अमेरिकी चुनाव : क्या भारत सरकार के साथ जॉय बिडेन से नये संबंध कारगर होंगे ?

अमेरिकी चुनाव : क्या भारत सरकार के साथ जॉय बिडेन से नये संबंध कारगर होंगे ?

एस. ज़ेड. मलिक (स्वतंत्र पत्रकार ) 
नई दिल्ली. अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव सम्पन्न परन्तु मत गणना में ट्रम्प ने डाल दिया व्यवधान।  यहां डेमोक्रेट पार्टी उम्मीदवार जॉय बिडेन अब  रिपब्लिकन उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप हावी होते दिखाई दे रहे।  अब यह चुनाव पूरी तरह से बिडेन और कमला हैरिस के फ़ेवर जाता दिखाई दे रहा है। लेकिन अब इन सबके बीच सवाल उठ रहे हैं कि क्या भारत सरकार, एरिका के नये राष्ट्रपति बिडेन प्रशासन के साथ काम करेंगे?
ओबामा प्रसाशन काल से अमेरिका और भारत के रिश्ते में दो महत्वपूर्ण लोगों ने हमेशा सक्रिय भूमिका निभाई है जिनका नाम मीडिया से पर्दे में रखा गया आज चूँकि ट्रम्प प्रसाशन पूर्ण रूप से नये राष्ट्रपति की नई व्यवस्था में जाते दिखाई दे रही है। और ओबामा के बाद ट्रम्प के साथ भारत का बेहतर संबंध बनाने में भारतीय राजदूत के साथ मिल कर विवेक एच मूर्ति और राज शाह की सक्रिय भूमिका रही रही है, जो इससे पहले ओबामा प्रशासन के एक अहम् हिस्सा थे। कहा जा रहा है की श्री मूर्ति ने बिडेन के अभियान में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है,  और उनके प्रशासन में भी जगह बनाने की उम्मीद है। साल 2014 में मूर्ति, ओबामा प्रशासन में सबसे कम उम्र के सर्जन जनरल बने थे।

राजीव ‘राज’ शाह की प्रशासन में महत्वपूर्ण भूमिका

राजीव ‘राज’ शाह ने भी ओबामा प्रशासन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी और जरूरत पड़ने पर नए प्रशासन के साथ भारत केंद्रित पहल को आगे बढ़ाने में सक्षम माने जाते हैं उन्होंने रिसर्च, शिक्षा और अर्थशास्त्र के अवर सचिव और अमेरिकी कृषि विभाग में मुख्य वैज्ञानिक के रूप में कार्य किया उन्होंने साल 2015 तक संयुक्त राज्य अमेरिका एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट (यूएसएआईडी) के 16 वें प्रशासक के रूप में भी काम किया।

राजदूत संधू भी कांग्रेस के ब्लैक समूह के साथ रहे हैं।  अफ्रीकी-अमेरिकी कांग्रेस सदस्यों के इस समूह में कमला हैरिस शामिल थीं।  हैरिस एक जमैका पिता और भारतीय मां की बेटी हैं. पिछले छह महीनों में संधू की सार्वजनिक रूप से घोषित बैठकें भी डेमोक्रेट के साथ थीं।  उन्होंने जुलाई में हाउस फॉरेन अफेयर्स के चेयरमैन एलियट एंजेल से मुलाकात की. बैठक के बाद उन्होंने ट्वीट कर कहा कि ‘एंजेल भारत – अमेरिका के संबंधों  की मजबूत प्रस्तावक हैं. हमने रणनीतिक साझेदारी के साथ-साथ विशेष रूप से चिकित्सा और वैक्सीन के क्षेत्र में वैज्ञानिक सहयोग पर चर्चा की। ‘

उन्होंने भारतीय-अमेरिकी डेमोक्रेट अमी बेरा से भी मुलाकात की. बेरा, एशिया पर उप समिति की अध्यक्ष  भी थी. बैठक के बाद उन्होंने एक ट्वीट में कहा- ‘भारत में COVID पर  स्वास्थ्य, विज्ञान और आपूर्ति श्रृंखलाओं पर चर्चा कर भारत-अमेरिका साझेदारी को बढ़ाया।’

प्रमिला जयपाल से क्या हैं समीकरण?
अब बेरा ने चुनाव जीत कर अमेरिकी कांग्रेस में वापसी की है।  बेरा के अलावा भारतीय मूल की डेमोक्रेटिक उम्मीदवार प्रमिला जयपाल को भी अमेरिकी कांग्रेस में फिर से चुना गया है।  हालांकि यह भारत सरकार के लिए अच्छा नहीं रहा है।  विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अमेरिका यात्रा के दौरान पिछले साल जयपाल की कांग्रेस के सदस्यों के समूह से भी मिलने से इनकार कर दिया था, जिन्होंने निवेदन किया था कि जम्मू-कश्मीर से प्रतिबंध हटाया जाए।
जयशंकर ने इसके बाद कहा था- मुझे उनके रिजॉल्यूशन के बारे में पता है।  मुझे नहीं लगता कि उन्हें जम्मू-कश्मीर की स्थिति  या भारत सरकार के काम के बारे कुछ उचित जानकारी रखी है।  मुझे उससे मिलने में कोई दिलचस्पी नहीं है।’

वहीं दूसरी ओर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाउडी मोदी कार्यक्रम के दौरान अबकी बार ट्रंप सरकार का नारा लगाया था।  जिसकी विपक्ष ने जमकर आलोचना की थी।  हालांकि कोविड -19 महामारी, एंटी चीन सेंटिमेंट और एलएसी पर मौजूदा तनाव ने स्थिति बदल दी।
अब सवाल है – कई मुद्दों पर जबकि ट्रंप प्रशासन ने भारत के लिए खुला समर्थन दिया था यह  क्या प्रशासन में बदलाव के बाद भी यह समर्थन जारी रहेगा? अमेरिकी प्रशासन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने पत्रकार को बताया, ‘मुझे पूरी उम्मीद है – इस बात की कोई वजह नहीं है कि नया प्रशासन होने के नाते भारत के संबंध में नीति बदल जाएगी।  मुझे लगता है कि दोनों पक्ष की रुचियां काफी हद तक मेल खाती हैं।’

भारत सरकार के सूत्रों ने यह भी कहा कि उनका मानना है कि भारत के प्रति अमेरिका का दृष्टिकोण द्विदलीय रहा है और आगे भी रहेगा।  उन्होंने इस वर्ष 15 अगस्त से जो बिडेन द्वारा दिए गए बयानों के बारे में भी बताया।  स्वतंत्रता दिवस के मौके पर बाइडन ने कहा था कि वह इस क्षेत्र में और सीमाओं के साथ आने वाले खतरों का सामना करने के लिए भारत के साथ खड़ा रहेंगे. उन्होंने व्यापार के विस्तार और जलवायु परिवर्तन जैसी चुनौतियों को साथ लेकर चलने का भी वादा किया।
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