दिल्ली नगर निगम चुनाव का बहिष्कार करेंगी 22,000 आँगनवाड़ीकर्मि ।
दिल्ली नगर निगम चुनाव में 22,000 आँगनवाड़ीकर्मियों द्वारा 'आप' व 'भाजपा' के बहिष्कार का ऐलान ― शिवानी कौल।
दिल्ली की आँगनवाड़ीकर्मियों के घरों में ‘आप’ व भाजपा प्रत्याशियों व कार्यकर्ताओं के प्रवेश पर पूर्ण प्रतिबन्ध! ― माँगें पूरी न होने पर दिल्ली की आँगनवाड़ीकर्मी फिर से जाएंगी हड़ताल पर – यूनियन।
दिल्ली नगर निगम चुनाव का बहिष्कार करेंगी 22,000 आँगनवाड़ीकर्मि ।
दिल्ली नगर निगम चुनाव में 22,000 आँगनवाड़ीकर्मियों द्वारा ‘आप’ व ‘भाजपा’ के बहिष्कार का ऐलान ― शिवानी कौल।
दिल्ली की आँगनवाड़ीकर्मियों के घरों में ‘आप’ व भाजपा प्रत्याशियों व कार्यकर्ताओं के प्रवेश पर पूर्ण प्रतिबन्ध! ― यूनियन।
माँगें पूरी न होने पर दिल्ली की आँगनवाड़ीकर्मी फिर से जाएंगी हड़ताल पर।
नयी दिल्ली – आज प्रेस क्लब, दिल्ली में दिल्ली स्टेट आँगनवाड़ी वर्कर्स एण्ड हेल्पर्स यूनियन (DSAWHU) के द्वारा एक प्रेस कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया गया। आगामी नगर निगम चुनाव के मद्देनज़र संघर्ष का बिगुल फूँकते हुए दिल्ली स्टेट आँगनवाड़ी वर्कर्स एण्ड हेल्पर्स यूनियन ने आँगनवाड़ीकर्मी विरोधी और व्यापक स्तर पर मज़दूर विरोधी ‘आप’ और ‘भाजपा’ के ख़िलाफ़ सघन बहिष्कार अभियान चलाने का ऐलान किया। ज्ञात हो कि इस वर्ष के प्रारम्भ में दिल्ली की हज़ारों आँगनवाड़ीकर्मियों ने 38 दिनों तक लम्बी हड़ताल करके एक बहादुराना व ऐतिहासिक संघर्ष को अंजाम दिया था। तमाम पैंतरों से इस हड़ताल को तोड़ने की नाक़ाम कोशिशों के बाद दिल्ली सरकार ने भाजपा से मिलीभगत करके उपराज्यपाल के ज़रिए दमनकारी हेस्मा कानून थोप दिया था। हेस्मा लागू होने के उपरान्त दिल्ली स्टेट आँगनवाड़ी वर्कर्स एण्ड हेल्पर्स यूनियन ने हड़ताल को स्थगित करने का फ़ैसला लिया था। यूनियन का कहना था कि चूँकि आँगनवाड़ीकर्मी सरकारी कर्मचारी के दर्जे में आती ही नहीं हैं, इसलिए हेस्मा जैसे कानून को लागू किये जाने का कोई औचित्य ही नहीं बनता है। एक ओर तो दिल्ली सरकार ने महत्वपूर्ण सेवाओं के बाधित होने का बहाना बना कर आँगनवाड़ीकर्मियों के जायज़ और बुनियादी हक़ों के इस संघर्ष को कुचलने का काम किया। दूसरी ओर इसी सरकार ने हड़ताल स्थगित होने के बाद 884 महिलाकर्मियों को ग़ैर-कानूनी तरीके से केवल संवैधानिक हक़ का इस्तेमाल करने के लिए बर्ख़ास्त कर दिया था। इस मसले पर दिल्ली स्टेट आँगनवाड़ी वर्कर्स एण्ड हेल्पर्स यूनियन ने दिल्ली उच्च न्यायालय में अपील दायर की थी। दिल्ली उच्च न्यायालय में यह मसला अभी भी न्यायाधीन है। उच्च न्यायलय ने फ़िलहाल बर्ख़ास्त 884 महिलाकर्मियों के स्थान पर किसी भी नयी भर्ती पर रोक लगायी हुई है।
