शिक्षा में भारतीय मूल्यों का समावेश जरुरी- टी जी सीताराम
वर्तमान में ज्ञान एवं कौशल को तकनीकी से जोड़ने के साथ ही भारतीय शिक्षा के लोकतांत्रिकरण के दिशा में कार्य किया जा रहा है।
वर्तमान में ज्ञान एवं कौशल को तकनीकी से जोड़ने के साथ ही भारतीय शिक्षा के लोकतांत्रिकरण के दिशा में कार्य किया जा रहा है।
शिक्षा में भारतीय मूल्यों का समावेश जरुरी- टी जी सीताराम
एमपीएनएन-डक्स रिपोर्ट
भारतीय शिक्षण मण्डल के 54वें स्थापना दिवस पर दिल्ली विश्वविद्यालय के सम्मेलन केंद्र में आयोजित कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि बोलते हुए ए. आई. सी. टी. ई. के अध्यक्ष प्रो० टी. जी. सीताराम ने कहा कि शिक्षा में भारतीय मूल्यों का समावेश करके ही सशक्त भारत का निर्माण किया जा सकता है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति द्वारा प्राचीन ज्ञान परम्परा को शिक्षा व्यवस्था में सम्मिलित करने का कार्य किया गया है, साथ ही मातृभाषा की महत्ता को अंगीकार भी किया गया है। वर्तमान में ज्ञान एवं कौशल को तकनीकी से जोड़ने के साथ ही भारतीय शिक्षा के लोकतांत्रिकरण के दिशा में कार्य किया जा रहा है। अनुवाद के माध्यम से महत्वपूर्ण कृतियों को भारतीय भाषाओं में उपलब्ध कराने का प्रयास है। प्रो० सीताराम ने आगे कहा कि विगत कुछ वर्षों में समाज में शिक्षक की भूमिका बदली है। तकनीकी ने शिक्षण व्यवस्था को बहुत तेजी से बदलने का कार्य किया है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एवं चैट जी पी टी के इस युग में सभी तक सूचना उपलब्ध है, परन्तु शिक्षक ही समाज का वह अंग है जो तकनीकी एवं ज्ञान के साथ भारतीय मूल्यों का समावेश करके सशक्त समाज का निर्माण करता है। तकनीकी का सही एवं प्रभावी उपयोग वर्तमान युग की जरूरत है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए भारतीय शिक्षण मण्डल के अखिल भारतीय अध्यक्ष प्रो० सच्चिदानंद जोशी ने कहा कि आज समाज में श्रेष्ठ, समर्पित एवं तपस्वी अध्यापकों की जरूरत है। शिक्षक जैसा सोचेगा, समाज का व्यवहार भी वैसा ही होगा। भारतीय शिक्षण मण्डल भारतीय शिक्षा व्यवस्था को भारतीय मूल्यों से पोषित करने के लिए निरन्तर प्रयासरत है। रीति एवं नीति से आगे बढ़कर भविष्य के भारत को गढ़ने में यह संगठन सराहनीय कार्य कर रहा है। उन्होंने आगे कहा कि जिस समाज में श्रेष्ठ अध्यापक होंगे, उस समाज को किसी चीज के लिए दूसरी तरफ नहीं देखना होगा। आज प्राथमिक शिक्षा के दौरान ही बच्चों में भारतीय मूल्यों के बीजारोपण की आवश्यकता है जिससे उन्हें राष्ट्र एवं समाज के प्रति संवेदनशील बनाया जा सके | भारतीय संतों ने अपने ज्ञान एवं तप से भारतीय समाज की सशक्त नींव रखने का कार्य किया है जिसे शिक्षक रुपी विद्वतशक्ति ने प्रतिकूल परिस्थितियों में भी समृद्ध करने का कार्य किया है। बतौर विशिष्ट अतिथि बोलते हुए दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो० योगेश सिंह ने कहा कि समाज और देश, शिक्षकों पर सर्वाधिक विश्वास करता है। अतः समाज एवं राष्ट्र निर्माण में शिक्षकों का दायित्व और भी बढ़ जाता है। शिक्षक ही विद्यार्थी का सृजनकर्ता होता है जो अपने विद्यार्थी के आचरण एवं व्यावहार की दिशा तय करता है। वर्तमान समय में शिक्षक का दायित्व और भी महत्वपूर्ण हो जाता है, क्योंकि समाज अनेक बदलावों से होकर गुजर रहा है। एक आदर्श शिक्षक ही आदर्श समाज की स्थापना कर सकता है। अतिथियों का स्वागत भारतीय शिक्षण मण्डल के दिल्ली प्रान्त अध्यक्ष प्रो० रवि टेकचन्दानी ने किया जबकि कार्यक्रम का संचालन प्रो० अजय सिंह ने एवं धन्यवाद ज्ञापन प्रो० रंजन त्रिपाठी ने किया।