उपराज्यपाल निवास पर शांतिपूर्ण तरीके से इकट्ठा हुई आँगनवाड़ीकर्मियों के साथ दिल्ली पुलिस की बर्बरता!*

आँगनवाड़ीकर्मियों को यह आश्वासन दिया गया था कि असंवैधानिक टर्मिनेशन और 'हेस्मा' के मसले पर उपराज्यपाल की ओर से जल्द ही कोई कार्रवाई की जायेगी। लेकिन ऐसा नही हुआ।

बर्ख़ास्तगी पर घड़ियाली आंसू बहाने वाली भाजपा की शह पर दिल्ली पुलिस ने महिलाओं के साथ बदसलूकी की। अंततः दिल्ली पुलिस ने आंगनबाड़ी महिलाकर्मियों बर्बरतापूर्ण एलजी के जाने से रोका और पुलिस वैन में भर कर थाने ले गई।

उपराज्यपाल निवास पर शांतिपूर्ण तरीके से इकट्ठा हुई आँगनवाड़ीकर्मियों के साथ दिल्ली पुलिस की बर्बरता!*

एस. ज़ेड.मलिक
नई दिल्ली – दिल्ली की आँगनवाड़ीकर्मी अपनी 38 दिनों तक चली हड़ताल के बाद हुए ग़ैर-कानूनी बर्ख़ास्तगी को लेकर संघर्षरत हैं। इसी सिलसिले में उन्होंने कई बार दिल्ली के उपराज्यपाल के समक्ष ज्ञापन के ज़रिए अपनी माँगें रखीं हैं। 16 जुलाई को उपराज्यपाल से हुई वार्ता में आँगनवाड़ीकर्मियों को यह आश्वासन दिया गया था कि असंवैधानिक टर्मिनेशन और ‘हेस्मा’ के मसले पर उपराज्यपाल की ओर से जल्द ही कोई कार्रवाई की जायेगी। इस आश्वासन के 20 दिन से भी ज्यादा का समय बीत जाने के बाद आँगनवाड़ीकर्मी दोबारा उपराज्यपाल निवास पर शांतिपूर्वक इकट्ठा होकर अब तक हुई कार्रवाई की जानकारी माँग रहीं थीं। लेकिन इन्हीं बर्ख़ास्तगी पर घड़ियाली आंसू बहाने वाली भाजपा की शह पर दिल्ली पुलिस ने महिलाओं के साथ बदसलूकी की। दिल्ली पुलिस ने आंगनबाड़ी महिलाकर्मियों को लगातार लाठीचार्ज करने की धमकी देती रही। जब महिलाकर्मियों ने दिल्ली पुलिस की धमकियों के आगे घुटने नहीं टेके तब पुलिसकर्मियों ने ज़बरदस्ती महिलाओं को गाड़ियों में भरकर मॉरिस नगर साइबर पुलिस थाने ले गयी। इस दौरान न केवल महिलाओं के साथ धक्कामुक्की और बदतमीज़ी की गयी, बल्कि पुलिस की हरकतों को रिकॉर्ड करने वाली महिलाओं के फ़ोन भी फेंके गये। पुलिस की ज़्यादती के चलते कई आँगनवाड़ीकर्मियों को चोटें आयीं, कइयों का खून भी बहा और कुछ महिलाएँ तो बेहोश भी हो गयीं। महिलाओं को कुछ घण्टे मॉरिस नगर थाने में ज़बरदस्ती रखा गया और उन्हें ‘आन्दोलन’ करने के नाम पर धमकाने की कोशिश भी की गयी। शाम 4:30 बजे के करीब महिलाकर्मियों ने थाने से बाहर आकर मॉरिस नगर में रैली का आगाज़ किया। इस दौरान फिर पुलिस ने हाथापाई की कोशिश की लेकिन उन्हें महिलाकर्मियों के आगे हार माननी पड़ी।

दिल्ली स्टेट आँगनवाड़ी वर्कर्स एण्ड हेल्पर्स यूनियन के बैनर तले मॉरिस नगर से आर्ट्स फैकल्टी तक एक रैली का आयोजन हुआ। रैली के अंत में सभा को संबोधित करते हुए यूनियन अध्यक्षा शिवानी ने कहा कि वही भाजपा जो कुछ हफ़्तों पहले आँगनवाड़ीकर्मियों के लिए मगरमच्छ के आँसू बहा रही थी, आज दिल्ली पुलिस के हाथों महिलाकर्मियों के साथ बदसलूकी करवा रही है। 31 जनवरी से 38 दिनों तक चली ऐतिहासिक हड़ताल को ख़त्म करने की तमाम कोशिशों में केजरीवाल सरकार असफ़ल रही थी। इस असफलता के बाद ही केजरीवाल और भाजपा की मिलीभगत से हड़ताल पर उपराज्यपाल के ज़रिए ‘हेस्मा’ थोप दिया गया था। मज़दूरों-महिलाकर्मियों के ख़िलाफ़ ये दोनों ही पार्टियाँ एक हैं। और अब भाजपा यह समझ चुकी है कि ‘हेस्मा’ जैसे दमनकारी कानून के थोपे जाने के पीछे उसके हाथ से वह इंकार कर अपना दामन नहीं बचा सकती। इसलिए भाजपा और दिल्ली के उपराज्यपाल इस सवाल का जवाब देने से कतरा रहे हैं। यही नहीं, टर्मिनेशन के मसले पर भी उपराज्यपाल की चुप्पी पर आँगनवाड़ीकर्मी जवाब लेने के लिए संकल्पबद्ध हैं। उन्होंने आगे कहा कि दिल्ली पुलिस की कायराना धमकियों से आँगनवाड़ीकर्मी पीछे नहीं हटेंगी। आज भले ही दिल्ली पुलिस ने ज़ोर-जबर्दस्ती कर हमारे सवाल करने के अधिकार का हनन किया है, लेकिन जल्द ही हम दोबारा उपराज्यपाल से हुई वार्ता पर अब तक हुई कार्रवाई का जवाब लेने पहुँचेंगी।

Comments are closed.