भारत के भ्र्ष्टाचार से सऊदी अरब भी अछूता नहीं भ्र्ष्टाचार के विरुद्ध आवाज उठाने वाले कि खैर नही 🤔🤔🤔🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳

रियाद में भारतीय दूतावास की निगरानी में चलाये जा रहे इंडियन स्कूलों में भी व्याप्त भ्र्ष्टाचार का मामला उजागर - भारत सरकार खामोश

रियाद में भारतीय दूतावास की निगरानी में चलाये जा रहे इंडियन स्कूलों में भी व्याप्त भ्र्ष्टाचार का मामला उजागर – भारत सरकार खामोश

 रियाद में भारतीय दूतावास की  निगरानी में चलाये जा रहे अंतर्राष्ट्रीय भारतीय स्कूलों में  व्याप्त भ्र्ष्टाचार – भारत सरकार खामोश

एस. ज़ेड. मलिक

नई दिल्ली – सऊदी अरब की राजधानी स्थित रियाद मे भारतीय दूतावास के अधीन अंतर्राष्ट्रीय भारतीय स्कूलों में अरबों रियाल का घटाल प्रकाश में आया वह दूतावास के माध्यम से धड़लले से  अरबों रियाल का बंदरबांट वर्षों होता आ रहा है। यदि किसी ने दूतावास के विरुद्ध आवाज़ उठाई तो उसकी खैर नहीं उसे सऊदी अरब छोड़ने पर मजबूर कर दिया जाता है। जानकार सूत्रों द्वारा रियाद में भारतीय दूतावास के निगरानी में सऊदी अरब में रह रहे भारतीय मूल के निवासिओं के बच्चों की भारतीय शिक्षा पद्धति के तहत सीबीएससी सिलेबस के से शिक्षित किये जाने का प्रावधान है। यह प्रावधान भारत सरकार द्वारा सऊदी रह रहे भारतीय प्रवासिओं के लिए मूलभूत सुविधा प्रदान की गई है ताकि सऊदी में काम करने वाले भारतीय परवासिओं को अपने बच्चों को शिक्षा से वंचित न रखना पड़े।  इसलिए भारत सरकार ने सऊदी अरब सरकार के साथ एक एग्रीमेंट के साइन करके के इंडियन स्कूल ऑफ़ सऊदी भरतीय शिक्षा प्रणाली द्वारा केंद्रीय शिक्षा बोर्ड परिषद सीबीएससी की पुस्तक से परीक्षा दिया जा सके ताकि बच्चो पर अलग से भाषा का प्रभाव न पड़े आसानी से अपने भारतीय भाषा में परीक्षा दे सकें। इसके लिए भारत सरकार ने सऊदी में भारतीय प्रवासिओ के बच्चों के लिए पुस्तक एवं स्टेशनरी भारतीय गरीब के बच्चे जिनके अभिभावक मज़दूरी का काम करते हैं और अपने परिवार के साथ सऊदी में 10, 20, 30, सालों से वहाँ रह रहे हैं उन्हें फ्री में स्टेशनरी एवं सीबीएससी की पुस्तकें वितरित करने का प्रावधान किया गया है, ताकि कोई गरीब मज़दूर के बच्चे वहां शिक्षा से वंचित न रह जाये परन्तु भारतीय दूतावास के कर्मचारी एवं स्कूल कमेटी के लोग वहां के भारतीय प्रवासि अभिभावकों से पुस्तक एवं स्टेशनरी तथा स्कूल और परीक्षा की फीस मनमानी वसूल करते हैं – वहीँ भारतीय आसमा नाम की एक महिला जो सऊदी अरब में फ़र्ज़ी डिग्री पर स्कूल की प्रिंसिपल के पद पर विराजमान है। इनकी शिकायत सऊदी दूतावास से ले कर भारत सरकार के मिनिस्ट्री ऑफ एक्सटर्नल अफीयर्स में काफी शिकायते हुई परन्तु इनका कुछ नही बिगड़ा बल्कि शिकायत करता को सऊदी छोड़ना पड़ा किसी को सऊदी जेल में बंद रहना पड़ा। नीचे दिए गए इस वीडियो के लिंक पर क्लिक कर देखें 👇

