भारत के सपूत शहीद कर्नल त्रिपाठी की अनदेखी क्यूँ? सरकार खामोश क्यूँ है ? राजनीति या मजबूरी?

भारत सरकार राज्य सरकार एवं भारत की महामहिम राष्ट्रपती को अपने बेटे सहिंत उन चार जवानों को भी सम्मान देने लिए पिछले एक साल से लिखित बिनती कर रही हैं परन्तु कहीं से कोई भी अब तक संतुष्टिपूर्ण जवाब नहीं मिला रहा है? आखिर क्यूँ?

भारत सरकार राज्य सरकार एवं भारत की महामहिम राष्ट्रपती को अपने बेटे सहिंत उन चार जवानों को भी सम्मान देने लिए पिछले एक साल से लिखित बिनती कर रही हैं परन्तु कहीं से कोई भी अब तक संतुष्टिपूर्ण जवाब नहीं मिला रहा है? आखिर क्यूँ?

भारत के सपूत शहीद कर्नल त्रिपाठी की अनदेखी क्यूँ? सरकार खामोश क्यूँ है ? राजनीति या मजबूरी?

26 जनवरी 2023 गणतंत्र दिवस के अवसर पर शहीद कर्नल विप्लव त्रिपाठी को पर्णोउपरांत बहादुरी के लिए राष्ट्रपति पुरुस्कार से सम्मानित किया जाना चाहिये। यह देश के लिये गौरवपूर्ण होगा।

एस. ज़ेड. मलिक

नई दिल्ली – 46 असम रायफल बटालियन में तैनात कर्नल विप्लव त्रिपाठी एक मिलिट्री आपरेशन के दौरान बार्डर पोस्ट पर 13 नवम्बर 2021 को अलगाव वादियों द्वारा घेर कर शहीद कर दिए जाते हैं और उनके साथ उनकी पत्नी और एक मासूम 7 वर्षीय बेटा अबीर की भी हत्या कर दी जाती है।
अत्याचारी अलगाव वादियों ने एक मातृ-पिता का सहारा तो छीन ही लिया उनके वंश को भी समाप्त कर दिया – जबकि शहीद त्रिपाठी ऑन ड्यूटी थे। सरकार की ओर से उन्हें सम्मानित किया जाना चाहिये था। परन्तु सरकार खामोश रही और आज भी है। जबकि 26 जनवरी 2023 गणतंत्र दिवस के अवसर पर शहीद कर्नल विप्लव त्रिपाठी को पर्णोउपरांत बहादुरी के लिए राष्ट्रपति पुरुस्कार से सम्मानित किया जाना चाहिये। यह देश के लिये गौरवपूर्ण होगा।

शहीद की माता के अनुसार – शहीद कर्नल त्रिपाठी की पत्नी, ग्राम प्रमुख(गांव बुरा) के आग्रह पर शहीद अपनी पत्नी को आर्मी के सेवा के लिये अपने पोस्ट पर बुलाया था इसलिये की वह भी एक साइलेंट सोल्जर थी, उनके साथ उनका 07 वर्षीय बेटा मासूम अबीर भी था। शहीद की पत्नी अनुजा सोल्जर विदाउट यूनीफार्म थी जिसे “साइलेंट रैंक सोल्जर” भी कहा जाता है। वह सिविक एक्शन प्रोग्राम के तहत् 46 असम राइफल्स द्वारा किए गए सिविल एक्शन को सुपुर्द करने गई थी। उसे क्या पता था वह जहां जा रही है – वहां मौत उसकी प्रतीक्षा में घात लगाए खड़ी है। मौत के रूप में अलगाव वादियों ने उनके परिवार सहिंत उन्हें घेर कर ताबड़ तोड़ गोलियों की बौछार कर दी तथा वहीं ड्यूटी पर तैनात 4 और आर्मी के जवान भी सुरक्षा करते हुए अपने जान की आहुति दे दी। इतनी बड़ी घटना हो गई और प्रसाशन सरकार अब तक खामोश है उनके प्रति सरकार की कोई संवेदना नहीं जागी, ताज्जुब है।

कश्मीर बॉर्डर पर यदि कुछ होता है तो मीडिया में न जाने कैसा भूचाल आ जाता है कि महीनों भूकती रहती है और सरकार से ले कर राजनेता में हाहाकार मचा रहता है, प्रति दिन डिवेट होता रहता है – परन्तु आसाम, अरुणाचल, लद्दाक झारखंड, छत्तीसगढ़, जैसी जगहों पर अलगाव वादियों , उग्रवादियों , द्वारा आतंक मचाया जाता है, दर्जनों जवानों की हत्या कर दी जाती उस पर न सरकार बोलती है और न डिवेट होता है। यह कैसी विडंबना है? आखिर बुजुर्ग माँ बाप की आहपूर्ण बिनती सरकार क्यूँ नहीं सुन रही है ? शहीद कर्नल विप्लव त्रिपाठी की माँ ने भारत सरकार राज्य सरकार एवं भारत की महामहिम राष्ट्रपती को अपने बेटे सहिंत उन चार जवानों को भी सम्मान देने लिए पिछले एक साल से लिखित बिनती कर रही हैं परन्तु कहीं से कोई भी अब तक संतुष्टिपूर्ण जवाब नहीं मिला रहा है? आखिर क्यूँ? एक मां की संवेदनापूर्ण बिनती नीचे देखिये।

