आरएसएस के साथ उलेमाओं की बैठक – मुसलमानों को गुमराह करने की साजिश
कभी-कभी मुझे आश्चर्य होता है कि क्या पढ़े-लिखे मुसलमान झूठे आरोप लगाना, आधारहीन अफवाहें फैलाना और दुष्प्रचार करना ही जीवन का एकमात्र उद्देश्य समझते हैं - एम.जे. खान (अध्यक्ष)
कभी-कभी मुझे आश्चर्य होता है कि क्या पढ़े-लिखे मुसलमान झूठे आरोप लगाना, आधारहीन अफवाहें फैलाना और दुष्प्रचार करना ही जीवन का एकमात्र उद्देश्य समझते हैं
आरएसएस के साथ उलेमाओं की बैठक – मुसलमानों को गुमराह करने की साजिश
एम. जे. खान
हाल ही में आरएसएस प्रमुख के साथ पांच मुसलमानों की बैठक ने (IMPAR) अर्थात इंडियन मुस्लिम फ़ॉर प्रोग्रेसिव एंड रिफार्म, के खिलाफ सोशल मीडिया पर अफवाहों का नया दौर शुरू कर दिया है। मैं स्पष्ट कर दूं कि यह पूर्णतया आधारहीन और दुर्भावनापूर्ण प्रचार हैI इस मीटिंग में IMPAR की कोई भूमिका नहीं है। यह भारतीय मुसलमानों को गुमराह करने की गहरी साजिश है। इन पांचों साथियों ने लगभग एक साल पहले इसी कारण से IMPAR से नाता तोड़ लिया था और एक नई संस्था का गठन किया था। उस बैठक में वे चाहते थे कि IMPAR आरएसएस और बीजेपी के साथ जुड़े, जबकि मेरा मत था की सरकार के साथ बात चीत की जाये न कि आरएसएस/बीजेपी के साथ। परिणामस्वरूप, इन पांचों सहित सात व्यक्तियों ने इम्पार छोड़ दिया, और एक नया समूह AEEDU बनाया। यहां तक कि उन्होंने इम्पार के प्रमुख अधिकारियों को भी तोड़ लिया। आज इस नए समूह पर आरोप लगाने के बजाय कुछ अफवाह फैलाने वाले तत्व फिर से इम्पार को घसीट रहे हैंI मैं स्पष्ट कर दूं कि IMPAR का कोई राजनीतिक झुकाव नहीं है। इसका गठन कोरोना जिहाद संकट से निपटने के लिए एक आपातकालीन प्रतिक्रिया प्रणाली के रूप में किया गया था। संकट की अवधि समाप्त होने के बाद हम इसे बंद करने के इच्छुक थे। लेकिन कई सदस्यों ने इसकी निरंतरता की वकालत की और जागरूकता कार्यक्रम, मीडिया प्रबंधन और आर्थिक सशक्तिकरण कार्यक्रमों पर ध्यान केंद्रित करने के लिए इसके काम को फिर से शुरू करने की वकालत की। IMPAR ठीक उसी एजेंडे पर काम कर रहा है। यह एकमात्र संगठन है जो मासिक प्रगति रिपोर्ट जारी करता है, जिसमें इम्पार के हर छोटे बड़े काम का विवरण होता है। लेकिन कभी-कभी मुझे आश्चर्य होता है कि क्या पढ़े-लिखे मुसलमान झूठे आरोप लगाना, आधारहीन अफवाहें फैलाना और दुष्प्रचार करना ही जीवन का एकमात्र उद्देश्य समझते हैं
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