छोटी मामी

मुझे माफ कर दो राजू ,मुझे आज भी ऐसा लगता है अबतक तुमने मुझे माफ नही

मुझे माफ कर दो राजू ,मुझे आज भी ऐसा लगता है अबतक तुमने मुझे माफ नही।

कहानी 
छोटी मामी

लेखिका -सुनीता कुमारी
पूर्णियां ,बिहार

मुझे माफ कर दो राजू ,मुझे आज भी ऐसा लगता है अबतक तुमने मुझे माफ नही किया है ?
कही न कही अब भी,तुम्हारे मन में मेरे लिए नफरत है?
तुमने कह तो दिया कि , तुमने मुझे माफ कर दिया पर तुम्हारे व्यवहार से मुझे स्पष्ट दिखता है कि तुमने मुझे माफ नहीं किया है?
दीदी ने मुझे कब का माफ कर दिया ,उनके मन में अब मेरे लिए कोई मैल नहीं है
दीदी का मेरे लिए प्रेम और लगाव उनकी आंखों में दिखता है ,उनके व्यवहार में दिखता है,
पर तुम्हारा मेरे प्रति उदासीन रवैया मुझे विचलित करता है?
उस एक घटना की वजह से अबतक तुम मुझसे कटे कटे रहते हो।अब तो माफ कर दो।
देखो अब तो ,भगवान ने भी मुझे सजा दे दी है।
छोटी मामी की ये बाते सुनकर मुझसे रहा नही गया,मैने छोटी मामी से कहा -नहीं नहीं , छोटी मामी ऐसी कोई बात नहीं है ,
मैंने तो कब का आपको माफ कर दिया है।
बस थोड़ी व्यस्तता के कारण मैं आपसे बात नही कर पाता हूँ,और कोई बात नही है,बरसों हो गए अब ना तो मुझे याद है और ना ही मेरी मां को याद है ।
आपके अच्छे व्यवहार एवं अपनेपन की भावना ने उस घटना की भरपाई कर दी है ।
मेरे मन में या मेरी मां के मन में अब आपके लिए कोई गिला शिकवा नहीं है ।
आप इन सब बातों को भूल जाइए ।
मैंने आपको दिल से माफ कर दिया है ।सबसे पहले आप अपना इलाज कराइए और जिंदगी की जंग जितिए जैसे हर मुकाम पर जीतती आई है,
चट्टान की तरह आप एक मजबूत स्त्री हैं , जिंदगी की जंग हार नहीं सकती ,और मौत आपको हरा नहीं सकता है।
आप निश्चिंत होकर अपना इलाज करवाएं और जल्दी से जल्दी घर आ जाइए। किसी तरह कि कोई बात आप अपने मन में मत रखिये।
मामी के द्वारा कही गए चंद बातें मुझे अतीत के गहराइयों में खुद ब खुद लेकर चले गए क्योंकि, यह वही मामी थी जिसने,मुझे और मेरी मां को जी भर कर अपशब्द कहे थे, भला बुरा कहा था ,मेरी माँ के बड़े होने का भी लिहाज नही किया था ,एक रिश्ते की मर्यादा की सीमा रेखा को लांघा था।
यहां तक कि दोनों मामी और मामा के बीच होने वाले झगड़ों का जिम्मेदार मेरी मां को ठहरा दिया था।
मुझसे यह बर्दाश्त नहीं हुआ और मैंने भी मम्मी को भला बुरा कहा अपशब्द कह दिए क्योंकि, मां हर किसी को प्यारी होती है और मां के विषय में कोई अपशब्द कहे तो कोई भी बच्चा बर्दाश्त नहीं कर सकता है मैं तो बड़ा ही था। मैंने भी नहीं किया मेरी मां तो समय के साथ भूल गई मैं भूल नहीं पाया ।
छोटी मामी से मैं पहली बार तब मिला था जब मिला था जब मामा की दूसरी शादी की लगभग एक वर्ष बीत चुका था।
छोटी मामी की शादी के बाद जब मैं पहली बार ननिहाल पहुंचा तो नानी का घर पहले जैसा नहीं था ।नानी का घर जैसे पहले शांत चित्त और खुशहाल हुआ
करता था, अब बिल्कुल वैसा नहीं था नानी का घर झगड़े का अखाड़ा बन चुका था,
हो भी क्यों न आखिरकार मामा जी ने अपनी पत्नी की बहन से ही यानी अपनी छोटी साली से ही शादी कर ली थी ।
मेरे मामा जी की अब दो अब दो पत्नियां थी ,पहले दोनों बहने थी अब दोनों सौतन बन चुकी थी।
सौतन का झगड़ा जगजाहिर है ,मेरे ननिहाल में भी
झगड़े की सबसे बड़ी वजह यही थी।
बड़ी मामी हमेशा उदास और परेशान रहती थी, मामा जी ने उन्हें धोखा दिया था ।उनके साथ बुरा किया था। मामा जी के पहले से ही तीन संताने थी ,गीता और सिया और पुत्र पंकज तीनों बच्चे वयस्क की उम्र को छूने की कगार पर थे। फिर भी मामा जी ने दूसरी शादी कर ली थी।
बड़ी मामी की चिंता जायज थी कि अब क्या होगा बच्चों की पढ़ाई लिखाई और शादी में बाधा पड़
जाएगी ??
