दर्द का एहसास सभी को है लेकिन ! मजबूर हैं ज़ख्म, कुरदवाने को????????

केंद्रीय सरकार द्वारा देश के सार्वजनिक उपक्रमों, संसाधनों, राष्ट्रीय संपत्ति को सुधारों की आड़ में उद्योगपतियों को बेचना देश के साथ धोखा है - तेजस्वी यादव,

केंद्रीय सरकार द्वारा देश के सार्वजनिक उपक्रमों, संसाधनों, राष्ट्रीय संपत्ति को सुधारों की आड़ में उद्योगपतियों को बेचना देश के साथ धोखा है – तेजस्वी यादव,

दर्द का एहसास सभी को है लेकिन ! मजबूर हैं ज़ख्म, कुरदवाने को???????? 

केंद्रीय सरकार द्वारा देश के सार्वजनिक उपक्रमों, संसाधनों, राष्ट्रीय संपत्ति को सुधारों की आड़ में उद्योगपतियों को बेचना देश के साथ धोखा है – तेजस्वी यादव,

निजीकरण द्वारा सरकारी नौकरियों को समाप्त करना, सरकारी नौकरियों एवं सार्वजनिक उपक्रमों में वंचित वर्गों के आरक्षण को ख़त्म करना केंद्र सरकार की एक दीर्घकालिक योजना है। मोदी सरकार ने रेलवे में लाखों नौकरियाँ समाप्त कर एवं आर्मी में अग्निवीर जैसी योजना लाकर करोड़ों युवाओं का अहित किया है।

केंद्र सरकार खरबों की राष्ट्रीय सम्पत्ति चुनिंदा निजी कंपनियों को क्यों बेच रही है? अगर मोदी सरकार राष्ट्र की संपत्ति में इज़ाफ़ा नहीं कर सकती तो आजादी के बाद दशकों की मेहनत से बनायी गयी परिसंपत्तियों को औने-पौने दामों पर बेचकर देश का नुकसान क्यों रही है?

मोदी सरकार को यह बताना चाहिए कि कुछ चुनिंदा पूँजीपतियों को राष्ट्रीय संपत्ति बेचने से देशवासियों और अर्थव्यवस्था को कैसे मदद मिलेगी?

मोदी सरकार बताए कि राष्ट्र की परिसम्पत्तियाँ बेचने की उनकी क्या मजबूरी है? क्या यह मोदी सरकार की असफलता, नीतियों की नाकामी और अदूरदर्शिता नहीं है?

प्रधानमंत्री जी अब कभी नोटबंदी, मेक इन इंडिया, स्टार्ट अप इंडिया, स्किल इंडिया, स्टैंड उप इंडिया, प्रतिवर्ष दो करोड़ सरकारी नौकरियाँ, 15 लाख काला धन, किसानों की दुगुनी आय इत्यादि का ज़िक्र क्यों नहीं करते? क्या प्रधानमंत्री जी जानते है बिना-सोचे समझे लॉंच की गयी उनकी ये सभी योजनाएँ घोर विफल हो चुकी है?

हम भारत के लोग अपने देश को चंद पूँजीपतियों के हाथों में बेचने और गिरवी रखने के इस प्रयास के खिलाफ अंत तक लड़ते रहेंगे।

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