सऊदी अरब के जद्दा में भारतीय वाणिज्य दूतावास में अवैध अधिकारियों का वर्चस्व। 12 मिलियन रियाल (लग भाग 23 करोड़ भारतीय रुपया ) का घोटाला ?
अत्यंत महँगे 'तालीमि प्रॉजेक्ट ' ( एक प्रकार का सॉफ्टवेयर ) स्कूलों पर थोपने का विरोध करने पर , इंटरनेशनल इंडियन स्कूल- जेद्दा के चेयरमैन एवं सदस्यों को निकाला !
सऊदी अरब के जद्दा के भारतीय स्कूलों में भारतीय वाणिज्य दूतावास के निगरानी में अत्यंत महँगे ‘तालीमि प्रॉजेक्ट ‘ सॉफ्टवेयर’ जबरन थोपा गया ?
अत्यंत महँगे ‘तालीमि प्रॉजेक्ट ‘ ( एक प्रकार का सॉफ्टवेयर ) स्कूलों पर थोपने का विरोध करने पर , इंटरनेशनल इंडियन स्कूल- जेद्दा के चेयरमैन एवं सदस्यों प्रबंधकीय समिति से निकाला गया !
एस. ज़ेड. मलिक (पत्रकार)
नयी दिल्ली – सऊदी अरब जैसे निष्पक्ष और पवित्र देश में भ्र्ष्टाचार का मामला उजागर होता है तो बड़ा ताज्जुब सा लगता है , सऊदी अरब के जद्दा में एक बार फिर से भारतीय वाणिज्य दूतावास के प्रांगण में स्पष्ट रूप से भ्रष्टाचार की गंध आ रही है , 12 मिलियन रियाल (लग भाग 23 करोड़ भारतीय रुपया ) का है, अत्यंत महंगे “तालीम सॉफ्वेयर ” का है, जो बिना टेंडर पास हुए भारतीय दूतावास के द्वारा सऊदी में भारतीय अंतर्राष्ट्रीय स्कूलों में जबरन थोपने पर वर्तमान चेयरमैन और समीती के सदस्यों द्वारा विरोध करने पर उन्हें समय से पहले पदमुक्त करने का मामला प्रकाश में आया। तमाम स्थितिओं की समीक्षा करने पर स्पष्ट हो जाता है की सऊदी अरब में भरतीय दूतावास की आंतरिक व्यवस्था में अधिकारिओं का अपना वर्चस्व हैं। एक समाचार पोर्टल एवं अन्य स्त्रोतों से जो मामले सामने आये वह इस प्रकार है।
ज्ञात हो की सऊदी अरब में भारत सरकार ने वहाँ बसे भारतीय प्रवासियों के शिक्षा सुविधा लिए 10 भारतीय अंतर्राष्ट्रीय स्कूल चला रही है ताकि भारतीय परवासिओं के बच्चे भारतीय संस्कार संस्कृति शिक्षा से वंचित न रह जाएँ इसके लिए भारतीय दूतावास के अधीन प्रवासियों के लिए अन्य शिक्षा संस्थान खुलवा कर भारतीय राजदूत को उसका संरक्षक बना कर राजदूत को उसकी ज़िम्मेवारी सौंप रखी है। परन्तु स्वार्थी मानसिकता वाले लोगों को जब ऐसे संस्थानों की ज़िम्मेवारी दे दी जाएगी तो स्पष्ट है भ्र्ष्टाचार तो होगा ही।
ऐसे ही मामला सऊदी के इंटरनेशनल इंडियन स्कूल में एक भ्र्ष्टाचार से जुड़ा मामला प्रकाश में आ रहा है – जानकार सूत्रों द्वारा इंटरनेशनल इंडियन स्कूल जेद्दा के प्रबंधन समिति के चेयरमैन श्री गाज़नफर आलम ने सऊदी अरब में भारतीय दूतावास के अधीन, राजदूत, संरक्षक श्री ओसाफ सईद से प्रार्थना किया है की स्कूल के चेयरमैन एवं इसके प्रबंधन समिति के सदस्यों को ना निकाला जाए और ऐसी स्थिति में जब कि पूरा समुदाय कारोना से पीड़ित एवं इसके आर्थिक मार से त्रस्त है इतने महँगे “तालीमि प्रॉजेक्ट ” को लागू नहीं किया जाए I