मामा जी छोटी बहन का साथ देगें,यही सोच सोच कर बड़ी मामी परेशान रहा करती थी ।बहन का सौतन बनकर घर में आ जाने से बड़ी मामी की नींद चैन सब
समाप्त हो गया था ।रात दिन इसी चितां में रहती थी की अब उनका और उनके बच्चों का क्या होगा?
मेरी मां उन्हें सांत्वना देते थी ।मां और बड़ी मामी दोनों लगभग हमउम्र थी ।दोनों की शादी भी एक साल के अंतर पर हुई थी
इसलिए मां को बड़ी मामी से विशेष लगा था।बड़ी मामी स्वभाव से से भी शांत सुशील थी,इसलिए बड़ी मां से मां का लगाव भी ज्यादा था,यह लगाव तब और बढ़ गया जब मामा जी ने दूसरी शादी कर ली।
मामा जी ने बड़ी मामी के साथ गलत ही नहीं बल्कि अन्याय किया था।
छोटी मामी से पहली मुलाकात के वक्त, कुछ दिनों में मैं परेशान हो गया क्योंक,रोज रोज झगड़े हो रहे थे,और मुझे अचछा नही लग रहा था। मैंने मां से कहा मां चलो अपने घर चलते हैं।
जब घर से निकलने लगा तो मां की आंखों में आंसू भरे हुए थे बड़ी मामी भी बिलख- बिलख कर रो रही थी। मां क्योंकर रो रही थी पता नही ?
बड़ी मामी का तो समझ आ रहा था, उनके रोने का कारण था पर मां??
मैंने मां से पूछने की कोशिश की पर मां ने कुछ भी नही बताया।शायद छोटी मामी ने माँ से बदतमीजी
की थी।
करीब आठ महीने हुए होंगे बड़ी मामी का एक दिन फोन आया और मां से कहा कि -नानी जी बीमार है आप जल्दी से आ जाइए।
चुकी पिताजी घर पर नहीं थे इसलिए ,
मां ने मुझे चलने को कहा मैं तैयार नहीं हुआ मगर ,
मेरी एक नहीं सुनी और मुझे लेकर ननिहाल नानी जी को देखने चली आई।
नानी की तबीयत खराब थी मगर अपनी पुत्री यानी मेरी मां को देखते ही बेहतर होने लगी ।
नानी की परेशानी का कारण भी दोनों मामी का रात दिन का किच किच था ।
दोनों मामी अपने-अपने हक के लिए लड़ती रहती थी,
इस कारण नानी और मामा परेशान रहते थे ,घरेलू झगड़ा की वजह से नानी भी बिमार रहने लगी थी।
नाना जी इन सब झंझटो से खुद को दूर रखते थे ,अपने कृषि कार्य से फूर्सत मिलती थी तो सत्संग में चले जाते थे।
घर के झंझट से तंग आकर मामा जी भी अफसोस कर रहे थे कि उन्होंने दूसरी शादी क्यों की ??