https://youtu.be/A2PaXyoQLBE

विश्वास पात्र जानकारों के अनुसार रियाद स्थिति भारतीय दूतावास के अधीन चलने वाले इंडियन स्कूलों के अरबों रियाल घोटाला और उसका वर्षों से हो रहा बन्दर बांट का मामला स्थानीय   भारतीय माता-पिता के बच्चों के भविष्य से खेलता भारतीय दूतावास के कर्मचारी एवं स्कूल प्रबंधकीय समिति द्वारा किये गये भ्रष्टाचार को छिपाने के लिए विभिन्न स्कूलों के बच्चों एवं उनके अभिभावकों के साथ उत्पीड़न का मामला प्रकाश में आ रहा है।

 स्कूल के प्रशासन के व्यप्त भ्रष्टाचार और कुप्रथाओं के खिलाफ जो अभिभावक शिकायत करते हैं, उन्हें सऊदी पुलिस प्रशासन के फ़र्ज़ी मामलों में फंसाने की धमकी दी जाती है तथा राजनयिक प्रभाव से विभिन्न माध्यमों से उन्हें परेशान किया जा रहा है। जैसे सऊदी अरब के बुरैदाह के सीबीएसई स्कूल में पढ़ने वाले भारतीय बच्चे जिन माता-पिता के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है उनमें से डॉ. शमशेर खान जिनका कसूर इतना था कि वह अपने बच्चों साथ हो रहे नाइंसाफी के लिये स्कूल प्रबन्धक से सवाल पूछना उनका जुर्म हो गया। डॉ. शमशीर दिल्ली, भारत के निवासी जो पिछले कई वर्षों से सऊदी के बुरैदा में प्राइवेट कंपनी में कार्यरत हैं। वहां स्कूल में उनके बच्चों के साथ हो रहे दुर्भावनापूर्ण व्यवहार को ले कर  09-09-2022 को स्कूल के प्रिंसिपल से मिलने गये वहां उनके बच्चिन के साथ हो रहे दुर्व्यवहार के प्रति शिकायत की तो प्रिंसिपल ने स्कूल प्रबन्धक कमेटी से डॉ. शमशीर खान की शिकायत कर उनके खिलाफ स्कूल के प्रिंसिपल से दुर्व्यवहार का मामला सऊदी पुलिस दर्ज करा कर उन्हें सऊदी छोड़ने पर मजबूर किया गया ।लेकिन डॉ. शमशीर ने भारतीय स्कूलों के संरक्षक और पर्यवेक्षक को स्कूल में चल रहे विभिन्न भ्रष्टाचारों के बारे में सूचित करने का प्रयास में दूसरे बार स्कूल प्रबंधकीय समिति मिलने की कोशिश की लेकिन उनसे मिलने की बजाए उन पर कम्प्लेन के दिया गया।
दुसरीं घटना सितम्बर 2022 की है जब वह अपनी शिकायत लेकर ऑब्जर्वर मिलने से मिलने स्कूल गए तो उन्हें अनुमति नहीं दी गई। तब डॉ. शमशीर ने भारत मे सीबीएसई मुख्यालय दिल्ली में और भारत के दूतावास को ईमेल द्वारा कई शिकायतें भेजीं, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नही हुई। बल्कि लगभग 6 महीने बाद 15 जनवरी 2023 को यह शिकायत प्रथम दृष्टया झूठी है और सीसीटीवी में सबूतों को नष्ट करने के लिए स्पष्ट रूप से चार महीने की देरी के बाद शिकायत दर्ज की गई है।  डॉ.. शमशीर पर तीसरा कम्प्लेन भी स्कूल के कार्यों में व्यवधान डालने कर दया गया। 
भ्र्ष्टाचार की हद तो यह है कि वहां के प्रधानाध्यापक 60 वर्ष पूरा होने के बावजूद भी सीबीएसई से रिटायमेंट न दे कर एवं कार्यकाल विस्तार के लिए अनुमोदन प्राप्त किए बिना नौकरी अब तक जारी है। इसके साथ ही डॉ. शमशीर ने एक और भ्र्ष्टाचार उजागर करते हुए कहा कि पिछली प्रबंध समिति का कार्यकाल 3 साल का पूरा होने के बाद भी स्वीकृति के बिना अब भी सुचारुप से चलाई रही है तथा समिति ने बिना किसी स्वीकृति के बिना व्याख्यात्मक खर्चों के लिए स्कूल के खाते से धनराशि निकालना जारी रखा है। वह भी कैश में स्कूल का पैसा किसके अनुमति से निकाल कर कहां खर्च किया जा रहा है इसका कोई लेखा जोखा नही है। न तो भारत सरकार के नवनिर्वाचित राजदूत ने कोई समिति से हिसाब तलब किया है न भारत सरकार ने ही कोई ठोस कदम उठाया है । 