चेयरमैन ने अपने पत्र में लिखा है की उन्हें अज्ञात / विश्वस्त सूत्रों से पता चला है कि एमओइ वर्तमान स्कूल प्रबंधन समिति के चेयरमैन एवं तीन सदस्यों को इनकी सदस्यता की मुद्दत समाप्त होने से पहले ही निकाला जा रहा है एवं इसके लिए जल्द ही विज्ञप्ति जारी कर दी जाएगी I उन्होने ने गवर्निंग रूल्स के आर्टिकल 16 एवं 17 का संदर्भ देते हुए कहा है कि एमओआई इस तरह के कदम तभी उठा सकती है जब औपचारिक रूप से गठित जांच समिति की रिपोर्ट कारणों और औचित्य के साथ प्राप्त होती है जैसा की इस मामले में कहीं नही हुआ, अर्थात ना ही कोई समिति बनाई गई और ना ही कोई कोई रिपोर्ट प्रस्तुत की गई I
उन्हों ने माननीय भारतीय राजदूत को ये भी लिखा कि किसी भी वयक्ति या व्यक्तियों को प्रस्तुत नियम के विरुध जाकर कैसे हटाया या रखा जा सकता है I वह भी एक ऐसे कार्यालय की ओर से जो के किसी दूसरे देश में हमारे देश का प्रतिनिधित्व करता है I साथ ही उन्हों ने ये भी लिखा कि स्कूल प्रबंधन समिति से हमलोगों को हटाने की कोशिश तब और तेज़ कर दी गई जब हमलोगों ने अत्यंत महँगे “तालीमि प्रॉजेक्ट ” ( एक प्रकार का सॉफ्टवेयर ) स्कूलों पर थोपने का का विरोध करने के साथ साथ नए बहाल किए गए एडमिन ऑफिसर की संदिग्ध भूमिका की निष्पक्ष जांच की सिफारिश किया I जिसके कारण केवल अदालती करवाई में ही 12 मिलियन सऊदी रियाल खर्च हो गए I उन्होने ये भी लिखा की कोरोना महामारी के समय अभिभावक पर और बोझ डालना सही नही होगा इसलिए की बहुतों की या तो जॉब चली गई है या तनख़ाहें कम कर दी गई हैं। ऐसी हालत मैं जब वो टियूशण आदि फीस भी देने के लाएक़ नही रह गये हैं तो प्रत्यक स्कूल पर सात लाख रियाल का बोझ डालना सही होगा I
ऐसा माना जा रहा है की ईओआई रियाद के तहत चलने वेल 10 स्कूलों में बेहद महंगा, अव्यवहारिक “तालीमि प्रॉजेक्ट ”( एक प्रकार का सॉफ्टवेयर ) को शुरू किया जा रहा है जिस पर हर साल लग भाग 12 मिलियन रियाल (लग भाग 23 करोड़ भारतीय रुपया ) खर्च होंगे I
भारतिया दूतावास रियाद के अधीन चलने वाले इंडियन इंटरनॅशनल स्कूल जेद्दाह की प्रबंधन समिति के चेयरमैन एवं तीन सदस्य को उनके कार्यकाल समाप्त होने से पहले ही हटाए जाने की सिफारिश करदी है I माना जा रहा है की मुख्य संरक्षक डॉ0 औसाफ़ सईद ने अपने अब्ज़र्वर माननीय हामना मरयम ख़ान के द्वारा शिक्षा मंत्रालय को बताया गया की इन चार सदस्यों पर अब भरोसा नही रहा इस लिए इन को निकाल दिया जाएI