यूनियन की अध्यक्षा शिवानी कौल ने मीडिया से मुख़ातिब होते हुए कहा कि 38 दिनों तक चले इस हड़ताल ने महज़ आम आदमी पार्टी की दिल्ली सरकार और भाजपा की केन्द्र सरकार को ही चुनौती नहीं दी, बल्कि समूची पूँजीवादी व्यवस्था को भी इसने बेनक़ाब किया। इस हड़ताल से दिल्ली व केन्द्र सरकार दोनों ही भयाक्रान्त थे। अपनी लाख कोशिशों के बावजूद केन्द्र की भाजपा सरकार और दिल्ली की केजरीवाल की आप सरकार इस हड़ताल को तोड़ने में नाक़ामयाब रहे। अन्तत:, उन्होंने अपने इस डर में ही आपसी सहमति बनाकर उपराज्यपाल के ज़रिये दिल्ली की आँगनवाड़ीकर्मियों की इस अद्वितीय और ऐतिहासिक हड़ताल पर एसेंशियल सर्विसेज़ मेण्टेनेंस एक्ट थोप दिया। यह दोनों ही पार्टियाँ आँगनवाड़ीकर्मियों की दिल्ली की जनता तक पहुँच को अब तक भले ही नज़रंदाज़ करती आ रही हों लेकिन नगर निगम चुनावों के मद्देनज़र इनके लिए अब ऐसा कर पाना हम असम्भव कर देंगी। दिल्ली की हर एक आँगनवाड़ीकर्मी अपने इलाकों में इन दोनों ही दोमुँही पार्टियों के प्रत्याशियों-कार्यकर्ताओं के प्रवेश पर पूर्ण प्रतिबन्ध लगाने का निश्चय कर चुकी हैं। आज वोट की राजनीति के लिए भले ही यह दोनों पार्टियाँ एक दूसरे पर कीचड़ उछालने का काम कर रहीं हैं, लेकिन जहाँ कहीं भी मज़दूरों-कामगारों के दमन की बात आती है, इन दोनों ही पार्टियों की यारी देखते बनती है। इस नगर निगम चुनाव में दिल्ली की 22,000 आँगनवाड़ीकर्मी ही नहीं, बल्कि उनके परिवार-दोस्त-सम्बन्धी भी इन दोनों ही पार्टियों के सक्रिय बहिष्कार का ऐलान करते हैं। हम भाजपा और आप का दिल्ली नगर निगम चुनावों में पूर्ण बहिष्कार और उनकी वोटबन्दी का आन्दोलन पूरी दिल्ली में चलाएँगी और पूरी दिल्ली की जनता को इन दोनों झूठी, बेईमान और भ्रष्टाचारी पार्टियों की असलियत से अवगत कराएँगी।
तमाम चुनावबाज़ पार्टियों ने आँगनवाड़ीकर्मियों को वोट बैंक और अपने प्रचार कार्यकर्ता के तौर पर हमेशा ही इस्तेमाल किया है। इस तथ्य से तो सभी पार्टियाँ परिचित हैं कि स्कीम वर्करों की पहुँच इस देश के हर गली-कूचे में है। अपनी इसी ताक़त का इस्तेमाल कर दिल्ली की आँगनवाड़ीकर्मी उन तमाम पार्टियों को निशाना बनाएंगी जिन्होंने अपने लोकतांत्रिक अधिकारों को लेकर संघर्षरत महिलाकर्मियों की माँगों की सुनवाई करने के बजाए उन्हें काम से ही बेदख़ल कर दिया। अब तक हमारे सभी माँगों का लिखित रूप से समर्थन करने वाली केवल एक ही पार्टी रही है जिसने हड़ताल के दौरान भी हमारा समर्थन किया था ― भारत की क्रान्तिकारी मज़दूर पार्टी।
आँगनवाड़ी में कार्यरत ज़ाहिदा ने कहा कि आम आदमी पार्टी की सरकार ने 884 महिलाकर्मियों को बेहतर सुविधा व न्यूनतम वेतन की माँग उठाने के लिए टर्मिनेट कर दिया था। आज वही आम आदमी पार्टी नगर निगम चुनाव में वोट की रोटियाँ सेंकने के लिए यह ऐलान कर रही है कि जिन निर्माण स्थलों पर प्रदूषण की वजह से काम स्थगित है वहाँ कार्यरत निर्माण मज़दूरों को 5000 ₹ सहायता राशि दी जायेगी। जिन आँगनवाड़ीकर्मियों ने कोरोना काल में अपनी जान की परवाह किये बिना बुनियादी सुविधाएं मुहैया कराई, उन्हें न्यूनतम