कोरोना के नाम पर आने वाली वैक्सीन का उपयोग करने में कोई जल्दबाजी नहीं,

 कोरोना के नाम पर आने वाली वैक्सीन का उपयोग करने में कोई जल्दबाजी नहीं की जाए और सरकारी बहकावे में आने से बचा जाए – रोशन लाल अग्रवाल (समीक्षक, विश्लेषक, लेखक आर्थिक न्याय)

इस बात की पूरी संभावना है कि कोरोना की दवा के रूप में बाजार में आने वाली वैक्सीन दुनिया में जनसंख्या को कम करने के लिए एक सोचा समझा वैश्विक षड्यंत्र हो और इसकी पूरी संभावना भी है।
क्योंकि अब अमीर लोग नहीं चाहते कि धरती पर ज्यादा जनसंख्या बची रहे और जनसंख्या कम होगी तो बचे हुए लोग अधिक मौज मस्ती के साथ रह सकेंगे।
स्वाभाविक है कि ऐसी स्थिति में सारे गरीब लोग येन केन प्रकारेण मौत के घाट उतार दिए जाएंगे और यह लक्ष्य अनेक प्रकार के हथकंडे द्वारा पूरा किया जाएगा।
निकट भविष्य में कोरोना की दवा के रूप में जो वैक्सीन बनाई गई है वह अगले दो 3 वर्षों में लोगों को हृदय और गुर्दे और अन्य खतरनाक बीमारियों से ग्रसित कर देगी और उसका परिणाम हर व्यक्ति आसानी से समझ सकता है।
यह भी हो सकता है कि यदि लोग शासन के समझाने से नहीं माने तो सरकार कानून बनाकर नागरिकों को इस के टीके लगवाने के लिए बाध्य कर दे और और कई प्रकार से डराए धमकाऐ हम जानते हैं कि अब दुनिया के सभी शासक विश्व स्वास्थ्य संगठन के नाम पर पूंजी पतियों द्वारा रचे गए षड्यंत्र का हिस्सा बन गई है और अपने को सत्ता में बनाए रखने के लिए उसके हर आदेश का चुपचाप पालन कर रहे हैं।
ऐसी स्थिति में हर जागरूक और समझदार नागरिक को अपनी भूमिका निर्धारित कर लेनी चाहिए और शासन के षड्यंत्रों का मुकाबला बहुत ही सोच समझकर शांतिपूर्वक करना होगा।
वैसे इसका सबसे सरल और विवेकपूर्ण उपाय यह है कि इसकी सभी एलोपैथिक दवाओं का पूरी तरह बहिष्कार किया जाए और आयुर्वेदिक एवं होम्योपैथिक दवाओं का खुलकर उपयोग किया जाए जो पूरी तरह वैज्ञानिक विश्वास योग्य और प्रभावशाली है।
ऐसी स्थिति में सरकारें बल प्रयोग के खतरे भास्कर खुद ही पीछे हट जाएंगी और एलोपैथी के माध्यम से विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा प्रचार जाने वाला हर षड्यंत्र भी आसानी से ध्वस्त किया जा सकेगा।
मैं यह भी कहना चाहता हूं कि एलोपैथी को बहुत ही सोचे समझे ढंग से समाज में स्थापित करने के लिए सरकार बहुत ही पक्षपात पूर्वक काम करती आ रही है और इसकी सबसे बड़ी विशेषता यही है कि यह चिकित्सा प्रणाली लूट और धोखाधड़ी का सबसे आसान हथियार बनाई जा सकती है।
इस संबंध में मैं पूरे विश्वास के साथ कह सकता हूं कि होम्योपैथी दुनिया की अत्यंत सशक्त सबसे सस्ती और सबसे निरापद चिकित्सा प्रणाली है जिसका मुकाबला दुनिया की कोई भी चिकित्सा प्रणाली नहीं कर सकती लेकिन इसकी सबसे बड़ीकमजोरी यह है कि यह किसी भी प्रकार से षडयंत्र पूर्वक लूट का हथियार नहीं बनाई जा सकती।
इसी प्रकार भारत की परंपरागत चिकित्सा प्रणाली तो इतनी सरल सहज चिकित्सा प्रणाली है कि यह हमारे घरों में रसोई में प्रयोग होने वाले कई प्रकार के मसालों में सम्मिलित है जो भोजन को स्वादिष्ट तो बनाती ही है साथ ही साथ व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी सहज रूप से बढ़ाकर हर प्रकार की बीमारियों से लोगों की रक्षा करती है।
यह चिकित्सा प्रणाली ही नहीं एक स्वस्थ जीवन की शैली ही बन गई है और इसे अपनाने में किसी को बहुत सामान्य करते ही करना पड़ता है और भोजन भी बहुत श्रेष्ठ मिलता है।
आप भी यह जानते हैं कि कई आयुर्वेदिक कंपनियां अब बहुत शुद्ध और शक्ति दवाइयां और अन्य उपभोग सामग्री उपलब्ध भी करा रही हैं और उन्हें अपने देश में भी निरंतर मिलने में बहुत सरलता हो गई है।
इसलिए अच्छा होगा कि कोरोना के नाम पर आने वाली वैक्सीन का उपयोग करने में कोई जल्दबाजी नहीं की जाए और सरकारी बहकावे में आने से बचा जाए।
इससे विश्व को लूटने की वैश्विक योजना धरी की धरी रह जाएगी और सरकार को भी समाज की संगठित शक्ति का एहसास हो जाएगा जिससे समाज के साथ मनमानी करने का अंतिम परिणाम भी उसकी समझ में आ जाएगा।
रोशन लाल अग्रवाल (समीक्षक, विश्लेषक, लेखक आर्थिक न्याय) के अपने विचार है ।
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