मौत उस की है करे जिस का ज़माना अफ़सोस यूँ तो दुनिया में सभी आए हैं मरने के लिए!
उन्होंने अपने एक सन्देश में कहा था कि उनके अनुसार देश के युवा बहुत प्रतिभाशाली हैं, लेकिन उन्हें अपनी योग्यता साबित करने के लिए अवसर चाहिए।
उन्होंने अपने एक सन्देश में कहा था कि उनके अनुसार देश के युवा बहुत प्रतिभाशाली हैं, लेकिन उन्हें अपनी योग्यता साबित करने के लिए अवसर चाहिए।
मौत उस की है करे जिस का ज़माना अफ़सोस यूँ तो दुनिया में सभी आए हैं मरने के लिए!
नुज़हत जहां
भारत के ‘मिसाइल मैन’ को आज पूरा देश याद कर रहा है। देश के कल्याण के लिए डॉ कलाम ने जो योगदान दिया, उसे कभी भुलाया नहीं जा सकता
आज दुनिया के महान वैज्ञानिकों में से एक डॉ एपीजे अब्दुल कलाम की पुण्यतिथि मनाई जा रही है। अब्दुल कलाम का पूरा नाम अवुल पाकिर जैनुलाब्दीन अब्दुल कलाम था। अब्दुल कलाम का जन्म 15 अक्टूबर 1931 को तमिलनाडु के रामेश्वरम् में एक मध्यमवर्ग मुस्लिम परिवार में हुआ। इनके पिता का नाम जैनुलाब्दीन और माता का नाम आशियम्मा था।अब्दुल कलाम कुल पांच भाई बहन थे जिसमें तीन बड़े भाई और एक बड़ी बहन थी। जब अब्दुल कलाम का जन्म हुआ तब इनका परिवार गरीबी से जूझ रहा था। इनके पिता जैनुलाब्दीन न तो ज्यादा पढ़े-लिखे थे, न ही पैसे वाले थे। इनके पिता मछुआरों को नाव किराये पर दिया करते थे। परिवार की मदद करने के लिए डॉ एपीजे अब्दुल कलाम ने छोटी सी उम्र में ही अखबार बेचने का काम शुरू कर दिया था। उस समय उनके परिवार की आर्थिक स्थिति ख़राब थी इसलिए कम उम्र से ही उन्होंने अपने परिवार का आर्थिक रूप से समर्थन करना शुरू कर दिया था। लेकिन उन्होंने कभी पढ़ाई नहीं छोड़ी। स्कूल के दिनों में वह पढ़ाई में सामान्य थे परन्तु नई चीजों को सीखने के लिए हमेशा तत्पर रहते थे। चीजों को सीखने के लिए वह हमेशा तैयार रहते थे और घंटों पढ़ाई किया करते थे। गणित विषय इनका मुख्य और रूचि वाला विषय था।कहा जाता है कि उनका मैथ्स के प्रति इतना लगाव था कि वे रोज सुबह चार बजे उठ कर मैथ्स पढ़ते थे।अपने परिवार का समर्थन करने के साथ-साथ उन्होंने अपनी पढ़ाई जारी रखी और स्नातक की पढ़ाई पूरी की।
उच्च शिक्षा पूरी करने के बाद, कलाम एक वैज्ञानिक के रूप में DRDO यानी रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन के वैमानिकी विकास प्रतिष्ठान से जुड़ गए और 1960 के दशक की शुरुआत में, प्रसिद्ध अंतरिक्ष वैज्ञानिक विक्रम साराभाई के अधीन भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष अनुसंधान समिति (INCOSPAR) के साथ काम किया। साल 1998 में किए गए ऐतिहासिक परमाणु परीक्षण कार्यक्रम “पोखरण 2” में एपीजे अब्दुल कलाम ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। पोखरण दो को भारत का दूसरा मौलिक परमाणु परीक्षण माना जाता है।
भारत सरकार ने इसरो और डीआरडीओ में सेवाओं के लिए कलाम को 1981 में पद्म भूषण और 1990 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया। 1997 में, कलाम को रक्षा प्रौद्योगिकी के आधुनिकीकरण और वैज्ञानिक अनुसंधान में योगदान के लिए भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया। कलाम को 40 विश्वविद्यालयों से डॉक्टरेट की मानद उपाधियाँ प्रदान कीं। इसके अलावा भी बहुत से पुरस्कार कलाम जी को मिले।
