“डेढ़ लाख का दूल्हा”- एक गृह्मनोरंजन हास्य फ़िल्म
इस फ़िल्म के माध्यम से समाज में सुख-शांति और प्रसन्नता लाने का एक प्रयास - सभी वर्गों के लिये सीख-प्रेरणा
इस फ़िल्म के माध्यम से समाज में सुख-शांति और प्रसन्नता लाने का एक प्रयास – सभी वर्गों के लिये सीख-प्रेरणा
“डेढ़ लाख का दूल्हा”- एक गृह्मनोरंजन हास्य फ़िल्म
इस फ़िल्म के माध्यम से समाज में सुख-शांति और प्रसन्नता लाने का एक छोटा सा प्रयास – यह सभी वर्गों के लिये सीख-प्रेरणा स्त्रोत है।
एस. ज़ेड. मलिक
नई दिल्ली – यह मूवी वॉलीवुड फ़िल्म इंडस्ट्रीज़ में शायद पहली बार लांच होने जा रही होगी, हो सकता इससे पहले इससे भी बढ़िया और बेहतरीन फिल्में वॉलीवुड ने दिए होंगे, लेकिन इस सत्य से भी इंकार नहीं किया जा सकता की, 90 के दशक के बाद आज की जितनी भी फिल्में बन रही हैं, वह साहित्य और सत्यता से काफी दूर हैं। वर्तमान में जितनी भी फिल्म बन रही हैं मैं समझता हूं केवल और केवल झूट मक्कारी, और कल्पनाओं पर ही आधारित हैं। इस कल्पनाओं के दौर में यह एक नई कहानी अपने आपमें जो समाज मे बुराइयों की बडाइयाँ हो रही हैं – ऐसे ही वर्तमान परिस्थितियों को इसमे दर्शाया गया है।
बहरहाल – एपीएस पिक्चर द्वारा प्रस्तूति के. के. फिल्म्स क्रिएशन की फिल्म ‘डेढ़ लाख का दूल्हा’ को चिड़ियाघर एवं लापतागंज जैसे 22 से अधिक टीवी सीरियल कर चुके अभिनेता व सह निर्देशक अभय प्रताप सिंह ने निर्देशित किया है। प्रेस कॉन्फ्रेंस में निर्देशक अभय प्रताप सिंह ने इसे एक शानदार ड्रामा कॉमेडी फ़िल्म बताया। उन्होंने कहा कि फिल्म ‘डेढ़ लाख का दूल्हा’ एक ऐसे शख़्स की कहानी है, जो मायानगरी मुंबई में फिल्म इंडस्ट्री में काम करने आता है। लेकिन उसके गाँव में लोगों को लगता है कि वह डेढ़ लाख रुपए महीने का वेतन पाता है। इस कन्फ्यूजन की वजह से गाँव के तमाम लोग उसे अपना दामाद बनाना चाहते हैं। और फिर हो जाता है हंगामा। जिसे देखने के लिए 30 दिसंबर को सिनेमाघरों में जाना होगा। उन्होंने कहा कि फिल्म का ट्रेलर और गाना रिलीज किया जा चुका है। इसे लोग खूब पसंद कर रहे हैं।
बहरहाल “आज समाज मे हर अभिभावक अपने बच्चों की कमियों को छुपा कर उसकी बड़ाई करता है, चाहे बच्चा बेरोजगार क्यूँ न हो। दूसरे के धन पर अभिभावक की नज़र रहती है, अभिभावक चाहते हैं कि अपने बेटे को किसी धनी घर मे किसी भी तरह से उसकी की शादी करा कर अपना जान छुड़ाया जाए और ससुराल वाले बच्चे को इस लायक़ बना दें कि बच्चा अपने पैरों खड़ा हो सके। इस फ़िल्म में भी लड़के का बात अपने बेटे के लिये ऐसा प्रचार करता है कि समाज लोग परिवार बच्चे की ओर आकर्षित रहें ” कोई पूछे तो झूठ ही सही यह बताओ कि “लड़का डेढ़ लाख” कमाता है। लड़की वालों की फिर तो लाइन लग जायेगी और इस फ़िल्म में वही हुआ” उन्होंने बताया कि “डेढ़ लाख का दूल्हा” गुड्डू नाम के किरदार पर फिल्माया गया एक रोचक गृह्मनोरंजन है, जिसे परिवार के सभी सदस्य एक साथ बैठ देखें तो कोई असमंजसता नहीं होगी।
