आखिर क्यूँ बदलना पड़ा, दिल्ली सरकार को अपने तेवर ….. व्यक्ति को सम्मान उसके कर्मों के आधार पर मिलता है।

दिल्ली दीवाना बिन सजना के माने ना --- ये तो पगला है समझाने समझें ना..... व्यक्ति को सम्मान उसके कर्मों के आधार पर मिलता है।

दिल्ली के उप राज्यपाल का अपना ही एक अलग रंग है – दिल्ली सरकार चाहे कोई भी फाइल भेजे – और एलजी का उस पर तकरार न हो यह सम्भव नही ? मम्मला चाहे मेयर के चुनाव का हो या स्टैंडिंग कमेटी बनाने की हो. व्यक्ति को सम्मान उसके कर्मों के आधार पर मिलता है।

आखिर क्यूँ बदलना पड़ा, दिल्ली सरकार को अपने तेवर ….. व्यक्ति को सम्मान उसके कर्मों के आधार पर मिलता है।

दिल्ली के उप राज्यपाल का अपना ही एक अलग रंग है – दिल्ली सरकार चाहे कोई भी फाइल भेजे – और एलजी का उस पर तकरार न हो यह सम्भव नही ? मम्मला चाहे मेयर के चुनाव का हो या स्टैंडिंग कमेटी बनाने की हो. व्यक्ति को सम्मान उसके कर्मों के आधार पर मिलता है।

नई दिल्ली – दिल्ली के उप राज्यपाल का अपना ही एक अलग वर्चस्व है , वह सांमती मानसिकता या फिर भाजपा सुप्रीमों के वफादारी – दिल्ली सरकार चाहे कोई भी फाइल भेजे – उस पर तकरार न हो ऐसा हो ही नही सकता –  एलजी साहब बिना कोई शर्तों या दिल्ली के मुखिया से बिना हाँथ पैर जुवाये कोई फ़ाइल अब तक पास नहीं किया? जबकि एलजी साहब भली भांति जानते है केजरीवाल भी आरएसएस के विशेष चाहिते हैं, बावजूद इसके बड़े भाई और छोटे भाई के ज़ोर आज़माइश वाली ही तकरार चलती रहती है। हिंदुस्तान के मतदाता कल भी बेवक़ूफ़ थी और आज भी है। और कल भी रहेंगे। इसलिये की हिंदुस्तान की 80 प्रतिशत आबादी में गुलामी और अंधविश्वास का डीएनए है। इसे बदलने के लिये आबादी के कम से कम 40 प्रतिशत शिक्षित बुद्धिजीवियों को कम से कम 50 वर्ष और पूरे लगन के साथ जंगलों के गाँव कस्बों, देहातो में मनुष्यों को इंसान और इंसानियत की पहचान कराने के लिये काम करना होगा – बहरहाल हम दिल्ली के एलजी साहब और दिल्ली सरकार के रार की बात कर रहे हैं – अब दिल्ली के नगर निगम में मेयर बनने की ही बात ले लीजिये, अधिकार बहुमत का है, लेकिन उसमें भी अल्पमत रही भाजपा समर्थित एलजी साहब का हस्ताक्षेप – इनके तकरार के कारण लगभग तीन महीने दिल्ली में मेयर का मामला अधर में लटका रहा अंततः सुप्रीमकोर्ट के हस्ताक्षेप से मेयर बना तो तो अब मामला दिल्ली नगर निगम में स्टैंडिंग कमेटी के बनने पर अब तीन दिनों से ज़बरदस्त हमगान चल रहा है, नगर निगम के हाउस में लातम, घुस्सा, जूता – चप्पल, पानी बोतल मार पीट जैसे कालोनियों के स्कूल के बच्चे क्लास से छूटने के बाद जो हरकते करते है उससे भी बदतर – यह लोग अपने आपको बुद्धिजीवी और काउंसलर नेता कहे जाने वाले लोग असभ्य और दुर्भावनापूर्ण व्यावहार कर रहे है जो भाजपा के हैं यही लोग अपने आपको संस्कारी और भारत की संस्कृति को बचाने के अपने आपको ठेकेदार भी कहते है। 

