मुंडका अग्निकांड – हादसा या साजिश ? लाशें कहां गयीं?

दरबान का मौके वारदात से फरार होना कई सवालों को जन्म देता है ? मौके वारदात पर 1:30 घण्टे बाद फायरब्रिगेड क्यूँ आये ? जबकि घटना स्थल से लगभग 3 किलो मीटर की दूरी पर स्थित है। बावजूद समय पर फायरब्रिगेड का न पहुंचना शंका को जन्म देता है।

दरबान का मौके वारदात से फरार होना कई सवालों को जन्म देता है ? हादसे बचने वाले कर्मचारियों के अनुसार, उस दिन मीटिंग में लगभग 300 से अधिक कर्मचारीगण उपस्थित थे।

मुंडका अग्निकांड – हादसा या साजिश ?
एस. ज़ेड. मलिक (स्वतंत्र पत्रकार)
यह अग्निकांड साउथ दिल्ली का उपहार अग्निकांड की याद ताजा कर देती है। वहां भी शॉर्टसर्किट के कारण आग लगी और और सिनेमा हाल के अंदर काफी दर्शकों को जाने गवानी पड़ी – और यहां भी लगभग 100 से ऊपर लोगों को जान गवानी पड़ी है, परन्तु पुलिस प्रसाशन सही आंकड़े छुपा रही है, जहां 200 से 250 कर्मचारी कार्यरत हैं और विशेष कर उस दिन फील्ड में कार्यरत कम्पनी के सेल्समैन और फील्ड मैनेजर वह हर छोटा बड़ा कर्मचारी कम्पनी की मंथली मीटिंग के लिये बुलाया गया था। स्पष्ट है कि भीड़ उस दिन 300 या 350 के आस पास तो रही होगी। 
मीडिया की तमाम ग्राउंड रिपोर्ट के अनुसार, बिल्डिं में आवागमन का मात्र एक ही रास्ता, ग्राउंड फ्लोर पर एक गेट और उसके के साइड में बिजली के के मीटर और सर्किट, देखे जा सकते हैं, और फिर वहां पर एक डरबन रहता है, पर उस समय दरबान वहां से गायब था – अब उस दरबान के गायब होने का कारण उसका डर, या उसकी कोई दुराग्रही हरकते या फिर उसे किसी ने जान बूझ कर भागने पर मजबूर कर दिया ? दरबान की अनुपस्थिति कई नए सवालों को जन्म देती है। 
जो लोग उस भीषण अग्निकांड से बच कर निकले उनके अनुसार कम्पनी का मालिक मनीष लकड़ा तीसरी मंजिल पर मीटिंग में अपने कर्मचारियों के साथ उपस्थित था। और वह भी उन्ही कर्मचारियों के साथ अग्नि के लपटों में घिरा हुआ था, परंतु दिल्ली पुलिस कह रही है कि वह फरार है, विचारणीय यह है कि जब वह अन्य कर्मचारियों के साथ बेबस घिरा हुआ था तो सारे कर्मचारियों की आंखों में धूल झोंकर फरार कैसे हो गया? क्या ऐसा नही की वह उन्ही कर्मचारियों के साथ अग्नि का शिकार हो गया और पुलिस अपने आपको बचाने के लिये गुमराह कर रही है? 
तीसरी बात यह कि, कम्पनी के मालिक का कोई निजी दुश्मन रहा हो ? या कोई अन्य ऐसे ही सीसीटीवी कम्पनी इस कम्पनी को बर्बाद करना चाहती हो? लेकिन सच क्या है यह तो गहन जांच करने के बाद ही पता चल पायेगा, लेकिन जब तक बहुत देर हो चुकी होगी , शायद हो सकता है मुख्य दोषी अपना सारे सबूत मिटा दे या जांच कर्ताओं को खरीद ले, और पुलिस किसी गरीब को बाली का बकरा बना दे? 
आखिर लाशें कहां गई ? इन सब जले हुए सामान में कही लाशें नज़र नही आ रही है। उस अग्निकांड से बचने वाले लोग भी लाशों के बारे में बता नही पा रहे हैं। आखिर क्यूँ? 
  मौके वारदात  दरबान का मौके वारदात से फरार होना और घटनास्थल पर 1:30 घण्टे बाद फायरब्रिगेड का आना ? जबकि घटना स्थल से लगभग 3 किलो मीटर की दूरी पर स्थित है। बावजूद समय पर फायरब्रिगेड का न पहुंचना कई सवालों को जन्म देता है।

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