मस्जिद में भागवत?🤔
सम्भवतः वह सांप्रदायिकता और मुस्लिमों के प्रति घृणा के संघ पर चस्पा कारगुज़ारियों को धोने के लिए पहुंचे हों।
सम्भवतः वह सांप्रदायिकता और मुस्लिमों के प्रति घृणा के संघ पर चस्पा कारगुज़ारियों को धोने के लिए पहुंचे हों।
मस्जिद में भागवत?🤔
फिरोज़ खान
- निश्चित रूप से यह राहुल गांधी के संघ पर किए प्रहार और “भारत जोड़ो यात्रा” को मिल रही सफलता का असर ही है कि संघ प्रमुख मोहन भागवत कुछ दिनों से मुस्लिम बुद्धिजीवियों से मिल रहे हैं और मस्जिद मस्जिद जा रहे हैं।
कुछ दिन पहले ही संघ प्रमुख मोहन भागवत देश के 5 मुस्लिम प्रतिनिधिमंडल से मिलने के लिए 30 मिनट का समय दिया और 70 मिनट तक बातचीत करते रहे।
मोहन भागवत से मुलाक़ात करने वाले इस प्रतिनिधिमंडल में देश के पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एसवाई क़ुरैशी, दिल्ली के पूर्व उपराज्यपाल नजीब जंग, अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के पूर्व कुलपति ज़मीरुद्दी शाह, नेशनल लोक दल के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शाहिद सिद्दिक़ी और कारोबारी सईद शेरवानी शमिल थे।
आज मोहन भागवत ने दिल्ली में KGM मस्जिद पहुंच कर चीफ इमाम इलियासी से मुलाकात की।
इन मुलाकातों का क्या मकसद है यह तो सच आना अभी बाकी है , क्योंकि संघ और मोहन भागवत बिना किसी मकसद के कुछ नहीं करते।
बहुत संभव है कि वह सांप्रदायिकता और मुस्लिमों के प्रति घृणा के संघ पर चस्पा कारगुज़ारियों को धोने के लिए पहुंचे हों।
5 मुस्लिम बुद्धिजीवियों की मोहन भागवत के साथ बातचीत के जो विवरण आए हैं वह बताते हैं कि संघ और उसके मुखिया कूडमंडूप से अधिक कुछ नहीं।
मोहन भागवत ने 3 बिन्दुओं पर मुसलमानों से स्पष्टीकरण और सहयोग मांगा।
1- गोहत्या 2- काफिर 3- जेहाद
हैरानी की बात यह है कि दुनिया के सबसे बड़े संगठन होने का दावा करने वाले संघ को इसकी सच्चाई ही पता नहीं कि , मुसलमानों ने गोहत्या से कब की दूरी बना रखी है , देश के तमाम राज्यों में गोहत्या को लेकर सख्त कानून बनाए गए हैं और कहीं कोई भी मामला बड़े स्तर पर सामने नहीं आ रहा है , यद्यपि गोवा और नार्थ-ईस्ट में भाजपा की सरकारें ही गोमांस को वहां खिला रही हैं।
यही नहीं , भारत की टाप 10 बीफ निर्यातकों में लगभग सभी जैन समुदाय और अन्य धर्मों से हैं।
संघ प्रमुख को मुस्लिम मंच के मौलानाओं ने यदि जेहाद और काफिर का अर्थ नहीं बताया समझाया तो ऐसे मुस्लिम मंच को बंद कर देना चाहिए।
पश्चिमी प्रोपगेंडू में फंस कर जेहाद का अर्थ किसी अन्य धर्म वालों के खिलाफ युद्ध समझना मुर्खता से अधिक कुछ नहीं।
जेहाद का अर्थ होता है “खुद के अंदर की बुराई से जद्दोजहद करके उसे दूर करना”।
ऐसे ही संघ के ही दुष्प्रचार के ही कारण “काफिर” शब्द को हिन्दुओं को दी जाने वाली गाली के रूप में स्थापित कर लिया गया जबकि इस शब्द की उत्पत्ति “कुफ्र” शब्द से हुआ है , और इसका अर्थ होता है ईश्वरीय शक्ति को नकारना , काफिर का अर्थ हुआ “ईश्वरीय शक्ति को नकारने वाला”।
इसमें वह हिन्दू कैसे हुआ जो कहता है कि
ॐ। एकम् एव अद्वितीयं ब्रह्म। तत् सत्-असत्-रूपं सत्-असत्-अतीतं। तद् बिहाय अन्यत् किञ्चित् न अस्ति। त्रिकाल-घृतं त्रिकाल-अतीतं वा सर्वं तु खलु एकं ब्रह्म। जगत्यां यत् किञ्च अणु वा महत् वा उदारं वा अनुदारं वा तत् ब्रह्म एव ब्रह्म एव। जगत् अपि ब्रह्म तत् सत्यं न मिथ्या॥ :- उपनिषद {छान्दोग्य 6 / 2 / 1}
अर्थात ,
“ॐ। ब्रह्म ही एक मात्र सत्ता है। उसके अतिरिक्त कोई अन्य दूसरी सत्ता नहीं है। सत् तथा असत् इसी के रूप हैं। यह सत् और असत् दोनों से परे भी है। इसके अतिरिक्त अन्य कुछ नहीं है। तीनों काल में जो कुछ है और तीनों काल से परे जो कुछ है वह वास्तव में एकमात्र वही ब्रह्म है। ब्रह्माण्ड में जो कुछ है लघु या विशाल, उदात्त अथवा हेय वह केवल ब्रह्म है, केवल ब्रह्म । विश्व भी ब्रह्म है । यह सत्य है, मिथ्या नहीं।”
यह ईश्वर को स्वीकारने वाला ही सूत्र है।
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