वेतन देने के लिए भी सरकार का खज़ाना खाली हो जाता है। पिछले 10 सालों में दिल्ली सरकार के विज्ञापनों पर ख़र्चे में 44 गुने की बढ़ोत्तरी हुई है। यही नहीं दिल्ली सरकार अपने विधायकों के तनख़्वाह में बढ़ोत्तरी के वक़्त तो फण्ड के कमी का रोना नहीं रोती! भाजपा और आप के बीच की तू-तू मैं-मैं तब ग़ायब थी जब हमारी हड़ताल पर हेस्मा लगाया जाना था। हमारी 884 बहनों का रोज़गार छीन लिया गया लेकिन किसी भी पार्टी के मुँह से चूँ तक नहीं निकली। शुरआत में भाजपा ने घड़ियाली आँसू तो काफ़ी बहाए, लेकिन उतने ही जितने उसे अपने वोट बैंक के लिए ज़रूरी लगे। भाजपा चाहती तो उपराज्यपाल के ज़रिए न केवल इन 884 ग़ैर-कानूनी टर्मिनेशन पर रोक लगवा सकती थी, बल्कि हेस्मा भी हटवा सकती थी। लेकिन हड़ताल के बाद हमारी उपराज्यपाल से वार्ता की हर कोशिश पर ही पुलिस का पहरा लगा दिया जाता है। वहीं आज विभाग और दिल्ली सरकार टर्मिनेशन का मसला विचाराधीन होने का हवाला दे रहे हैं। अगर ये सच में बहाली करना चाहते हैं तो यह कोर्ट में एफ़िडेविट देने के लिए आज़ाद हैं। वे चाहें तो सभी ग़ैर-कानूनी टर्मिनेशन पर ग़लती मानते हुए बहाली का लिखित वायदा कर सकते हैं।
आँगनवाड़ी में ही हेल्पर के पद पर कार्यरत रहीं अनिता ने कहा कि हमने अपनी हड़ताल के दौरान ही तमाम पार्टियों की रंगत देख ली है। आप और भाजपा तो पहले से ही नंगी थी। दिल्ली सरकार की कोर्ट में काँग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी की पैरवी ने काँग्रेस के कच्चे चिट्ठे भी खोल दिये। काँग्रेस जैसी गर्त में पड़ी पार्टी का तो अब जनता के सामने पर्दाफ़ाश करने की भी ज़रूरत नहीं। लेकिन दिल्ली की हर आँगनवाड़ीकर्मी इस नगर निगम चुनाव में ‘आप’ और ‘भाजपा’ के लिए वोट माँगना भी दूभर कर देंगी। भाजपा और आप के नेताओं को अपने-अपने इलाकों में आँगनवाड़ीकर्मी चुनाव प्रचार के लिए नहीं घुसने देंगी। उन्हें हमारे बीच अपनी शकल दिखाने का भी कोई अधिकार नहीं है। उनका स्वागत जूतों-चप्पलों की मालाओं और कालिख से किया जायेगा। इसके अलावा हम दिल्ली के हर कोने में इन दोनों ही पार्टियों के पार्षद उम्मीदवारों का घेराव कर बहिष्कार अभियान चलाएंगी।
यूनियन अध्यक्षा शिवानी कौल ने कहा कि बहिष्कार करना हमारा ऐसा अधिकार है, जिसे कोई हमसे छीन नहीं सकता और न ही कोई सरकारी विभाग इसके लिए हम पर कोई कार्रवाई कर सकता है। यही नहीं, अगर हमारी पुनःबहाली की माँग को नज़रंदाज़ किया जाता है तो दिल्ली की आँगनवाड़ीकर्मी दोबारा से हड़ताल पर जाएँगी। और इस बार हम अकेली नहीं होंगी। दिल्ली सरकार के तहत आने वाले तमाम विभागों के कर्मचारी हमारे साथ होंगे। जल बोर्ड, डीटीसी, गेस्ट टीचर्स भी दिल्ली सरकार के मज़दूर-कर्मचारी विरोधी रवैय्ये से तंगहाल हैं। सरकार को मज़दूरों-कर्मचारियों की असली ताक़त दिखाने के लिए यदि फिर से हड़ताल का रास्ता अख़्तियार करना पड़े तो हम वो भी करने को तैयार हैं।