कहानी – बदलते रिश्ते
कच्चे धागे से भी नाज़ुक और इमली के पेड़ से भी मज़बूत होते हैं पति-पत्नी के रिश्ते।
फिर फीकी सी मुस्कान उसके चेहरे पर आई, फिर उदासी के घने बादल चेहरे पर तैरने लगे।
कहानी
बदलते रिश्ते
लेखिका – डॉ0 सुनीता कुमारी
अरे; अनु तुम्हें पार्क में बहुत दिन के बाद देख रही हूं? ओहो; तो मैं मासी बनने वाली हूं
खुशखबरी?
हाँ सीमा, इसलिए मैं पार्क नही आ पा रही थी।फोन चेंज करने के कारण तुम्हारा फोन नम्बर भी डीलिट हो गया था । इसलिए तुझसे बात नहीं हो पा रही थी। तबीयत भी थोड़ी खराब रह रही थी, इसीलिए तेरे घर भी नही आ सकी।
अनु कहा मुझसे कहा , फिर फीकी सी मुस्कान उसके चेहरे पर आई, फिर उदासी के घने बादल चेहरे पर तैरने लगे।
यह देखकर मुझे बड़ा आश्चर्य हुआ? मैंने अनु से पूछा अनु तुम इस तरह कभी फीकी मुस्कान तो नहीं मुस्कुराती थी? हम जब भी मिलते थे हमेशा गर्मजोशी से मिलते थे। मैंने तुम्हें हमेशा खुश देखा फिर ऐसा क्या हो गया? जो तुम इतनी कमजोर भी हो गई हो, और मुझे देखकर इतना सुखा सा व्यवहार किया तुमने ?कुछ हुआ है क्या ?
यदि कोई परेशानी है तो मुझे बताओ? शायद मैं तुम्हारी कोई मदद कर सकूं ? जैसे हम लोग पहले क्या करते थे मेरी परेशानी में तुम और तुम्हारी परेशानी में मैं, हमेशा एक दूसरे के साथ दिया करते थे ।
मेरी इन सारी बातों को सुनकर, और मेरे एक के बाद एक प्रश्न दागे जाने के बाद अनु मुस्कुराई और कहां, चल कहीं बैठ कर बात करते हैं। मेरा भी मन तुझ से बात करने का कर रहा था, परंतु मैं विवश थी ।
तुझसे बात करके मेरा भी मन हल्का हो जाएगा।
मैं और अनु पास के एक बेंच पर बैठ गए ।अनु 8 महीने गर्भवती थी । इस वजह से बाहर आना जाना कम हो गया था। मैं भी थोड़ी व्यस्त रहने लगी थी, वरना हम दोनों इस पार्क में रोज आया करते थे,जी भर कर बातें किया करते थे । परंतु अनु की शादी के बाद यह सिलसिला टूट गया। मैं भी अपने काम में व्यस्त रहने लगी , और अनु ससुराल में।
इसलिए हमारी बातें भी धीरे-धीरे कम होने लगी। अनु से मिले से मुझे तीन महीने हुए होंगे। अंतिम बार मैं अनु से उसके भाई की शादी में मिली थी ,और हम दोनों ने खूब इंजॉय किया था । अनु अपने भाई की शादी को लेकर काफी खुश थी । अनु ने भाई की शादी के लिए हर एक रस्म के लिए अलग-अलग ड्रेस बनवाया था। काफी सज धज कर ,खुश हो कर, भाई की शादी की हर रस्म को इंजॉय कर रही थी। मैं भी अनु का साथ दे रही थी । खुश होने की वजह भी थी ,क्योंकि अनु का एक ही भाई “शरद् “है ,इसलिए अनु को चिंता थी कि, जब वह ससुराल चले जाएगी तो मम्मी पापाअकेले पड़ जाएंगे। उनकी देखभाल कौन करेगा ।इसलिए अनु चाह रही थी कि उसकी भाई की शादी हो जाए ।ताकि वह निश्चिंत होकर ससुराल में रह पाएगी ।वरना उसे मां और पिता जी की चिंता लगी रहेगी।
इसलिए अनु भाई की शादी में काफी खुश थी। बढ़ चढ़कर शादी का काम संभाल रही थी। मैं भी शरद की शादी में अनु की खुशी में खुश हो रही थी, आखिर हम दोनों पक्की सहेलियां जो ठहरी।
अतीत से लौटकर मैं वर्तमान में आ गई ,मैंने अनु से पूछा- अब बता क्या बात है ? अनु ने जैसे ही बोलना चाहा उसकी आंखों में आंसू टप टप कर गिरने लगे। फिर अपने आप को शांत कर अनु कहने लगी, मैं भाई की शादी में को लेकर खुश थी, पर वह हुआ ही नही जैसा मैने सोचा था?
भाभी को मैं सहेली और बहन की तरह प्यार देना चाहती थी । पर ,वह तो मुझसे बात भी नहीं करती है। भाई की शादी के बाद मैं यही रूक गई,मेरे प्रेगनेंसी में कुछ कॉम्प्लिकेशन है। डॉक्टर ने स्ट्रेस लेने के लिए मना कर रखा है । इसलिए मां ने मुझे यही रोक लिया ।भाई के शादी के बाद अक्सर भाई भाभी के झगड़ने की आवाज आने लगी। उनके झगड़े का कारण मैं थी।
फिर एक दिन भाभी गुस्से से मायके चली गई।
मुझे जरा सा भी अंदाजा नहीं था कि, इतनी जल्दी रिश्तों में दरार आ जाएगी।
शादी के बाद भाई इतनी जल्दी बदल जाएगा। भाभी पराये घर की है समझ आता है पर भाई; ? मैंने खुद भाई को कहते सुना-“मां तुमने अनु को यहां क्यों रखा है ? अनु के ससुराल में भी तो बहुत सारे लोग हैं ,सास-ससुर हैं सारे लोग देखभाल करने के लिए है ,फिर तुमने अनु को यहां क्यों रखा है उसकी डिलीवरी तो ससुराल में भी हो सकती है”?
