दिल्ली जल बोर्ड की यमुना नदी की सफाई को लेकर की महत्वपूर्ण समीक्षा बैठक, समय पर कार्य पूरा करने के दिए निर्देश।
केजरीवाल सरकार ने ओखला में 16 एमजीडी सीवर ट्रीटमेंटप्लांट में केमिकल के जरिए पानी को ट्रीट करने कारण ओखला एसटीपी में पानी की गुणवत्ता में 82 फीसदी सुधार हुआ है-विधायक सौरभ भारद्वाज
विधायक सौरभ भारद्वाज ने अधिकारियों को दिल्ली को ‘झीलों का शहर’ बनाने के लिए जल निकायों के कायाकल्प के काम में तेजी लाने का निर्देश दिया
दिल्ली जल बोर्ड की यमुना नदी की सफाई को लेकर की महत्वपूर्ण समीक्षा बैठक, समय पर कार्य पूरा करने के दिए निर्देश।
दिल्ली जल बोर्ड के उपाध्यक्ष श्री सौरभ भारद्वाज की अध्यक्षता में यमुना नदी की सफाई, चौबीस घंटे जलापूर्ति, झीलों का कायाकल्प, विभिन्न तंत्रों से जल उत्पादन में वृद्धि, नलकूपों की स्थापना, सीवर कनेक्शन को लेकर समीक्षा बैठक आयोजित हुई। इस बैठक में दिल्ली में आरओ सिस्टम की स्थापना, जल प्रदूषण करने वाले उद्योगों पर कार्रवाई, जल उपचार क्षमता में वृद्धि, सामान्य अपशिष्ट उपचार संयंत्रों की स्थिति, एसटीपी का निर्माण कार्य पूरा करना, सीवर की सफाई और सीवर नेटवर्क का निर्माण और पुनः विकास पर चर्चा हुई।
केजरीवाल सरकार ने ओखला में 16 एमजीडी सीवर ट्रीटमेंटप्लांट में केमिकल के जरिए पानी को ट्रीट करने की पहल की है। इस अनोखी तकनीक की मदद से ओखला एसटीपी में सीवर के पानी का बेहतर तरीके से ट्रीटमेंट किया जा रहा है। यही वजह है कि ओखला एसटीपी में पानी की गुणवत्ता में 82 फीसदी सुधार हुआ है। अपशिष्ट जल के उपचार की वर्तमान क्षमता 632 एमजीडी है, जिसका उपचार 35 सीवेज उपचार संयंत्रों में किया जा रहा है।
यमुना नदी में प्रदूषण पर नियंत्रण पाने के लिए दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) की ओर से राष्ट्रीय राजधानी में अनधिकृत कॉलोनियों में सीवर लाइन बिछाने का काम कर रही है, ताकि यहां से निकालने वाले पूरे सीवेज को एकत्रित कर सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट तक पहुंचाकर ट्रीट किया जा सके। दिल्ली की सभी 1799 अनधिकृत कॉलोनियों में डीजेबी द्वारा सीवर लाइन बिछाई जाएगी। इनमें से 725 कॉलोनियों में पहले ही सीवर लाइन बिछाने का कार्य पूर्ण हो चुका है। बाकी में विकास का कार्य विभिन्न चरणों में हो रहा है।
इसके अलावा 18 नालें जो यमुना में गिरते हैं, उसमें से 16 को एसटीपी के लिए डायवर्ट किया गया है। जहां पर गंदे पानी को शोधित किया जा रहा है। यहां से निकालने वाले पूरे सीवेज को एसटीपी तक पहुंचाने के लिए दिल्ली सरकार की ओर से जगह-जगह 116 सीवेज पपिंग स्टेशन (एसपीएस) बनाए गए है। एसपीएस में लगे मोटर पंप के माध्यम से सीवेज को एसटीपी तक भेजा जाता है, जहां इसे ट्रीट कर आगे नालों में डाला जाता है।
दिल्ली सरकार ने यमुना नदी को अगले तीन साल में पूरा साफ करने का लक्ष्य रखा है। इसके तहत दिल्ली के 100 फीसदी घरों को भी सीवर लाइन से जोड़ने का प्लान है। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने फरवरी 2025 तक यमुना को साफ करने की जिम्मेदारी जल बोर्ड को दी है, यमुना को साफ करना ही मुख्य मकसद है।
यमुना क्लीनिंग सेल नए एसटीपी, डीएसटीपी का निर्माण, मौजूदा एसटीपी का 10/10 तक उन्नयन और क्षमता वृद्धि,अनधिकृत कालोनियों में सीवरेज नेटवर्क बिछाना,सेप्टेज प्रबंधन; ट्रंक/परिधीय सीवर लाइनों की गाद निकालना, पहले से अधिसूचित क्षेत्रों में सीवर कनेक्शन उपलब्ध कराना, आइएसपी के तहत नालों की ट्रैपिंग, नालियों का इन-सीटू ट्रीटमेंट आदि कार्यों को कर रही हैं, ताकि दिल्ली के लोगों को कोई परेशानी न झेलनी पड़े। साथ ही जनता को बेहतर सुविधाएं मिल सके। छोटे- छोटे नालों से सप्लीमेंट्री ड्रेन में आने वाले प्रदूषित पानी को इन-सीटू ट्रीट करने के बाद साफ पानी को यमुना में गिरने दिया जाएगा। अपशिष्टों, अविभाजित तत्वों का नालों में इन सीटू प्रक्रिया द्वारा उपचार और यमुना की सफाई मुख्य उद्देश्य है।