मगर अब जो हो चुका जो हो चुका यही सोच कर शायद मामा जी अपने आप को समझा लेते थे
“मानव स्वभाव का यह दर्पण है दो बहनों या दो भाईयो में जितना प्रेम पनपता है ,अगर परिस्थिति वश नफरत हो जाए तो नफरत की भी , सारी सीमा को पार कर देता है ।”
यही नफरत दोनों बहनों के बीच हो गया था ।
रात दिन की लड़ाई रूक नहीं रही थी। नानी का घर अब भी झगड़े का अखाड़ा ही बना हुआ था ।
मैं नानाजी के घर रुकना नहीं चाहता था। पर मां के जिद के कारण मैं उस दिन रुकने के लिए तैयार हो गया। अगले दिन छोटी मामी मां के ऊपर चिल्ला रही थी, उनसे कह रही थी कि- आप के कारण ही मेरे घर में रोज रोज झगड़े होते हैं , आप ही बड़ी दीदी को मेरे खिलाफ भड़काती हैं, हर दिन फोन पर बात कर उन्हें उल्टा पुल्टा पढ़ाती रहती हैं ,और सासू मां को भी मेरे खिलाफ भड़काती रहती हैं ,आपके कारण ही घर में लड़ाई झगड़े हो रहते हैं।
छोटी मामी की बात सुनकर मां रोने लगी ।मुझे भी बहुत जोर का गुस्सा आया क्योंकि ,मेरी मां की ऐसी आदत बिल्कुल भी नहीं थी कि, किसी के खिलाफ एक शब्द भी किसी से कहें ।
मेरी मां दो लोगों के बीच झगड़े को शांत कराने वाली महिला थी, आपस में समझौता कराने वाली महिला थी मां के ऊपर लगे इस इल्जाम को मैं बर्दाश्त नहीं कर पाया।
मैंने भी मामी से अपशब्द कहे – मैंने छोटी मामी से कहा -शायद आपका दिमाग खराब हो गया है? जो आप मेरी मां के विषय में ऐसी बातें कर रही हैं ?
मेरी मां को नानी घर में और मेरे अपने घर में सब लोग सम्मान की नजर से देखते हैं और आप अपमान कर रही है??
मेरी मां दुनिया की सबसे अच्छी मां है और रिश्तो को जोड़कर रखने में विश्वास करती हैं तोड़ने में नहीं ।
गलती तो आपने किया है, आपने ही अपनी बड़ीबहन का घर तोड़ा है ,यहां सारे झगड़े, आपकी वजह से हो रहे है, मेरी मां की वजह से नही।
आपको शर्म आनी चाहिए ,इस घर में झगड़े का कारण मेरी मां नहीं बल्कि आप खुद हैं ?
एक दिन आपको आपके किए की सजा जरूर
मिलेगी।
आज मामी की ऐसी अवस्था को देखकर मेरा मन विचलित हो गया और मैं ईश्वर से प्रार्थना करने लगा कि हे ईश्वर मेरी छोटी मामी को ठीक कर दो। स्वतः ही मेरे दोनों हाथ छोटी मामी की प्राण रक्षा हेतु प्रार्थना के लिए जुड़ गए।
एक वह भी वक्त था जब रानी मामी के आतंक से पूरा घर परेशान था और आज यह भी एक वक्त था जब छोटी मामी अपनी मृत्यु शैया पर पड़ी हैं । हर कोई उनके लिए रो रहा है ,उनके अच्छे होने की प्रार्थना कर रहा है।
यहां तक की बड़ी मामी भी बिलख बिलख कर रो रही है और और मामी के तीनों बच्चे भी छोटी मामी के ठीक होने की ईश्वर से प्रार्थना कर रहे हैं।
छोटी मामी के सेवा सत्कार में कोई कमी नहीं रख रहे हैं।सभी बच्चों का छोटी मामी के प्रति लगाव देखकर मेरा भी मन भर आया।
मन ही मन सोचने लगा कि, भगवान अच्छे इंसान को जल्दी क्यों उठा लेते है।
इंसान से गलती होती है अगर गलती की इतनी बड़ी सजा है तो यह अन्याय है।
छोटी मामी की दशा देखकर मन दुखी हो रहा था।
