राहुल की यात्रा सत्तारूढ़ भाजपा की बढ़ती असमंजसता के साथ बौखलाहट

जिन राहुल गांधी के ऊपर महंगी टी-शर्ट पहनने का आरोप लगा, उनकी कुछ कहानियां सुनेंगे आप? कहानियां एक्सक्लूसिव हैं। जरा ध्यान दीजिएगा-

जिन राहुल गांधी के ऊपर महंगी टी-शर्ट पहनने का आरोप लगा, उनकी कुछ कहानियां सुनेंगे आप? कहानियां एक्सक्लूसिव हैं। जरा ध्यान दीजिएगा-

राहुल की यात्रा सत्तारूढ़ भाजपा की बढ़ती असमंजसता के साथ बौखलाहट

जिन राहुल गांधी के ऊपर महंगी टी-शर्ट पहनने का आरोप लगा, उनकी कुछ कहानियां सुनेंगे आप? कहानियां एक्सक्लूसिव हैं। जरा ध्यान दीजिएगा-

 

यूसुफ अली

जब जूतों के तलबगार राहुल के जूते और टीशर्ट पर बहस कर रहे थे, तब उनके एक सहयोगी ने मुझे बताया कि “राहुल जी की एक नीली टीशर्ट है। पहले खूब चटख रंग में थी। वे कई साल से उसे पहने दिखते हैं और उसका रंग उतर गया है, मगर वे अब भी उसे छोड़ नहीं रहे हैं। अगर मीडिया को उनके कपड़ों में इतनी दिलचस्पी है तो उसे यह क्यों नहीं दिखता?” क्योंकि उसे देखना नहीं है।

एक बार उनके एक सहयोगी से मैंने पूछा- राहुल गांधी जी तो बड़े शान-ओ-शौकत से रहते होंगे?

वे बोले- “यह झूठ फैलाने में बहुत ताकत और संसाधन लगाया गया है कि गांधी परिवार बहुत अमीर है और बहुत अय्याशी से रहता है। मैं जानता हूं कि उनके पास कितने कपड़े हैं। कुछ-एक टीशर्ट, शर्ट और कुर्ते उनके पास मैं कई साल से देख रहा हूं जिन्हें वे बार-बार पहनते हैं। सबसे अहम बात है कि वे अपने साथ कोई नौकर/हेल्प नहीं करते। अपना सारा काम खुद करते हैं।” आयं!

हैरानी की बात नहीं है। जो नेहरू जेल में अपने साथ अपने पिता के भी कपड़े फटीचते थे, उनने बारे में वॉट्सएप विश्वविद्यालय फैलाता है कि जेल में उन्हें फाइव स्टार सुविधाएं मिलती थीं। उनके कपड़े पेरिस धुलने जाते थे… वगैरह। भारत की धरती पर जितनी गप्प मैंने नेहरू जी के बारे में सुनी, उतनी किसी के बारे में नहीं। सारे इलाहाबादी बकैतों के पास नेहरू की 50-50 कहानियां हैं और सब फर्जी…

कुछ साल पहले कुछ युवकों का समूह राहुल गांधी से मिलने गया। राजनीतिक चर्चा के दौरान सत्ता परिवर्तन की जरूरत पर बात होने लगी। राहुल गांधी की बातों ने उन सबको चौंका दिया। उन्होंने कहा, सत्ता मैंने बचपन से देखी है, बहुत करीब से… मुझे सत्ता नहीं चाहिए। मुझे सिर्फ वह भारत बचाना है जिसे हमारे आपके पुरखों ने मिलकर बनाया था और जिसके लिए असंख्य कुर्बानियां दी गईं। मैं जानता हूं कि कुर्बानी का मतलब क्या होता है। यह लोकतंत्र सुरक्षित रहे तो प्रधानमंत्री बनने के लिए 140 करोड़ लोग हैं।

गांधी परिवार से तीस साल से सत्ता में नहीं है। अध्यक्ष पद छोड़कर न कोई मंत्री बना, न प्रधानमंत्री बना। सोनिया गांधी ने दो बार प्रधानमंत्री पद ठुकराया। राहुल गांधी चाहते तो प्रधानमंत्री बन सकते थे। उन्होंने कोई पद नहीं लिया। आज प्रदेश कांग्रेस कमेटियों के प्रस्ताव को ठुकराकर उन्होंने अध्यक्ष पद भी छोड़ दिया है तो कई बरस पहले की उनकी वह बात मानीखेज हो गई। 15 दिनों से एक ही जूता पहने यात्रा कर रहे नेता पर अमीरी झाड़ने का आरोप है।

आरोप कौन लगा रहा है? उस छैल-छबीले के समर्थक जो एक ही कार्यक्रम में पांच बार छंद बना-बनाकर फोटो खिंचाता है। जहां 35 साल तक भीख मांगने वाला स्वनामधन्य भिखारी दसलखा सूट पहनता हो, वहां पर नेहरू के नवासे, इंदिरा के पोते और राजीव के बेटे पर अमीरी का आरोप लगे, यह बात अपने आप में कितनी मूर्खतापूर्ण और हास्यास्पद है! लेकिन उस पक्ष का बचाव तब होता जब वैसा कुछ मौजूद होता।

पार्टी के अंदर के लोग और कार्यकर्ताओं से बात कीजिए तो कोई कह देता है- वे तो संत आदमी हैं। मोह माया से परे हो गए हैं। लगता है कि उनका लक्ष्य चुनावी राजनीति है ही नहीं।

इस सादगी पर कौन न मर जाए ऐ खुदा!

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