जबकि पूर्व अध्यक्ष श्री ग़ज़नफ़र आलम ने भारतीय दूतावास के द्वारा भारतीय मंत्रालय को अपने सहिंत चार सदस्यों को समीती से भारत सरकार द्वारा विदेशी शिक्षा नीति व प्रावधान का हवाला देते हुये जबरन हटाए जाने का कारण बताते हुये उन्होने ये दावा किया की दूतावास के व्यवस्था द्वारा अत्यंत महंगा, सॉफ्टवेयर स्कूलों पर जबरन थोपना जो कि इस समय अभिभावकों के लिए अव्यवहारिक और अतिरिक्त खर्चों का जबरन बोझ देना है। इसलिए w महंगे “तालीमि प्रॉजेक्ट ” सॉफ्टवेयर, का विरोध स्कूल और p6भिभावकों के हक़ में है। 6Pउन्होने कहा की मैंने लग भाग 23 करोड़ की लागत वाले तालीमि प्रॉजेक्ट के खिलाफ और गैर-क़ानूनी तौर पर चयनित अधिकारिओं के खिलाफ आवाज़ उठाया। पूर्व अध्यक्ष श्री गजनफर ने एक चौकाने वाली जानकारी देते हुये प्रेस को बताया की “तालीम ऑनलाइन प्रॉजेक्ट” की कंपनी भारतीय राजदूत जनाब औसाफ़ सईद साहब हैदराबाद के उनके निजी लोगों की कंपनी है जिसे पूर्णतः लाभ पहुंचाने चाहते हैं। उन्होने कहा की हम चारों सदस्यों को इसलिए हटाया जा रहा है ताकि आसानी से इस प्रॉजेक्ट को लागू किया जासके तथा एडमिन अफ़सर के मामला पर भी परदा डाला जा सके। श्री गज़नफ़र ने सऊदी शिक्षा मंत्रालय को इस मामले में हस्तक्षेप करने का निवेदन किया था जिसका हिंदी अनुवाद प्रस्तुत है
: 28/09/2020
शिक्षा / समानांतर शिक्षा महानिदेशक को
जेद्दा में शिक्षा मंत्रालय
विषय – जेद्दा में ग्लोबल इंडियन स्कूल: अध्यक्ष और स्कूल प्रबंधन समिति के तीन सदस्यों की सदस्यता समाप्त करने के कारणों को जानने के लिए अनुरोध पत्र।
श्रीमान,
14 सितंबर 2020 को, स्कूल के प्रिंसिपल द्वारा स्कूल प्रबंधन समिति के कुछ सदस्यों पर निराधार आरोप कि वे स्कूल के लिए सराहनीय काम नहीं कर रहे हैं इसलिए स्कूल के प्रबंधन समिति में रहने का कोई औचित्य नहीं है और इस बे बुनियाद निराधार आरोप के आधार पर समिति को बिना सूचित किये समिति के चार सदस्यों को सदस्य्ता मुद्दत पूरा होने से पहले बल पूर्वक निकालना यह कहाँ का न्याय है। इसका अरब के भारतीय दूतावास को देना चाहिये।
स्कूल के अनुसार परिपत्र सं।
IISJ / PR / 2020-21 / 34
इसके अतिरिक्त, उपरोक्त बे बुनियाद और निराधार आरोपों के आधार पर, स्कूल के प्रिंसिपल द्वारा पुराने सदस्यों के स्थान पर नये चार सदस्यों की नई समिति का चयन प्रक्रियाओं की भी घोषणा कर दी गई।
इसलिए, मैं विनम्रतापूर्वक आपको इस मामले में निष्पक्ष जांच के माध्यम से हस्तक्षेप करने के लिए कहता हूं क्योंकि जब माता-पिता भारतीय दूतावास या वाणिज्य दूतावास और जेद्दा में स्कूल से नियमों के बारे में जानने का अनुरोध करते हैं, तो वे हमेशा जवाब देते हैं कि स्कूल अधिनियम 1418 / को जारी किए गए विदेशी स्कूलों के लिए शिक्षा मंत्रालय द्वारा नियंत्रित है। 2/24 एएच और मंत्रालय द्वारा शिक्षा निदेशालय को नियंत्रित करने वाले नियमों के आधार पर विदेशों में प्रवासियों के हित में दूतावास को स्वतंत्र पूर्वक सभी निर्णय लेने का पूर्ण अधिकार है।
