हिन्दी अकादमी द्वारा दो दिवसीय ‘‘नाट्य समारोह’’ का आयोजन

गतिविधियों से सीधा संवाद स्थापित करती है। अभिनय के माध्यम से समाज एवं व्यक्ति के चरित्रों का प्रदर्शन ही नाटक है।

नाटक साहित्य की अद्भुत विधा है जो समाज से और उसकी गतिविधियों से सीधा संवाद स्थापित करती है। गतिविधियों से सीधा संवाद स्थापित करती है। अभिनय के माध्यम से समाज एवं व्यक्ति के चरित्रों का प्रदर्शन ही नाटक है।

हिन्दी अकादमी द्वारा दो दिवसीय ‘‘नाट्य समारोह’’ का आयोजन

MPNN – NEWS

हिन्दी अकादमी, दिल्ली द्वारा दिनांक 29-20 नवंबर, 2023 को दो दिवसीय ‘‘नाट्य समारोह’’ का आयोजpack nintendo switch fortnite carrefour ford focus klimaanlage geht nicht aspirapolvere hoover amazon amazon tidal piano g2 best usb controller for pc rock radio słuchaj online maxi trägerkleid כובעים מודפסים testberichte elektrische zahnbürsten nike shox nz mens white candele confezione regalo roller mit dach bmw skechers afterburn velcro nike lunar oneshot white niederquerschnittsreifen 19 zoll न एलटीजी सभागार में किया जा रहा है। नाट्य समारोह का उद्घाटन करते हुए सचिव श्री संजय कुमार गर्ग ने कहा कि नाटक साहित्य की अद्भुत विधा है जो समाज से और उसकी गतिविधियों से सीधा संवाद स्थापित करती है। अभिनय के माध्यम से समाज एवं व्यक्ति के चरित्रों का प्रदर्शन ही नाटक है। इसी कड़ी में बुधवारए दिनांक 29.11.23 को सायं 4.00 बजे से सुश्री माधुरी सुबोध द्वारा रचित नाटक मन वृंदावन तथा सायं 6.00 बजे से श्री भगवती चरण वर्मा द्वारा रचित ऐतिहासिक नाटक चित्रलेखा का नाट्य मंचन किया गया।

प्रथम नाटक श्री नीलेश दीपक द्वारा निर्देशित नाटक मन वृंदावन में मीराबाई के जीवन प्रसंगों, विविध घटनाक्रमों को सहेजकर नाट्य स्वरूप प्रदान किया गया। गीत-संगीत, नृत्य एवं अभिनय से सजी नाट्य प्रस्तुति बहुत मनोरंजक एवं मनोरम रही। सायं 6.00 बजे से मंचित नाटक श्री कैलाश चंद द्वारा निर्देशित चित्रलेखा की कथा पाप और पुण्य की समस्या पर आधारित है। पाप क्या है? उसका निवास कहाँ है? इन प्रश्नों के उत्तर खोजने के लिए महाप्रभु रत्नाकर के दो शिष्यों श्वेतांक और विशालदेव सामंत बीजगुप्त और योगी कुमारगिरी की शरण में जाते हैं। और उनके निष्कर्षों पर महाप्रभु रत्नांबर की टिप्पणी है, संसार में पाप कुछ भी नहीं है, यह केवल मनुष्य की दृष्टिकोण के दृष्टिकोण की विषमता का दूसरा नाम है।


उपरोक्त नाटकों में कलाकारों के अभिनय ने सभाागार में उपस्थित दर्शकों को मोहित कर दिया। नाट्य समारोह के दूसरे दिन वीरवार को डॉ. शंकर शेष का लिखा व गौरव ग्रोवर निर्देशित नाटक एक़ और द्रोणाचार्य व सुश्री शम्पा मण्डल का लिखा व निर्देशित नाटक अस्तित्त्व का मंचन किया जायेगा। कार्यक्रम के अंत में हिंदी अकादमी के उपसचिव श्री ऋषिकुमार शर्मा ने निर्देशकों, कलाकारों और दर्शकों को धन्यवाद करते हुए कहा कि नाटक हमें स्वयं से रूबरू करवाते हैं। और जितने भी नाटक रचे गए हैं वो हमारे जीवन से कहीं न कहीं स्पर्श करते हैं।

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