केंद्र सरकार का बजट महंगाई, बेरोजगारी बढाने देश को क़र्ज़ में डुबाने तथा कुछ पूंजीपतियों को बढाने वाला बजट – सिसोदिया

45 लाख करोड़ के बजट में 15 लाख करोड़ का कर्जा, इससे देश पर पड़ेगी महंगाई की मार, बजट से केवल चंद अरबपतियों को होगा फायदा-मनीष सिसोदिया

45 लाख करोड़ के बजट में 15 लाख करोड़ का कर्जा, इससे देश पर पड़ेगी महंगाई की मार, बजट से केवल चंद अरबपतियों को होगा फायदा-मनीष सिसोदिया

केंद्र सरकार का बजट महंगाई, बेरोजगारी बढाने देश को क़र्ज़ में डुबाने तथा कुछ पूंजीपतियों को बढाने वाला बजट – सिसोदिया उपमुख्यमंत्री

*45 लाख करोड़ के बजट में 15 लाख करोड़ का कर्जा, इससे देश पर पड़ेगी महंगाई की मार-मनीष सिसोदिया
*बजट में महंगाई,न बेरोजगारी से लड़ने के लिए कोई योजना नहीं, न खपत बढाकर छोटे व्यापारियों को आगे बढाने की योजना, ये कुछ अरबपतियों फायदा पहुँचाने और देश को 15 लाख करोड़ रूपये के और कर्जे में झोंकने का बजट है*

 

