको एक उत्कृष्ट स्पिन गेंदबाज और बल्लेबाज बनाया, और पटना में आपके छात्र जीवन के दौरान आपकी क्रिकेट टीम ने ख्याति अर्जित की। काको में आयोजित होने वाले बीबी कमालो क्रिकेट टूर्नामेंट, जो उस समय बिहार का सबसे बड़ा क्रिकेट टूर्नामेंट था,  आप  आयोजन  करते थे इस टूर्नामेंट में कई रणजी खिलाड़ी भी शामिल होते थे, और 1987 से 2000 तक काको में खेलों का स्वर्णिम युग था।  सैयद शाह जलाल काकवी का जन्म एक प्रतिष्ठित परिवार में हुआ था। उनके दादा, मरहूम हकीम सईद साहब, और उनके वालिद, मरहूम सैयद शाह इस्माईल साहब, अपने समय के मुअज़्ज़िज़ उलमा और अदीब थे।  काको, बिहार की वह सरज़मीं है, जो अपनी तहज़ीब, अदब और सांस्कृतिक विरासत के लिए हमेशा मशहूर रही है। इस धरती ने कई महान शायरों, लेखकों और रहनुमाओं को जन्म दिया है। इन्हीं में से एक प्रमुख नाम सैयद जलाल काकवी का भी है, जिन्हें साहित्य और तहज़ीब की दुनिया में हमेशा याद किया जाएगा। उनके बारे में यह कहना बिल्कुल सही है  अच्छे  लोगों को खोजना मुश्किल होता है, उन्हें छोड़ना और भी मुश्किल और उन्हें भुलाना नामुमकिन।”  29 जनवरी 2025  सुबह 5 बजे, पटना में, सैयद जलाल काकवी साहब ने अपनी आखिरी सांस ली।  उनकी शायरी दिलों को छू जाने वाली और सच्चाई, मोहब्बत और समाज की अक्कासी करती थी। उनकी मुस्कान, सादगी और वकार हमेशा याद रखी जाएगी। उन्होंने साहित्य को समृद्ध करने के साथ-साथ समाज को एक नई दिशा देने का कार्य किया।   काको की सरज़मीं और उर्दू अदब हमेशा आपकी रोशनी से रौशन रहेगा।

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