बहरहाल – इस समय केजरीवाल सरकार ने बहुत ही बड़ा फैसला ले लिया है – केजरीवाल सरकार ने अपने अधिकारियों को निर्देश दिया है की, दिल्ली एलजी से सीधे आदेश लेना बंद करें, एलजी के ऐसे असंवैधानिक सीधे आदेशों को लागू करना टीबीआर के नियम 57 का उल्लंघन माना जाएगा, सभी मंत्रियों ने अपने-अपने विभाग के सचिव को दिए निर्देश, ट्रांजेक्शन ऑफ बिजनेस रूल्स या कार्य संचालन नियम (टीबीआर) का सख्ती से पालन करें, सचिवों को निर्देश दिया गया है कि एलजी से मिलने वाले किसी भी सीधे आदेश के संबंध में संबंधित मंत्री को रिपोर्ट करें। सवाल है की केजरीवाल को एल्गी के खिलाफ इतना सख्त क़दम क्यूँ  उठाना पड़ा – मरता क्या करता। 

केजरीवाल सरकार ने अधिकारियों को निर्देश दिया है कि एलजी से सीधे आदेश लेना बंद करें।‌ सभी मंत्रियों ने अपने-अपने विभाग के सचिव को यह निर्देश दिए हैं। इसमें कहा गया है कि ट्रांजेक्शन ऑफ बिजनेस रूल्स या कार्य संचालन नियम (टीबीआर) का सख्ती से पालन करें। साथ ही एलजी से मिलने वाले किसी भी सीधे आदेश के बारे में संबंधित मंत्री को रिपोर्ट करें। संविधान और सुप्रीम कोर्ट के फैसले का उल्लंघन कर उपराज्यपाल चुनी हुई सरकार को दरकिनार कर सचिवों को सीधा आदेश जारी कर रहे हैं । एलजी के ऐसे असंवैधानिक सीधे आदेशों को लागू करना टीबीआर के नियम 57 का उल्लंघन माना जाएगा। उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि एलजी की तरफ से दिया जाने वाला ऐसा कोई भी आदेश, संविधान और सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का सरासर उल्लंघन है। ‌संविधान और सुप्रीम कोर्ट के आदेशों को लागू कराने के‌ लिए सरकार की ओर से गंभीरता से काम किया जाएगा।
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली दिल्ली सरकार ने संविधान और सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का पालन करने के निर्देश देते हुए अधिकारियों से स्पष्ट कहा है कि एलजी से सीधे आदेश न लें। इस क्रम में सभी सरकार के सभी मंत्रियों ने अपने विभागीय सचिवों को पत्र लिखकर संविधान, कार्य संचालन नियम (TBR) और सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ के फैसले का सख्त अनुपालन करने के लिखित दिशानिर्देश जारी कर दिए हैं। सचिवों को निर्देश दिए गए हैं कि यदि उन्हें एलजी से सीधे आदेश प्राप्त होते हैं तो वे प्रभारी मंत्री को तुरंत रिपोर्ट करें।
सरकार की तरफ से जारी लिखित आदेश में कहा गया है कि भारतीय संविधान और सर्वोच्च न्यायालय की संविधान पीठ के आदेश के मुताबिक दिल्ली सरकार के पास केवल भूमि, पुलिस और सार्वजनिक आदेश जैसे तीन विषयों को छोड़कर बाकी सभी पर अधिकार है। इन तीन विषयों को ‘आरक्षित’ विषय कहा जाता है, जबकि दिल्ली सरकार के नियंत्रण वाले बाकी विषयों को ‘स्थानांतरित’ कहा जाता है। 
स्थानांतरित विषयों के मामले में, अनुच्छेद 239AA(4) का प्रावधान बताता है कि एलजी किसी भी स्थानांतरित विषय पर मंत्रिपरिषद के फैसले से अलग राय रख सकते हैं। हालांकि, इस मतभेद को टीबीआर के नियम 49, 50, 51 और 52 में निर्धारित प्रक्रिया के माध्यम से पूरा किया जाना चाहिए। इन प्रावधानों का मूल यह है कि विचारों के अंतर को यांत्रिक रूप से प्रयोग नहीं किया जाना चाहिए और नियम 51 और 52 के तहत निर्देश जारी करने से पहले उन मतभेदों को हल करने का हरसंभव प्रयास किया जाना चाहिए।
सर्वोच्च न्यायालय ने दिल्ली के शासन के संबंध में एक निर्णय जारी किया था। अदालत ने कहा था कि दिल्ली के एलजी को दिल्ली सरकार के नियम, 1993 टीबीआर के नियम 49 और 50 की निर्धारित प्रक्रिया का पालन करना चाहिए। ये नियम एलजी और एक मंत्री या मंत्रिपरिषद के बीच मतभेद के मामले में पालन की जाने वाली प्रक्रिया को निर्धारित करते हैं।
Leave A Reply

Your email address will not be published.