न्यूज़ डेक्स

 नई दिल्ली – उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने केन्द्रीय बजट 2023-24 पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि केंद्र सरकार ने आज देश के लिए निराशा भरा ही नहीं बल्कि खतरनाक बजट दिया है। उन्होंने कहा कि 45 लाख करोड़ के बजट में 15 लाख करोड़ का कर्जा है इससे देश पर महंगाई की मार पड़ेगी। बजट में महंगाई,न बेरोजगारी से लड़ने के लिए कोई योजना नहीं, न खपत बढाकर छोटे व्यापारियों को आगे बढाने की योजना, ये कुछ अरबपतियों फायदा पहुँचाने और देश को 15 लाख करोड़ रूपये के और कर्जे में झोंकने का बजट है। देश में बेरोजगारी दर 8.3% लेकिन फिर भी बजट में बेरोजगारी दूर करने के लिए कोई विज़न नहीं है। उन्होंने कहा कि देश में खपत बढाने से बेरोजगारी दूर होगी न की 4 कैपिटल प्रोजेक्ट बनाने और अरबपतियों को फायदा पहुँचाने से। उन्होंने कहा कि इस बजट से देश के करोडो आम लोगों को फायदा पहुँचाने के बजाय केवल चंद अरबपतियों को फायदा होगा। केन्द्रीय बजट में दिल्ली की उपेक्षा पर उन्होंने कहा कि केंद्र ने बजट में दिल्ली के लोगों को दोबारा निराश किया है। केन्द्रीय करों में दिल्ली की हिस्सेदारी 1.75 लाख करोड़ है पर दिल्ली को इसमें केवल 325 करोड़ रूपये मिले है। इसपर ट्वीट करते हुए सीएम अरविन्द केजरीवाल ने भी कहा कि बजट में महंगाई को कम करने के लिए कुछ नहीं है बल्कि इससे महंगाई और बढ़ेगी,इसमें बेरोजगारी को दूर करने की कोई ठोस योजना नहीं है। शिक्षा का बजट 2.64% से घटाकर 2.5% करना दुर्भाग्यपूर्ण है और स्वास्थ्य बजट का 2.2% से घटाकर 1.98% करना हानिकारक है। बजट में एक बार फिर दिल्ली वालो से सौतेला व्यवहार किया गया, दिल्ली वालों ने पिछले साल 1.75 लाख करोड़ रूपये का इनकम टैक्स दिया, उसमें से मात्र 325 करोड़ रूपये दिल्ली के विकास के लिए दिया गया, ये दिल्लीवालों के साथ घोर अन्याय है।
 सिसोदिया ने कहा कि ये मोदी जी के दूसरे कार्यकाल का आखिरी बजट है। इन दोनों कार्यकाल में इन्होने अच्छे दिन को जुमला करार दिया| नौकरी देने के वादे को जुमला करार दिया और अब दोबारा एक ऐसा बजट लेकर आये है जिसमें केवल जुमला और जुमला है। 2014 के बजट के बाद भी इस सरकार से बुलेट ट्रेन लाने से लेकर किसानों की आय को दोगुना करने सहित पिछले साल के बजट में 60 लाख नौकरी देने का जुमला सुन चुके है और इस साल के बजट में इनकी बात भी नहीं की गई है।
उन्होंने कहा कि आज के बजट में सबसे अहम् और चिंताजनक बात ये है कि ये देश को कर्जे में डुबाने वाला बजट है जो देश की माली हालत को और ख़राब करेगा। 2014 तक केंद्र सरकार के उपर 53 लाख करोड़ रूपये का कर्जा था जो मोदीजी के अच्छे दिन के जुमले से आज बढ़कर 152 लाख करोड़ का हो गया और अब इस बजट के माध्यम से इसमें 15 लाख करोड़ का कर्जा और जुड़ रहा है। यानि की देश के उपर इस बजट के बाद से 167 लाख करोड़ का कर्जा हो जायेगा। 
श्री सिसोदिया ने कहा कि इस साल केंद्र सरकार का बजट 45 लाख करोड़ का है जिसमें 15 लाख करोड़ का कर्जा है। यानि भारतीय जनता पार्टी देश को कर्जे में डूबने वाला बजट लेकर आई है। जब जब सरकारें कर्जा लेती है तो महंगाई बढती है, बेरोजगारी बढती है न कि देश की समस्याओं का समाधान होता है। ये बजट देश को 15 लाख करोड़ के कर्जे में और डुबायेगा जो देश के लिए खतरनाक है।
मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने भी ट्वीट करते हुए कहा कि,इस बजट में महंगाई को कम करने के लिए कुछ नहीं है बल्कि इससे महंगाई और बढ़ेगी। इसमें बेरोजगारी को दूर करने की कोई ठोस योजना नहीं है। शिक्षा का बजट 2.64% से घटाकर 2.5% करना दुर्भाग्यपूर्ण है और स्वास्थ्य बजट का 2.2% से घटाकर 1.98% करना हानिकारक है। बजट में एक बार फिर दिल्ली वालो से सौतेला व्यवहार किया गया है। दिल्ली वालों ने पिछले साल 1.75 लाख करोड़ रूपये का इनकम टैक्स दिया। उस में से मात्र 325 करोड़ रूपये दिल्ली के विकास के लिए दिया गया। ये दिल्लीवालों के साथ घोर अन्याय है। 
श्री सिसोदिया ने कहा कि ये बजट दिल्ली के लोगों के लिए बेहद निराशाजनक है। केंद्र सरकार ने 22 सालों की परंपरा को जारी रखते हुए दिल्ली को केन्द्रीय करों में हिस्सेदारी में केवल 325 करोड़ रूपये दिए है। जबकि दिल्ली की जनता का केन्द्रीय करों में 1.78 हजार करोड़ रूपये देती है| केन्द्रीय करों में बाकि राज्यों को 42% कि हिस्सेदारी मिलती है लेकिन दिल्ली को केवल 325 करोड़ रूपये मिलते है। इस साल भी दिल्ली को सिर्फ 325 करोड़ रूपये मिले है। साथ ही इस साल भी एमसीडी को केंद्र सरकार की ओर से कोई पैसे नहीं मिले है| जब एमसीडी में भाजपा की सरकार थी जब भी एमसीडी को कोई पैसे नहीं दिए जाते थे और भी नहीं दिए गए है। जबकि देश के सभी नगर निगमों को केंद्र सरकार पैसा देती है।