सीबीएसई मुख्यालय ने श्री शमशीर को शिकायतों का समाधान निकालने के लिए स्कूल  और दूतावास के अधिकारियों से मिलने का निर्देश दिया था, लेकिन दूतावास के भ्रष्ट लोग श्री शमशीर को फंसाने की कोशिश कर रहे थे, जो उनकी अवैध गतिविधियों पर सवाल उठा रहे थे। पता चला है कि उच्च बोर्ड सदस्य श्री अनवर सादात एवं विद्यालय पर्यवेक्षक के निर्देशानुसार विद्यालय के प्रधानाध्यापक द्वारा परिवाद दायर किया गया है। जिससे पता चलता है कि प्रेक्षक भी भ्रष्टाचार को बढ़ावा दे रहा है। 2020 में, दूतावास ने आईआईएस बुरैधा के श्री शमशीर के नियोक्ता और आईआईएस जेद्दाह के पूर्व अध्यक्ष श्री आसिफ रमिज़ दाउदी को भी उन्हें परेशान करने के लिए एक पत्र लिखा था। दूतावास ने श्री शमशीर के बच्चों को स्कूल से निकाल कर भारत भेजने की कोशिश की, लेकिन शमशीर ने हार नहीं मानी और दिल्ली उच्च न्यायालय और सीबीएसई मुख्यालय लगातार दस्तक देते रहे तब जा कर दिल्ली उच्च न्यायालय और सीबीएसई मुख्यालय ने संज्ञान लिया और हस्तक्षेप पर उन्हें वापस ले लिया।

रियाद में भारत के नए राजदूत डॉ. सुहैल खान आगमन के साथ कार्यभार संभालते ही उन्होंने प्रवासियों अभिभावकों के खिलाफ पुलिस मामला दर्ज करा दिया। कहा जा रहा है कि पिछले राजदूत श्री औसाफ सईद के ही नकशो क़दम पर  डॉ. सुहैल खान भी चल रहे है, शायद उनके बशे हुए कार्यों को पूरा करने की कोशिश करने लगे हैं इनके क्रियाकलापों से पूर्व राजदूत डॉ. औसाफ़ सईद  की भूमिका को स्पष्ट रूप से इंगित करता है, पिछले राजदूत डॉ. औसाफ़ सईद कई करोड़ों की तालीम परियोजना, पाकिस्तानी घोटाले, स्कूल बस आउटसोर्स, ऑडिट घोटाला, वकील पैनल स्कैन आदि सहित कई भ्रष्टाचारों में लिप्त है, जिसे श्री शमशीर और श्री अख्तर उल इस्लाम द्वारा उजागर किया गया। जिसके नतीजे में डॉ. शमशीर को दूतावास की ओर से फ़र्ज़ी केस में शमशीर खान को फंसा कर सऊदी में बंद कराया गया परन्तु डॉ. शमशीर पर कोई अपराध साबित न होने के बैकग्राउंड मज़बूत होने कारण उन्हें रिहा कर दिया गया परन्तु उनके बच्चों को स्कूल से निकालने फरमान जारी कर दिया गया। पर डॉ. शमशीर ने हार नहीं मानी और समिति द्वारा परेशान करने के इस खिलाफ फिर से सीबीएसई और दूतावास एवं भारतीय उच्च न्यायालय का दरवाजा खट खटाया वहां अपनी शिकायत दर्ज कराई और लगे रहे वही दुसरीं ओर श्री अख्तर उल इस्लाम भी स्कूल में भ्रष्ट माहौल से तंग हो कर जब वह स्कूल में अपने बच्चों के लिए टीसी के लिए अनुरोध करने स्कूल गए तो स्कूल प्रिंसिपल ने पुलिस बुलाकर उन्हें सलाखों के पीछे डालने की धमकी दी।