अब्दुल कलाम ने विज्ञान के क्षेत्र में अतुलनीय योगदान दिया। अग्नि और पृथ्वी मिसाइलों के निर्माण में मदद की, जिसकी वजह से अब्दुल कलाम मिसाइल मैन के नाम से जाने जाते है।
2002 का भारतीय राष्ट्रपति चुनाव 15 जुलाई 2002 को भारत के राष्ट्रपति का चुनाव करने के लिए आयोजित किया गया था। 18 जुलाई 2002 को परिणाम घोषित किये गये। एपीजे अब्दुल कलाम अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी लक्ष्मी सहगल को हराकर 11वें राष्ट्रपति बने।
उनकी अध्यक्षता अवधि के दौरान, सेना और देश ने कई इतिहास रचे, कलाम ने राष्ट्र के लिए बहुत योगदान दिया। उन्होंने खुले दिल से देश की सेवा की। अपने कार्यकाल के अंत में राष्ट्रपति कार्यालय छोड़ने के बाद डॉ एपीजे अब्दुल कलाम ने फिर से छात्रों को पढ़ाना शुरू किया। उन्होंने देश भर में स्थित भारत के कई प्रसिद्ध और प्रतिष्ठित संस्थानों के लिए काम किया। उन्होंने अपने एक सन्देश में कहा था कि उनके अनुसार देश के युवा बहुत प्रतिभाशाली हैं, लेकिन उन्हें अपनी योग्यता साबित करने के लिए अवसर चाहिए।
कलाम भारत के तीसरे ऐसे राष्ट्रपति थे जो राष्ट्रपति बनने से पहले भारत रत्न, भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान से सम्मानित किए जा चुके थे। राष्ट्रपति बनने से पहले सर्वपल्ली राधाकृष्णन (1954) और जाकिर हुसैन (1963) को भारत रत्न मिल चुका था। कलाम राष्ट्रपति बनने वाले पहले वैज्ञानिक और अविवाहित व्यक्ति भी थे।
27 जुलाई 2015 को कलाम “क्रिएटिंग ए लिवएबल प्लैनेट अर्थ” विषय पर व्याख्यान देने के लिए आईआईएम शिलांग गए थे। शाम करीब 6:35 बजे व्याख्यान के दौरान ही कार्डियक अरेस्ट के कारण उनका निधन हो गया।
भारत के पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम की जब 2015 में मृत्यु हुई, तब उनके पास केवल 2,500 किताबें , एक कलाई घड़ी, छह शर्ट, चार पतलून, तीन सूट और एक जोड़ी जूते थे। भारत रत्न पुरस्कार विजेता अपनी लिखी किताबों से प्राप्त रॉयल्टी पर जीवित रहे।
उनके पूर्व मीडिया सलाहकार एसएम खान कहते हैं, वह कभी कोई उपहार स्वीकार नहीं करते थे, किसी किताब को बचाकर नहीं रखते थे और जब भी कोई उनके लिए पैक किया हुआ उपहार लाता था और उसे किताब के रूप में देने की कोशिश करता था, तो वह अंदर क्या था इसकी जांच करने पर जोर देते थे। किताब के अलावा जो कुछ भी था, उसे विनम्रता से वापस कर दिया जाता था!
पूर्व राष्ट्रपति देश और विदेश दोनों जगह व्याख्यान सर्किट में बेहद लोकप्रिय थे। लेकिन, जैसा कि उनकी आदत थी, उन्होंने इसके लिए एक पैसा भी नहीं लिया।
वह एक उत्कृष्ट वैज्ञानिक और एक अग्रणी इंजीनियर थे, जिन्होंने देश के लिए अपना पूरा जीवन दिया और देश की सेवा करते हुए उनकी मृत्यु हो गई। वह हमेशा युवाओं को प्रेरित करते रहे, आज के युवाओं के लिए उनके आदर्श पर चलना बड़े सौभाग्य की बात होगी।
वे भारतीय लोगों के दिलों में “जनता के राष्ट्रपति” और “भारत के मिसाइल मैन” के रुप में हमेशा जिवित रहेंगे। जिसने एक टीचर, वैज्ञानिक और राष्ट्रपति के रूप में अपनी पूरी जिंदगी मेहनत और लोगों की सेवा में लगा दी थी!
हमेशा उनके आन्तरिक अभिप्रेरण से हम सब को प्रेरणा मिलता रहा है और मिलता रहेगा।