श्री सिसोदिया ने कहा कि इस बजट में दिल्ली को केवल 325 करोड़ रूपये मिले है जबकि महाराष्ट्र को 64,524 करोड़, मध्य-प्रदेश को 80,183 करोड़ और कर्णाटक को 37,252 करोड़। यानि बजट में दिल्ली को प्रतिव्यक्ति केवल 611 रूपये मिले है, जो पूरे भारत में सबसे कम है। जबकि महाराष्ट्र को 4963 रूपये प्रतिव्यक्ति, कर्णाटक को 5247 रूपये प्रतिव्यक्ति, मध्यप्रदेश को 9216 रूपये प्रति व्यक्ति मिल रहा है, ये दिल्ली के साथ अन्याय है। ये अन्याय इस बार भी जारी है और दिल्ली के लोगों को बजट से केवल निराशा मिली है।
उपमुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार और केन्द्रीय वित्तमंत्री बार-बार ये बोल रही है कि ये बजट इंक्लूसिव बजट है। लेकिन शिक्षा-स्वास्थ्य की बात न करने वाला ये बजट इंक्लूसिव कैसे हो सकता है। शिक्षा और स्वास्थ्य के उपर खर्च किए बिना कोई भी सरकार अगर इंक्लूसिव ग्रोथ की बात करती है तो ये मजाक लगता है। स्वास्थ्य के क्षेत्र में इन्होने कोई नया अस्पताल बनाने की बात नहीं कही। देश में प्रतिव्यक्ति डॉक्टर की संख्या दुनिया के कई गरीब देशो से भी कम है। ऐसे में भी स्वास्थ्य क्षेत्र का बजट 2.2% से घटाकर 1.98% कर दिया। 
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार के सभी नेता नई शिक्षा नीति की बात करते है। इस नीति में लिखा है कि जीडीपी का 6% शिक्षा पर खर्च किया जाए। नई शिक्षा नीति को आए 3 साल हो चुके है लेकिन केंद्र इसपर जीडीपी का 6% तो दूर पिछले साल के बजट कि तुलना में 2.64% को घटाकर 2.5% कर दिया।  ये इंक्लूसिव ग्रोथ की बात करते है लेकिन युवाओं को रोजगार देना इनके इंक्लूसिव ग्रोथ में शामिल नहीं है। आज देश में बेरोजगारी की दर 8.3% है और शहरों में ये 10% है। केंद्र सरकार ने पिछले बजट में वादा किया था कि इस साल 60 लाख रोजगार लेकर आयेंगे लेकिन कहा गए ये 60 लाख रोजगार? बजट में इसकी कोई बात नहीं, रोजगार के लिए कोई नई स्कीम नहीं।
श्री सिसोदिया ने कहा कि केंद्र ने बोला ये इंफ्रास्ट्रक्चर का बजट है। लेकिन जिस वक्त देश का हर दसवां युवा बेरोजगार है, जिनके पास रोजगार है उनकी आय भी बहुत कम है। ये देख कर समझना पड़ेगा की दुनिया ने इन चुनौतियों का सामना कैसे किया।  इस बजट में बेरोजगारी से लड़ने का कोई विज़न नहीं है| दुनियाभर की अर्थव्यवस्था में बेरोजगारी से लड़ने के लिए खपत को बढ़ाया गया क्योंकि खपत बढ़ने से उत्पादन बढ़ता है और इससे रोजगार का सृजन होता है। लेकिन इस बजट में खपत बढाने पर भी कोई काम नहीं किया गया| भारत में एक बड़ा खपत बाजार है और सारी दुनिया इसे मार्केट के रूप में देख रही है लेकिन सरकार इसपर कुछ काम नहीं कर रही है| बेरोजगारी दूर करने के लिए विज़न चाहिए 4 कैपिटल प्रोजेक्ट से बेरोजगारी दूर नहीं होगी। 
श्री सिसोदिया ने कहा कि सरकार इनकम टैक्स में छूट का बड़ा दावा कर रही है। लेकिन हकीकत ये है कि इनकम टैक्स में 50,000 के इस छूट से केवल 0.4% लोगों को ही फायदा मिल रहा है। देश में 4% लोग इनकम टैक्स देते है और इसमें भी केवल 10% लोग ही इस छूट का इस्तेमाल करेंगे और केंद्र इसे गेम चेंजर बता रही है। ये कैसा इंक्लूसिव बजट जिसमें नौजवानों की बात नहीं है, जिसमें महिलाओं की बात नहीं है, किसानों की बात नहीं है, छोटे व्यापारियों की बात नहीं है। केवल बड़े अमीरों(सुपररिच) लोगों की बात की गई है| चंद अमीर लोगों जिनकी आय 5 करोड़ से ज्यादा है उनका सरचार्ज 37% से घटाकर 25% कर दिया गया है| अमीरों को छूट मिली लेकिन आम आदमी को कुछ नहीं मिला।
उन्होंने कहा कि देश के 21 अरबपतियों के पास जितनी संपत्ति उतनी संपत्ति 70 करोड़ भारतीयों के पास लेकिन उन 70 करोड़ लोगों के लिए बजट में कुछ नहीं है| और अरबपतियों का सरचार्ज 37% से घटाकर 25% कर दिया गया है।
*बजट में महंगाई,न बेरोजगारी से लड़ने के लिए कोई योजना नहीं, न खपत बढाकर छोटे व्यापारियों को आगे बढाने की योजना, ये कुछ अरबपतियों फायदा पहुँचाने और देश को 15 लाख करोड़ रूपये के और कर्जे में झोंकने का बजट है*
उपमुख्यमंत्री ने कहा कि लोग इंतजार कर रहे थे कि महंगाई के ज़माने में पेट्रोल व डीजल पर कुछ राहत मिलेगी। टैक्स कम होंगे, जीएसटी में जरुरी सामानों पर छूट मिलेगी तो महंगाई कम होगी। इस तरफ बजट में कोई काम नहीं किया गया है| कुल मिलाकर बजट में महंगाई से लड़ने के लिए कोई योजना है, न बेरोजगारी से लड़ने के लिए कोई योजना है, न खपत बढाकर छोटे व्यापारियों को आगे बढाने की योजना है। कुल मिलाकर ये कुछ अरबपतियों फायदा पहुँचाने और देश को 15 लाख करोड़ रूपये के और कर्जे में झोंकने का बजट है। इस कर्जे को कैसे चुकाया जायेगा कहा से चुकाया जायेगा इसका कोई रोडमैप नहीं है।

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