सौभाग्य से पुलिस ने श्री अख्तर का साथ दिया उन्हें भी सबूतों के आधार पर रिहा कर दिया और उन्होंने बाद में अपने बच्चों को भारत भेज दिया।

2016 में, श्री बशीर को इंटरनेशनल इंडियन स्कूल, रियाद के तत्कालीन परिवहन पर्यवेक्षक, पर भ्रष्टाचार का समर्थन न करने, स्कूल बस सेवाओं को उन कंपनियों को स्थानांतरित करने के लिए चोरी के आपराधिक मामले के अधीन केस दर्ज  किया गया था, जिनके बारे में संदेह है कि वे विरोधी संगठनों से संबद्ध हैं। मिस्टर बशीर निर्दोष पाए गए, लेकिन उन्हें चार साल तक बिना नौकरी, आय, चिकित्सा सुविधा और यात्रा प्रतिबंध के कष्ट झेलने पड़े। इस कारावास के दौरान उन्हें कैंसर हो गया और इलाज के लिए समय पर भारत पहुंचने में सफल रहे।

इसके अलावा 2020 में, इंटरनेशनल इंडियन पब्लिक स्कूल, रियाद के पूर्व अध्यक्ष, श्री डोमिनिक साइमन को दूतावास द्वारा स्कूलों और दूतावास में भ्रष्टाचार को उजागर करने की शिकायत पर 100 दिनों के लिए जेल में डाल दिया गया था। यात्रा प्रतिबंध और मामले की अन्य कानूनी जटिलताओं के कारण श्री डोमिनिक अभी भी रियाद में पीड़ित हैं। 