मैं आशा त्रिपाठी, शहीद कर्नल विप्लव त्रिपाठी 46 असम राइफल की माँ हूँ। अलगाव वादियों द्वारा 13 नवम्बर 2021 को घात लगाकर किये गये हमले जिसमें उसके अपनी पत्नि अनुजा और 07 वर्षीय पुत्र अबीर सहित बलिदान दिया। अंतिम साँसों तक संघर्ष करते हुए उसनें मातृभूमि की रक्षा करते हुए अपनें प्राणों की आहुति दी। इस घटना में क्यू. आर.टी. के चार जवान भी शहीद हुए। क्या इनके बलिदान को कोई मान्यता नही दी सकती।
मेरा बेटा एक मिलिट्री आपरेशन ड्यूटी पर बार्डर पोस्ट गया था एक सिपाही की तरह ड्यूटी पर सक्रिय रहते हुए शहीद हुआ था। मेरी बेटी जैसी बहू भी उतनी ही सिपाही थी जितना मेरा बेटा। वह सोल्जर विदाउट यूनीफार्म थी जिसे “साइलेंट रैंक सोल्जर” भी कहा जाता है। वह सिविक एक्शन प्रोग्राम के तहत् 46 असम राइफल्स द्वारा किए गए सिविल एक्शन को सुपुर्द करने गई थी। उसे ग्राम प्रमुख(गांव बुरा) द्वारा आग्रह किया गया था। इसलिए(आर्मी ) के लाभ हेतु बेटा उसे साथ ले गया था।
उसके इस त्याग का क्या मूल्य नही। मेरे पोते ने तो एक देश भक्त परिवार जन्म लेने की कीमत ही चुकाई । जिस असम रायफल्स की पहचान ही ढाई मूर्ति है इन मामलों में मेरे परिवार ने तो जीवंत ढाई मूर्ति का बलिदान दिया जो अपने आप मे अभूतपूर्व है। क्या मेरे परिवार के ढाई मूर्ति का बलिदान व्यर्थ जाएगा? यह सम्मान मै महज अपने बेटे ही नही उन चारों सिपाहियों के लिए भी चाहती हूँ जिन्होने अपना सर्वस्व देश पर न्यौछावर कर दिया।
मान्यवर, यह सम्मान दिलवाने का महज एक विनम्र प्रयास है जिसके वे हकदार भी हैं।
वैसे देश के लिए एक सिपाही जब सर्वोच्च त्याग करना है तो उसके पीछे उसकी मंशा कोई मेडल पाने के नही होती, बल्कि देश को सुरक्षित रखने की भावना ही मूल रूप से होती है। उनका सम्मान समाज की युवा पीढ़ी को प्रेरणा देगा उनमें देश प्रेम की भावना जगाएगा अन्यथा उन्हें अलग रास्ते लेने को मजबूर करगा। यदि किसी सिपाही को न्यायोचित सम्मान नही मिलता तो उसकी सारी उपलब्धियों का कोई अर्थ नही। मैं आपसे कुछ मांगने नही कुछ पा लेने की इच्छा लेकर आई हूँ। जो एक स्वतंत्रता संग्राम सेनानी के पोते का हक है जिसने परिवार सहित शहादत दी है जिसमे मेरा 07 वर्षीय पोता अबीर भी है।
असम राईफल्स की कमान संभालने के बाद ही मेरे बेटे ने मिजोरम और मणिपुर में मादक द्रव्यों की तस्करी पर रोक सी लगा दी थी। वह देश की तरक्की और युवा पीढी का सुनहरा भविष्य चाहता था। मिजोरम के राज्यपाल द्वारा उसकी बटालियन को साइटेशन भी प्रदान किया गया था। वह इसे नजर अंदाज कर सुरक्षित भी रह सकता था पर उसने कर्तव्य के रास्ते को चुना। उसके आप जैसे राष्ट्रवादी वादी नेताओं को अपना आदर्श माना जिसके सिर्फ एक इशारे पर भारतीय सेना अपना सर्वस्व दांव पर लगा देती है।
यही निवेदन है कि आपकी सोच कार्यवाही कईयों को प्रेरणा देनी और बाकियों को बहाना।
अंत मे एक बार पुनः विनम्र निवेदन कर रही हूँ कि आपकी पूरी संवेदना और सहानुभूति मुझे मिलेगी। मेरे बच्चे को 26 जनवरी 2023 गणतंत्र दिवस के अवसर पर पर्णोउपरांत बहादुरी के लिए राष्ट्रपति पुरुस्कार से सम्मानित किया जाना चाहिये। यह देश के लिये गौरवपूर्ण होगा।
सधन्यवाद।
आशा त्रिपाठी

Leave A Reply

Your email address will not be published.