मुर्दे में जान फूंकने की कोशीश – तीरों की शैय्या पर बदहवास कराहती मुशावरत
भारत के बटवारा के बाद बनी मुशावरत संस्था मुसलमानों की समस्याओं का निवारण करेगी परंतु ...
भारत के बटवारा के बाद बनी मुशावरत संस्था मुसलमानों की समस्याओं का निवारण करेगी परंतु। मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के अस्तित्व में आते ही यह संस्था गुमनामियों के अंधकार में डूब गयी।
मुर्दे में जान फूंकने की कोशीश – तीरों की शैय्या पर बदहवास कराहती मुशावरत
एस. जेड. मलिक
भारत के बटवारा के बाद बनी मुशावरत संस्था मुसलमानों की समस्याओं का निवारण करेगी परंतु ऐसा नहीं हुआ – मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के अस्तित्व में आते ही यह संस्था गुमनामियों के अंधकार में डूब गयी।
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कहा जाता है कि भारतीय मुसलमानों की बड़ी संस्थाओं में जमात इस्लामी हिन्द और मुस्लिम लीग के बाद ऑल इंडिया मुस्लिम मजलिस ए मुशावरत (एआईएमएमएम) था। यह संस्था भारतीय मुसलमानों के समस्याओं के निवारण बनाया गया था । परन्तु यह संस्था अपने ही समस्याओं में इतना उलझ गया कि वर्षों तक कौमा रहा, अब कुछ लोग इसमे जान डालने की कोशिश कर रहे हैं। पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता फ़िरोज़ अहमद के नेतृत्व में इसमे नया चुनाव कराया गया और नए अध्यक्ष अधिवक्ता फ़िरोज़ अहमद को चुना गया उके साथ साथ सारी गवर्निंग बॉडी शायद बदल दी गई।
इस संस्था को नए सिरे संचालित करने के लिये कुछ लोग नए जोश के साथ इस संस्था से जुड़े लेकिन बदकिस्मती से संस्था चलाने में न तजुर्बा और न नियम न कानून ही का इस्तेमाल किया जा रहा है। और यह संस्था देश की सामाजिक-राजनीतिक स्थिति के बारे में चिंतित है और अपने जनादेश के आलोक में आवश्यक उपाय कर रहा है, जो हास्यपद है। प्रेस वार्ता में पत्रकारों को जानकारी दी गई कि एआईएमएमएम के आला-अधिकारियों का एक प्रतिनिधिमंडल भी देश के विभिन्न राज्यों और जिलों का दौरा कर रहा है। इस संबंध में मुशावरत ने अपने कार्यालय में प्रेस प्रतिनिधियों के साथ बैठक की व्यवस्था तो की परन्तु बिना चाय पानी के इससे बढ़ कर पत्रकारों का अपमान और क्या हो सकता है। वाह क्या बात है?
समय: रविवार, 11 जून, 2023 दोपहर 3:30 बजे और उसके बाद चाय। यह प्रेस निमंत्रण में लिखा गया था प्रेस प्रेस को उचित सम्मान के साथ देने की बात कही गयी थी यह निमंत्रण मुशावरत के एम एस ज़ोहा जो एआईएमएमएम के (युवा) सचिव (युवा), हैं । वही शायद मुशावरत का मीडिया सम्भाल रहे हैं।
मुशावरत की इस समय दयनीय स्थिति का सामना कर रहा जहां, पत्रकार वार्ता के लिये पत्रकारों आमंत्रित तो कर लेते है लेकिन उन्हें 10 ₹ की पानी की एक बोतल भी नही दे सकते। यह मैं अपना दुर्भगय समझू या संस्था की विडंबना की यहां कोई ज़िम्मीवार और तजुर्बेकार नहीं या यूं कहें कि वर्तमान पदाधिकारियों में घमण्ड है । यह मुस्लिम मुशावरत मुसलमानो की समस्याओं का निवारण करने वाली संस्था है? या मुसीबत बढाने वाली संस्था है? जिसके राष्ट्रीय अध्यक्ष सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता फ़िरोज़ साहब देश की जानी मानी अंसारियों की संस्था मोमिन कॉन्फ्रेंस के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी हैं और इनके ही निगरानी में मोमिन कॉन्फ्रेंस आज बिखरी हुई है, या घोर निंद्रा में अचेत है और वही फ़िरोज़ साहब अब इस मुशावरत के अध्यक्ष हैं और वह इस अवसर पर महाराष्ट्र के दौरे पर हैं। इस संस्था के पाधिकारिओं अनुसार जबकि यह संस्था भारतीय मुसलमानों की समस्याओं के निदान के लिये अन्य मुस्लिम संस्थाओं को जोड़ने का काम करती है और इस संस्था की स्थिति ऐसी की पत्रकारों को आमंत्रित कर उन्हें पिलाने के लिये 10 ₹ की पानी की बोतल की व्यावस्था नहीं – अब सवाल यह है कि क्या भारतीय मुसलमानों को ऐसी संस्था पर उम्मीद या भरोसा रखनी चाहिये की यह मुसलमानों के हित की बात करेगी या संस्था के पदाधिकारी संस्था के नाम पर अपने हित को देखेंगे या अपने हित के लिये चंदा इकट्ठा कर अपने परिवार का खर्चा चलायेंगे ?