इस फ़िल्म में निर्माता एवं वरिष्ठ समाजसेविका जया फाउंडेशन की संचालिका जया छेड़ा, निर्देशक ज़ी सिनेमा टीवी सीरियल के हास्य कलाकार लेखक अभय कुमार जिन्होंने लगभग 22 से अधिक टीवी सीरियल में काम किया आज वह इस फ़िल्म के लेखक हैं और निर्देशन कर रहे हैं, तथा मुख्य कलाकारों में इस फ़िल्म के नायक इस फ़िल्म से अपना फिल्मी कैरियर की शुरुआत करने वाले युवा कलाकार धुर्व छेड़ा जो इस फ़िल्म में गोपाल नाम के एक दूल्हे का किरदार निभा रहे हैं और इनके बाप का किरदार निभाने वाले जाने माने पुराने हास्य कलाकार और चंद्रकांता के क्रूर सिंह का किरदार से अपनी कैरियर की शुरुआत करने वाले अखलेन्द्र मिश्रा जिन्होंने वॉलीवुड में सैंकड़ो फिल्मों में हास्य एवं खलनायक का किरदार निभाया आज वह इस फ़िल्म “डेढ़ लाख का दूल्हा” में एक अहम किरदार निभा रहे हैं। अभिनेता अखिलेन्द्र मिश्रा ने कहा आज के दौर में दर्शकों को अच्छे सिनेमा की समझ है। वे मेरी इस फिल्म को ज़रूर देखेंगे। यह फिल्म दर्शकों को गुदगुदाएगी और एक सार्थक संदेश भी देगी। फिल्म में मेरा किरदार बाप का है। इसका हर किरदार बेहद खास है। फिल्म कहीं से भी दर्शकों को बोर नहीं करने वाली है।’
विशेष कर इस फ़िल्म की निर्माता जया छेड़ा का मानना है कि आज की जितनी भी फिल्म बन रही है, उन सभों में कुछ न कुछ अश्लीलता परोसी जाती है, जो सभ्यता से दूर है – जिसे सभ्य परिवार एक साथ बैठ कर देखना कभी पसंद नहीं करेगा परन्तु ” डेढ़ लाख का दूल्हा ” यह एक ऐसी फिल्म है जिसे परिवार के सभी छोटे बड़े सदस्य एक साथ बैठ कर देख सकते हैं। इस फ़िल्म में कहीं से न कोई अश्लीलता न असभ्यता और न कोई ऐसी कोई काल्पिनिक बातों को दर्शाया गया है जिससे किसी को कोई आपत्ति होगी या कोई द्वेष पलेगा, या कोई दुखी होगा । इस फ़िल्म को देखने बाद सभी को सुख और प्रसन्ता का अनुभूति होगी। जया छेड़ा कहती हैं कि इस इस फ़िल्म से मुझे पैसा नहीं कमाना है यह फ़िल्म में मैंने पैसे इसलिये लगाए ताकि समाज को इस फ़िल्म के माध्यम से कुछ अच्छा मैसेज दिया जा सके। मैं इस फ़िल्म में पैसा लगा कर खुश हूं और संतुष्ट भी हूँ। यह फ़िल्म कामयाब हुई तो भविष्य में और भी इसी प्रकार की फ़िल्म बना कर देश और समाज मे एकता ,सुख, शांती और भेद-मिटाने का प्रयास करूंगी।
अब देखना है यह कि यह फ़िल्म को समाज मे कितना स्वीकारा और सराहा जाता है।