दहकते मणिपुर पर “गांधीजनों का बयान” – “हमारा मणिपुर और हम”
"जो इतिहास सेसबक नहीं सीखते, इतिहास उन्हें सबक सिखाता है -
जो इतिहास सेसबक नहीं सीखते, इतिहास उन्हें सबक सिखाता है – मणिपुर में हिंसा रोकने लिये गांधी शांति प्रतिष्ठान की सरकार और मणिपुर सर्वो-समाज से अपील
मणिपुर में हिंसा रोकने लिये गांधी शांति प्रतिष्ठान की सरकार और मणिपुर
सर्वो-समाज से अपील
दहकते मानपुर पर “गांधीजनों का बयान”
हमारा मणिपुर और हम
जो इतिहास से सबक नहीं सीखते, इतिहास उन्हें सबक सिखाता है !
कुमार प्रशांत
अध्यक्ष – गांधी शांति प्रतिष्ठान
हमारा इतिहास हमें बताता है कि जब आप गलत मंशा से अपनी आबादी के छोटे हिस्से को भी उकसाते हैं तो देश का बंटवारा हो जाता है; जर्मनी का इतिहास बताता है कि जब आप अपने अधिकांश लोगों को उकसाते हैं, तो ऐसा नरसंहार होता है कि विश्वयुद्ध की आग धधक उठती है; सीरिया, सोमालिया, पाकिस्तान और अफगनिस्तान का इतिहास बताता है कि जब आप पूरी-की-पूरी जनता को उकसा कर उन्मत्त बना देते हैं तो एक कभी न खत्म होने वाला गृह युद्ध शुरू होता है। देश हिंसक भीड़ में बदल जाता है जिसमेंहर कोई दूसर
ेको नोच खानेको तैयार रहता है. इसलिए यह जरूरी सवाल उठता है कि सरकार नाम की यह जो संस्था हमने बना रखी है, उसका कम-से-कम क्या औचित्य है? हमारा-आपका और हर नागरिक का जवाब एक ही होगा – वह कम-से-कम इतना तो करे कि देश के भीतर कानून-व्यवस्था बनी रहे – और देश बाहरी आक्रमणों सेसुरक्षित रहे ! जो इतना भी न कर सके वह न तो सरकार बनने लायक है, न वह सरकार रखनेलायक है।
https://youtu.be/K9KIDj9i78w
अपने मणिपुर की खिड़की जब हम देखते हैं तो लगता है कि सरकारों ने अपना औचित्य खो दिया
है। मणिपुर की जनता को धर्म-जाति-कबीलों आदि में बांट कर दोनों सरकारों ने आज वहां ऐसी आग
लगाई है जिसमें मणिपुर का इतिहास व वर्तमान दोनों धू-धूकर जल रहे हैं, और कु छ हैं कि जो दिल्ली व इंफाल में अपनी बांसुरी बजा रहे हैं। हम कहना चाहते हैं कि पिछले कई महीनों से मणिपुर में जो आग धधक रही है, जिस तरह मणिपुरी मैतेई और कुकी जनजातियां एक-दूसरे की जान ले रही हैं, घर-बस्ती जला रही हैं, सड़कों पर विध्वंस का भयावह दृश्य बना हुआ है, वह सरकारी उकसावे व छिपे समर्थन से चल रहा एक सांप्रदायिक दंगा ही है। न पुलिस, न पारा मिलिट्री वहां कोई गंभीर, प्रभावी भूमिका निभा पा रही है। दोनों सरकारों को विष वमन करने, नागरिकों के खिलाफ घृणा व हिंसा फैलाने तथा चुनाव की तैयारी करने से फुर्सत ही नहीं है। जो गृह न बचा सके, वह कैसा गृहमंत्री है। क्या हमें राष्ट्र का ऐसा विनाश देखते रहना चाहिए ? क्या सरकार जो कहे वही हम सुनें, सरकार जो दिखाए वही हम देखें और सरकार जो प्रचार करे, उसे ही हम सत्य मानें ? अगर ऐसा है, तब तो जनता की जरूरत क्या है, हमारी भूमिका क्या है, और इससे भी बड़ी बात यह कि लोकतंत्र का मतलब क्या है ? लोकतंत्र का मतलब ही होता है, लोक की मुट्ठी में तंत्र। यहां तो तंत्र सर पर सवार ही नहीं है, अपने स्वार्थ के लिए लोगों के सर कटवा रहा है।
हम भारत के युवा और नागरिक मणिपुर के अपने भाई-बहनों से कहना चाहते हैं कि एक-दूसरे की
जान लेने तथा घरों-दूकानों-दफ्तरों को आग लगाने, मंदिरों-गिरिजा घरों को तोड़ने से हासिल कुछ भी नहीं होगा। हमें एक-दूसरे को नहीं, गलत चाल चलने वाले शासकों को हराना है। न्याय के लिए लड़नेके शांतिपूर्ण तरीके भी हैं जो न केवल न्याय दिलाते हैं बल्कि अन्यायी को रास्ते से हटाते भी हैं। मणिपुर के मैतेई तथा कुकी भाइयों से हम पूछना चाहते हैं कि मणिपुर ही न बचा तो हम बच सकेंगे क्या ? असली सवाल तो प्रगतिशील मणिपुर के अस्तित्व का है। सरकारों और जनता के हृदय में मनुष्यता जगे, ऐसी प्रार्थना करने के लिए देश भर में 1 जुलाई को शांति और सद्भावना दिवस का आयोजन होगा जिसमें सर्व-धर्म प्रार्थना, सरकारों से सद्विवेक का निवेदन, मणिपुर के भाई-बहनों की समस्या से देश को अवगत कराना जैसे कार्यक्रम किए जायेंगे। गांधीजन और सर्वोदय के कार्यकर्ताओं के नेतृत्व में देश भर के सभी धर्म-जाति-प्रदेश के प्रतिनिधियों की एक टोली जल्दी ही मणिपुर के लिए रवाना होगी। सरकारों से अपील है कि शांति की इस पहल को सहूलियत व सहयोग दें। जहां सरकारें पहुंचने से डरती हैं, सेना का पहुंचना संभव नहीं वहां अहिंसक शांति सेना पहुंचती भी है और कारगर भी होती है। इन गांधीजनों ने ऐसी कई हिंसक वारदातों में शांति स्थापना का काम किया है जिसमें असम के कोकराझार में 2012 में हुई अशांति भी शामिल है।
मणिपुर के लोगों से, मणिपुर की सरकार और केंद्र की सरकार से निवेदन है कि नागरिकों की इस पहल को एक मौका दे। यह महात्मा गांधी का रास्ता है जिसका सम्मान किया जाना चाहिए। हम कहना चाहते हैं कि जो इतिहास से सबक नहीं सीखते, इतिहास उन्हें सबक सिखाता है।
सरकारों से हमारी अपील है कि शांति की इस नागरिक पहल को समर्थन व सहयोग दें। शांति हम
सबकी जरूरत भी है और वही हमारी ताकत भी है।
निवेदक :
गांधी शांति प्रतिष्ठान० गांधी स्मारक निधि० राष्ट्रीय गांधी संग्र हालय० सर्वसेवा संघ० राष्ट्रीय युवा संगठन० बेहतर देश-दुनिया के लिए महिलाएं०