मैं भले ही छोटी मामी को दिल से माफ नही कर पाया था,
किंतु मां ने छोटी मामी को माफ कर दिया था।छोटी मामी की बदतमीजी और अपशब्द का जबाव नानी और बड़ी मामी ने भी छोटी मामी को दे दिया था ,तथा वक्त के साथ छोटी मामी भी समझ गई थी कि, मेरी माँ रिश्तों को जोड़कर रखनेवाली स्त्री है।धीरे धीरे छोटी मामी का नजरिया भी मां के प्रति बदल गया और दोनों ननद भाभी की जगह सहिलियों की तरह हो
गई थी।
इंटरमीडिएट करने के बाद मैं आगे की पढ़ाई करने पटना चला गया एवं धीरे धीरे नानीहाल आना जाना जैसे बंद ही हो गया।
माँ के मुख से अक्सर छोटी मामी और बड़ी मामी की तारीफ सुनता रहता था । अब दोनों बहनों के बीच झगड़े बंद हो चुके थे ।दोनों मामी प्यार से एक साथ सौतन कम ,बहन की तरह ज्यादा रहती थी ।
छोटी मामी बड़ी मामी से ज्यादा तेज तर्रार थी, इसलिए उन्होंने रसोईघर के बाहर का सारा काम संभाल लिया था ,बड़ी मम्मी रसोईघर का काम करती थी ।
छोटी मम्मी सारा घर संभालती थी। धीरे-धीरे छोटी मामी मामा जी की खेती भी संभालने लगी। नाना जी की उम्र होने लगी थी,नानाजी का खेती का भार छोटी मामी ने अपने ऊपर ले लिया।
करीब दस एकड़ की खेती में कौन सी फसल कब लगवाना है ,कब कटवाना है ,और कब बेचना है यह सारा काम छोटी मामी संभालती थी।धीरे -धीरे मामा जी फ्री होते चले गए ।छोटी मामी ने घर और बाहर दोनों की जिम्मेदारी संभाल ली थी।
छोटी मामी पर, मामा जी का विश्वास बढ़ता चला गया। छोटी मामी का राजनीति से भी बहुत लगाव था, और वह चुनाव भी लड़ना चाहती थी।
विधायक और सांसद का चुनाव तो छोटी मामी नहीं लड़ सकी,
मगर किसानों की सुविधा के लिए गांव में खाद और बीज के अध्यक्ष के रूप में पैक्स का चुनाव लड़ा और जीत गई।
लगभग पंद्रह साल इस पद पर रही। तीन बार उन्होंने यह चुनाव लड़ा और तीनो बार जीत हासिल की
मैं जब भी घर आता मां खुश होकर ननिहाल की कहानी बताती रहती थी।
धीरे-धीरे छोटी मामी की तरक्की बढ़ती गई ।खेती के साथ-साथ मामी का पैक्स का अध्यक्ष होना
मामा जी के लिए सोने पर सुहागा जैसा था दिन-ब-दिन मामा जी के संपत्ति बढ़ती गई बड़ी मामी के तीनों बच्चे बड़ी छोटी मामी के करीब थे ।
बच्चों की शिक्षा दीक्षा शादी विवाह सबकी जिम्मेदारी छोटी मामी ने ले रखी थी।
दोनों बेटियों का विवाह छोटी मामी ने खुद अपने बलबूते पर करवाया। मैं भी विवाह समारोह में शामिल था। छोटी मामी खुद से एक एक काम देख रही थी।
जैसे लग रहा था कि उनकी अपनी बेटी की शादी हो। छोटी मामी ने बड़ी मामी की दोनों बेटियों की शादी में कोई कसर नहीं रखी।दोनों की शादी धूमधाम से करवायी ।
बड़ी मामी निश्चिंत होकर सब देखती रहती थी और मुस्कुराती रहती थी। धीरे-धीरे बड़े मामा का बेटा भी सेटल हो गया।
बड़ी मामी का सारा काम निपट गया। बड़ी मामी के तोनों बच्चें सेटल हो चुके थे।
शायद छोटी मामी बड़ी, मामी का ही जीवन संवारने के लिए उनके जीवन में आई थी।
छोटी मामी के भी दो पुत्र थे और दोनों ही आठ और दस वर्ष के करीब थे उसपर छोटी मामी की ऐसी हालत??