यमुना में प्रदूषण बढ़ाने वाली चार प्रमुख ड्रेन हैं। यह चार ड्रेन नजफगढ़ ड्रेन, सप्लमेंट्री ड्रेन, बारापुला ड्रेन और शाहदरा ड्रेन हैं। इन चारों ड्रेन के अंदर दिल्ली सरकार सीवेज को इन सीटू ट्रीट कर रही है। अर्थात ड्रेन के अंदर ही चलते पानी को साफ किया जा रहा है। ड्रेन के अंदर सीवेज की सफाई को इन सीटू कहते हैं।
इस प्रक्रिया में दिल्ली सरकार ने इन नालों के रास्ते में छोटे बांधो का निर्माण किया है। दूसरा नालों के ऊपर नैचुरल फ्लोटिंग राफ्टर का निर्माण।क्ष किया है। छोटे बांधों के बन जाने से ज़हरीले प्रदूषक दीवार से टकराकर रुक जाते हैं और हल्का पानी इसके ऊपर से बह जाता है। इसके बाद नैचुरल फ्लोटिंग राफ्टर पानी में ऑक्सिजन की मात्र को बढ़ाने में मदद करते हैं, जिससे कि पानी की जैविक शक्ति वापस आ सके। यह प्रक्रिया इतनी कारगार साबित हुई है की सप्लीमेंट्री ड्रेन का 80 फीसदी प्रदूषक इस प्रक्रिया के दौरान ही साफ हो जा रहा है। यमुना सफाई की दिशा में दिन-रात कड़ी मेहनत करते हुए दिल्ली सरकार व दिल्ली जल बोर्ड दिन-ब-दिन दिल्ली के सीवेज नेटवर्क में सुधार कर रहे हैं। दिल्ली सरकार सीवेज के पानी को सीधे नालियों में गिरने से रोकने के लिए सभी कॉलोनियों को सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट से जोड़ने का लक्ष्य बना रही है, जिससे आने वाले वर्षों में यमुना को साफ करने में मदद मिलेगी।
जेजे कॉलोनियों से निकलने वाले स्ट्रोम वाटर को ड्रेन की मदद से डीजेबी के सीवरेज सिस्टम में ट्रेप किया जाएगा। जिससे अधिकांश बरसात के पानी का ड्रेनेज हो सके। अधिकांश को पहले ही इस व्यवस्था से जोड़ दिया गया है। शेष कार्य अक्टूबर 2022 तक पूरा कर लिया जाएगा। बरसात के पानी को नालियों द्वारा ट्रेप करके सीवर में भेजा जा रहा है, जिससे उन्हें डीजेबी के सीवर सिस्टम से जोड़ा जा सके और जल का उपचार किया जा सके।
सीवरेज सिस्टम के ऐसे कुल 59 बिंदुओं में से 52 पर काम पहले ही पूरा हो चुका है। इसके अलावा शेष 7 पर अगस्त, 2022 के अंत तक पूरा हो जाएगा। कोंडली एसटीपी में गाद प्रबंधन संयंत्र जिसका निर्माण कार्य पहले से ही 90 प्रतिशत पूरा हो चुका है और शेष कार्य सितंबर, 2022 तक पूरा हो जाएगा। कोंडली संयंत्र में गंध नियंत्रण इकाइयों का निर्माण कार्य भी 95 प्रतिशत पूरा हो चुका है। शेष कार्य भी जनवरी 2023 तक पूरा हो जाएगा।
झीलों और जलाशयों को मनोरंजक और सुरक्षित स्थल के तौर पर विकसित किया जा रहा है। दिल्ली में 299 जलाशय और 9 झीलों को विकसित किया जा रहा है। इनमें कई झीलों और जलाशयों को मनोरंजक और सुरक्षित स्थल के तौर पर विकसित किया जा रहा है। झीलों व जलाशयों के पुनर्जीवित होने से राजधानी की बायोडायवर्सिटी में भी सुधार होगा और साथ ही आसपास के भूजल स्तर में भी सुधार आएगा।
भूजल का उपयोग एक तय स्तर पर इस्तेमाल कर पानी की डिमांड और सप्लाई के अंतर को कम करने में किया जाएगा। ताकि ग्राउंड वाटर को रिचार्ज करने में भी मदद मिल सके। यमुना नदी तक पानी पहुंचाने के लिए एक कनेक्टिंग लाइन बिछाई जाएगी। इसके साथ ही ग्राउंडवाटर को रिचार्ज करने के लिए ओखला एसटीपी के पास छोटी-छोटी झीलें विकसित की जाएगी, ताकि पानी को एसटीपी से झीलों में छोड़ा जाएगा। अतिरिक्त शोधित पानी यमुना में छोड़ा जाएगा। इसके अलावा ओखला एसटीपी से एनटीसीपी इकोपार्क बदरपुर तक भी शोधित पानी पहुंचाया जाएगा। दिल्ली सरकार ने विभिन्न सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट में केमिकल के माध्यम से पानी का शोधन करने की पहल की है। इस अनोखी तकनीक की मदद से ओखला एसटीपी पर सीवर के पानी को बेहतर तरीके से ट्रीट किया जा रहा है। यही वजह है कि कई एसटीपी में पानी की गुणवत्ता में सुधार हुआ है। आधुनिक तकनीक का उपयोग करके सीवेज के पानी का उपचार कर, सरकार सीवर व्यवस्था से संबंधित कार्यों के लिए उपयोग की जाने वाली और भारी मशीनरी की खरीद में लगने वाली लागत को कम कर रही है।
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