मैं दूसरे कमरे में थी और भाई की आवाज सीधा मुझतक आ रही थी। जैसे लग रहा था भाई मुझें जानबूझकर सुना कर बोल रहे हैं ।मुझे यकीन नहीं हुआ कि भाई ऐसा बोल रहे हैं ? क्योंकि यह वही भाई हैं जो मुझे पलकों पर बिठा कर रखते थे, मेरी हर एक खुशी में खुश हुआ करते थे । मेरे कुछ भी बोलने से पहले वह , मुझे लाकर दिया करते थे ।पिता की तरह ही मेरे भाई भी मेरा ध्यान रखा करते थे।
पर शादी के बाद इतनी भाई इतनी जल्दी बदल जाएगा मुझे जरा भी अनुमान नहीं था? वे ऐसा कैसे कर सकता है;?
मैं अनु की सारी बातें सुन रही थी ,मुझे भी विश्वास नहीं हो रहा था कि , इतनी जल्दी शरद् कैसे बदल गया। भले ही उसकी शादी लव मैरिज हुई हो ,पर भाभी तो पहले से सब कुछ जानती थी ,अनु से भी बात किया करती थी।
फिर क्यों? अचानक से शरद इतनी जल्दी बदल गया? मैं मन ही मन सोचने लगी कि, रिश्तो की डोर इतनी कमजोर कैसे हो सकते हैं ?
एक नया रिश्ता जुड़ने के साथ ही पुराना रिश्ता ,इतनी जल्दी कैसे टूट सकता है। जो रिश्ता जन्म के साथ जुड़ा है ,वह एक नए बंधन के जोड़ने मात्र से कैसे कमजोर पड़ सकता है ? भाभी तो पराए घर की होती है पर भाई को तो कम से कम नहीं बदलना चाहिए था?
फिर आगे अनु ने – कहा मां ने भाई की बात सुनकर भाई को खूब डांटा और कहा कि
“अनु की डिलीवरी यही होगी ,अगर तुझे ससुराल जाना है तो जा? अपनी वाइफ पत्नी के साथ तुझे कैसे रहना है ? तुझे इस बात का पूरा हक है तुझे? अनु के मामले में तो कुछ नहीं बोलेगा?” ।
भाई ने उस वक्त तो कुछ नहीं कहा पर, अगले दिन बहाना बनाकर भाभी के मायके जा बैठा ?भाभी तो पहले से ही मायके में थी ।भाई फोन भी रिसीव नहीं कर रहा थे ।इस बीज मां की तबीयत खराब हो गई ।मैंने कई बार भाई को आने के लिए कहा ,पर हर बात वह बहाना बना देते थे।
” भाई की शादी क्या हुई ?,मेरा मायका बदल गया “काफी कोशिश के बाद भाई भाभी घर आए है ,तब जाकर सब ठीक लग रहा है।इसलिए आज मेरा मन है कि पार्क घुम आऊं, और तुझसे मुलाकात हो गई।
अब मैं बेसब्री से इंतजार कर रही हूं कि जल्दी से मेरी डिलीवरी हो जाए और मैं ससुराल चली जाऊं ।
अनु की बात सुनकर मुझे चक्कर जैसे आने लगे मैं सोचने लगी आजकल के रिश्ते इतने कमजोर कैसे संवेदना कहां चली गई है ।आजकल की लड़कियां शादी के बाद ,घर की जिम्मेदारी उठाने से पहले , घर पर हक जताने लगती है ?जिम्मेदारी से बचने के लिए रिश्ते तोड़ने लगती है ?
नया रिश्ता जुड़ा नहीं कि ,पुराने सारे रिश्तो की अहमियत समाप्त हो जाती है ?
रक्षाबंधन का रक्षा सूत्र कमजोर पड़ जाता है ?
जैसे भाई को शादी के बाद बहन की जरूरत ही नही रही?
शादी के बाद रक्षाबंधन का कोई महत्व ही
नही रह गया हो??
अनु को मैंने सांत्वना और भरोसा दिलाया और कहा- कि, तुम ब स्ट्रेस मत लो, आराम से डिलीवरी तक अपने मायके में रहो। भाई अगर बदले हैं तो बदलने दो। माता-पिता जीवन में सबसे बड़े शुभ चिंतक हैं। जब तक माता-पिता है तुम्हें तुम फ्री होकर मायके आओ। तुम्हें किसी के आगे झुकने की जरूरत नहीं है। जितना हक माता-पिता और मायके पर भाई भाभी का है उतना तुम्हारा भी है। इसलिए तुम्हें निःसंकोच होकर डिलेवरी तक रहो, जैसे पहले रहती थी ।
बीच-बीच में मुझे बुला लिया करो ,मुझसे बात कर तुम्हारा मन हल्का हो जाएगा। करीब पच्चीस दिन के बाद अनु ने एक प्यारे से बेटे को जन्म दिया। मैं भी जन्मोत्सव की पार्टी मैं भी गई ।
अनु बहुत खुश थी। अनु के सास ससुर और उनके पति भी इस उत्सव में काफी खुश थे। सब बहुत खुश लग रहे थे। मैंने धीरे से अनु के कान में कहा कि,” चलो अब तुम आजाद हो गई। फ्री होकर अपने ससुराल में रह सकती हो और भाभी अपने ससुराल आजाद रहेगी”?
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