यह देखकर एक सवाल मेरे मन में बार बार आ रहा था कि, छोटी मामी ने, बड़ी मामी के तीनों बच्चों के लिए जितना किया ,तीनों बच्चों की जिंदगी सँवार दी, छोटी मामी के जाने के बाद बड़ी मामी, छोटी मामी के बच्चों के लिए करेगी??
छोटी मामी के दोनों बच्चों की परवरिश पर पर प्रश्न चिन्ह लग रहा था ??
बड़ी मामी के जीवन का उद्देश्य पूर्ण हो चुका था। मगर ,छोटी मामी का जीवन अधर में अटक
गया था। उनकी असाध्य बीमारी लाइलाज बन चुकी थी और, वह एक एक दिन के लिए अपने जीवन के लिए लड़ रही थी।
कई वर्षों बाद मैं छोटी मामी से मिल रहा हूं और उन्हें हॉस्पिटल में देख कर मुझे बहुत बुरा लग रहा है। उस पर भी छोटी मामी का यह कहना की तुमने मुझे माफ नहीं किया?? मुझे अंदर झकझोर गया।
“वक्त के साथ भले ही कोई इंसान अच्छा से अच्छा करें, मगर उनकी प्रत्येक बुराई उनके अंतरात्मा में बसी रहती है ,उन्हें कहीं ना कहीं यह एहसास जरूर रहता है कि उन्होंने गलती की है और उन्हें गलती की सजा मिलगी उन्हे यह पूरा एहसास होता है कि उनके किए की सजा उन्हें एक ना एक दिन जरूर मिलेगी।”
छोटी मामी को भी यही एहसास खाए जा रहा था। उन्होंने मामा जी से शादी कर अपनी बड़ी बहन का हक छीना था और ,इस हक के बदले उन्होंने अपना जीवन बलिदान कर दिया ।अपना पूरा जीवन बड़ी मामी के जीवन को संभालने में उनके बच्चों को सँवारने में लगा दिया ,
मगर जब उनकी बारी आई तो जीवन के आधे रास्ते में ही भगवान के घर से बुलावा आ गया।
मैंने मामी को पूरी तसल्ली दी कि, मामी जो हुआ उसे भूल जाइए। मैंने आपको दिल से माफ कर दिया है ।मेरे मन में आपके लिए कुछ भी नहीं है।भले ही मैं जब भी ननिहाल आता था , आपसे कटा कटा रहता था, आपसे बात नहीं कर पाता था क्योंकि, कहीं ना कहीं मेरे मन में मेरी मां के अपमान का दंश हमेशा बना हुआ रहा ,परंतु अब मेरे मन में कोई मलाल नहीं है।
आपने जो किया वह अपना कोई चाह कर भी नहीं कर सकता है ।
आपने अपने समर्पण अपने बलिदान से बड़ी मामी का जीवन सँवार दिया उनके सभी बच्चों की जिंदगी सवार दी । मामा का सबसे बड़ा सहारा आप बनी ।
आपने वह सब कुछ अपने घर के लिए किया जो एक अन्नपूर्णा स्वरूप स्त्री करती हैं ,आप अपने मन से सारी बातें निकाल दे।
मेरी मां ने तो कब का आप को माफ कर दिया था और, मां के मुंह से आपकी तारीफ सुन सुन कर मैंने भी आपको कब का माफ कर दिया था ।आप निश्चिंत रहें और अपनी दवाई अपना इलाज अच्छे से करवाएं। जल्द से जल्द घर लौट कर आए ताकि , मैं फिर से अपने ननिहाल में आकर पुराने दिनों की तरह खुश रह संकू जैसे मैं अपने बचपन में रहा करता था।
मेरा मन रानी मामी की दशा को देखकर भर चुका था, आंखों के कोने गीले हो रहे थे और ,मैं मन ही मन सोच रहा था की छोटी मामी का, मामा जी से शादी बड़ी मामी की भलाई के लिए हुआ था या ,छोटी मामी जी ने बड़ी बहन के पति से शादी करने की जो गलती की थी, उसकी सजा पाने के लिए??

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