आरटीआई कार्यकर्ता डोमिन साइमन पिछले कई वर्षों से रियाद में आईटी कंपनी में कार्यरत हैं। 2020 में लोकडौन के दरमियान भारतीयों की मदद करने की सजा जेल जा कर कीमत चुकानी पड़ी थी। जानकार सूत्रों प्राप्त जानकारी के अनुसार दरअसल लॉकडाउन के दरमियान भारत सरकार द्वारा भारतीय प्रवासियों को सऊदी से भारत वापस बुलाने के लिये वंदे भारत फ़्लाइट की व्यावस्था कि गई थी,  जिसमे गरीब मज़दूर भरतीय प्रवासियों निःशुल्क यात्रा का प्रावधाण था। परन्तु रियाद स्थित भातीय दूतावास के कर्मचारियों ने सभी प्रवासियों से फ्लाइट का किराया वसूलना शुरू कर दिया था, भारतीय दूतावास की इस भृष्टाचारी नीतियों के देखने के बाद डोमिन साइमन ने भारत सरकार से आरटीआई लगा कर सऊदी में रह रहे भारतीय प्रवासि गरीब मज़दूरों को वापसी बुलाने के बारे में कई रियाद स्थित भारतीय दूतावास प्रवासी मजदूरों को वासी भेजने के लिये किराया वसूल कर रहा है। यदि ऐसा हुआ तो लाखो भारतीय प्रवासी मज़दूरों को यहां कोविट 19 का शिकार होना पड़ेगा, सम्भवतः हज़ारो मज़दूरों को मौत अपने आगोश में ले कर लील लेगी। इस बड़े हादसे का ज़िम्मीदार भारत सरकार होगी। जब तक भारत सरकार का जवाब आता साइमन ने अपने संगठन से चंदा इकट्ठा कर कई भारतीय मज़दूरों को भारत भेजने की तैयारी करने लगा। तभी उसी दरमियान साइमन को सऊदी पुलिस ने यह कहकर गिरफ्तार कर लेती हैं कि तुम लोगों को गलत तरीके से प्रचार कर के गुमराह कर रहे हो। यानी अफवाह फैला रहे हो, इस आरोप के तहत साइमन को सऊदी पुलिस ने गिरफ्तार किया था । जबकि सऊदी सरकार के विरोध में साइमन का कोई भी ऐसी रिपोर्ट न होने के कारण बाद में साइमन को छोड़ दिया गया। लेकिन साइमन आज भी रियाद स्थित भारतीय दूतावास की पडताड़ना झेल रहा है। साइमन के अनुसार जिस व्यक्ति ने सऊदी पुलिस को शिकायत की थी उस शिकायत करता से साइमन का दूर दूर तक कोई सम्बन्ध नही था तो दुश्मनी का कोई सवाल ही पैदा नहीं होता, साइमन के अनुसार शिकायत करता एक सीरियाई नागरिक उमर जिसे  भारतीय राजदूत औसाफ़ सईद ने इस्तेमाल कर सऊदी पुलिस में केस दर्ज कराया था जबकि वह दूतावास का न तो वह कर्मचारी था और न वह स्कूल कमेटी का कोई सदस्य ही था, भारतीय राजदूत औसाफ़ सईद ने उस सीरियाई को गुमराह कर भाषा का फायदा उठा और अपने आपको बचने के लिये मुझ पर दबाव बनाने की खातिर एक गैर भारतीय से अरब भाषि होने उसका अरब पुलीस ने केस दर्ज कर लिया इसलिये की डोमिन साइमन आरटीआई और मीडिया के माध्यम से  परत दर परत रियाद स्थित भारतीय राजदूत औसाफ़ सईद के भ्रष्टाचार को उजागर करते जा रहे थे।

अब सवाल यह है कि रियाद स्थित भारतीय दूतावास में नए राजदूत डॉ. सुहैल खान क्या पूर्व राजदूत औसाफ़ सईद के रुके हुए अधूरे कार्यों को पूरा करेंगे या अपनी नई पॉलिसी के तहत सऊदी में दूतावास के अधीन चल रहे स्कूलों को भ्र्ष्टाचार मुक्त करा कर वहां रह रहे भारतीय प्रवासियों को राहत की सांस लेने देंगे?  लेकिन जानकार सूत्रों का मानना है कि यह औसाफ़ सईद के ही नक्शोक़दम पर चल पड़े हैं इसलिये की रियाद में भारतीय दूतावास में पहुंचते ही भारतीय बच्चों के अभिभावकों पर धमकाने का मामला प्रकाश में आया है। अब सवाल है कि सऊदी सरकार को इन स्कूलों और इनके प्रबंधकीय समिति को अपने अंदर ले कर क्यूं नहीं चलाती – अगर ऐसा हुआ तो भ्र्ष्टाचार समाप्त हो जायेगा। 

ज्ञात हो कि सऊदी अरब का अपना क़ानून है और उसी के तहत वहां सारी व्यवस्था, व प्रावधाण किये गये हैं, तो स्कूलों की व्यावस्था भारतीय प्रबन्धक समिति के अधीन क्यूँ छोड़ रखा है। वह इंडियन स्कूलों की प्रबंधकीय समिति बेशक भारतीय हो समिति में भारत के ही लोग हों लेकिन वह समिति सऊदी सरकार के गाइड लाइन को फॉलो करें सऊदी सरकार के निगरानी में चले तो न सऊदी अरब सरकार की बदनामी होगी और न भ्रष्टाचार बढ़ेगा।

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