इसलिए, मैंने पाया कि स्कूल ने शिक्षा मंत्रालय के निम्नलिखित नियमों का पालन नहीं किया, जब समिति के चार सदस्यों की सदस्यता को उनके कार्यकाल के बीच में बिना कोई कारण बताए समाप्त कर दिया, और अनुच्छेद 15 और अनुच्छेद 16 में शिक्षा के नियमों का पालन नहीं किया गया ताकि सदस्यता समाप्त की जा सके।
अनुच्छेद 16 के बिंदु संख्या 1 में कहा गया है कि शिक्षा मंत्रालय स्कूल प्रिंसिपल से समाप्ति की सूचना प्राप्त करने से पहले आवश्यक जांच करेगा।
• अनुच्छेद 16 के बिंदु संख्या 3 में कहा गया है कि एक समिति का गठन किया जाएगा, जिसमें दूतावास द्वारा नियुक्त एक सदस्य शिक्षा मंत्रालय के दो अन्य सदस्यों के अतिरिक्त होगा। समिति की रिपोर्ट को शैक्षिक मामलों के लिए अंडरटेकरी द्वारा अनुमोदित किया जाना चाहिए, लेकिन दुर्भाग्य से शिक्षा मंत्रालय को नियंत्रित करने वाले नियमों में उल्लिखित प्रक्रियाओं में से किसी का भी पालन नहीं किया गया है।
मुझे तुम्हारे उत्तर की प्रतीक्षा है
धन्यवाद और आभार
मुहम्मद ग़ज़नफ़र आलम.
आपको बतादें की भारतीय राजदूत सऊदी अरब में भारतीय अंतरराष्ट्रीय स्कूलों का संरक्षक और कांसलर पर्यवेक्षक होता है।
ज्ञात हो की इस मामले से पहले भी रियाद में आईटी कंपनी में कार्यरत डोमिन साइमन जो आरटीआई एक्टिविस्ट भी है , उन्होंने लोकडाउन के दरमियान भारतीय प्रवासियों के लिए सऊदी में बसे कार्यरत इम्प्लाइज को सुरक्षित उनके घर भारत वापसी के लिए भारत सरकार से मांग किया और भारत सरकार ने उन प्रवासियों को सुरक्षित उनके भारत वापसी के लिए ” वंदे भारत मिशन ” तहत व्यवस्था की, बाद में पता चाला की दूतावास द्वारा प्रवासियों से अतिरिक्त पैसा वसूला जा रहा है। इस बाबत में साइमन ने भारत सरकार के विदेश मंत्रालय से आरटीआई द्वारा पूछ लिया की दूतावास डरा प्रवासियों से अतिरिक्त पैसा क्यों वसूला जा रहा है ? इस पर साइमन द्वारा विदेश मंत्रालय द्वारा आरटीआई का जो जवाब मिला वह चौकाने वाला था। साइमन की गलती इतनी थी की उसने सऊदी क़ानून का पालन नहीं किया, और वह भावुकता की राव में बह कर सोशल मीडिया के द्वारा भारतीय प्रवासियों को हवाईअड्डे पर इकट्ठा होने की जानकारी दे दी जिसके कारण सोशल डिस्टेंसिंग के प्रावधान में व्यवधान पड़ गया और सऊदी पुलिस ने साइमन को गिरफ्तार कर जेल में दाल दिया। लेकिन यह हमारे दूतावास की लापरवाही कहें या जानबूझ कर दूतावास ने साइमन की गिरफ्तारी की असलियत को छुपाये रखा , उनके परिवार को सूचित करना मुनासिब नहीं समझा – हालांकि साइमन को अब रिहा किया जा चुका है। अब सवाल यह है की इस प्रकार के ब्रश्ताचार उजागर हो रहे हैं और भारत सरकार मौन धारण किये हुए है। आखिर इस भर्ष्टाचार जैसे संगीन अपराध पर संज्ञान कौन लेगा? क्या भ्र्ष्टाचार उजागर करने वाला अपराधी है जो सजा उसी को मिलती है ?